हालांकि यह एक सहज ख़बर है, लेकिन आज के माहौल में इसका प्रसार जरूरी है कि एक मदरसे में न सिर्फ हिंदुओं के लड़के ज्यादा पढ़ते हैं बल्कि यहां के छात्रों को राष्ट्रीयता और राष्ट्रनिर्माण के पाठ भी पढ़ाए जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के केराकत तहसील का चवरी बाजार आजकल सांप्रदायिक सौहार्द के लिए खास तौर पर चर्चा में है , क्योंकि यहां पर एक ऐसा मदरसा है जो न सिर्फ हिन्दू बाहुल्य इलाके में है बल्कि इसमें मुस्लिम बच्चों से ज्यादा हिंदुओं के बच्चे पढ़ते हैं। पिछले एक दशक से अनवारुल इस्लामियां सल्फिया मदरसे में अन्य विषयों के अलावा राष्ट्रवाद का पाठ भी पढाया जाता है। मदरसे में दिन की शुरुआत गाँधी जी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम से होती है तो शाम को जय हिंद के बाद मदरसा अगले दिन तक के लिए बंद हो जाता है । चवरी बाजार के इस मदरसे में 435 बच्चे पढ़ रहे हैं । कक्षा 8 तक के इस मदरसे में 297 हिन्दू छात्र हैं और 138 मुसलमान हैं। इस मदरसे में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभी विषयों के अलावा जितनी तन्मयता से उर्दू और अरबी पढ़ाई जाती है उतनी ही शिद्दत से संस्कृत की भी शिक्षा दी जाती है।
पढ़ने वाले बच्चों को यह पूरी छूट है कि वे चाहें तो संस्कृत पढ़ें या फिर उर्दू या अरबी लेकिन खास बात यह है कि यहां पढ़ने वाले सभी बच्चे दोनों भाषाएं पढ़ते हैं। मदरसे के चेयरमैन रिजवानुल हक बताते हैं कि देश में आम तौर से मदरसों की जो छवि पेश की जा रही है उसे सुधारने में यह मदरसा अग्रणी भूमिका निभा रहा है और ऐसा हम अकेले नही बल्कि हिंदू भी मिलकर कर रहे हैं। दरअसल इस मदरसे की बुनियाद ही गाँव के एक पंडित जी की जमीन पर 1997 में तब पड़ी जब इसके लिए रिजवानुल हक जमीन तलाश रहे थे। पंडित जी ने अपनी स्वेच्छा से यह जमीन मदरसे के लिये दे दी। तभी से यह मदरसा सांप्रदायिक सौहार्द की खुशबू बिखेर रहा है
आज सांप्रदायिक सौहार्द की बुलंदियों पर पहुचने के कारण ही यहां हिन्दुओं के बच्चे उर्दू और अरबी की शिक्षा ज्यादा ले रहे हैं जबकि मुस्लिम बच्चे संस्कृत की । एक छात्रा मदीना बानो कहती हैं कि हम संस्कृत भी पढ़ते हैं और जय हिंद भी करते हैं क्योंकि हम भी भारत माता की संतान हैं। रिंकी यादव जो कक्षा 5 में पढ़ती है बताती है, अब हमें उर्दू और अरबी की भी जानकारी हो गई है। अभिभावक भी खुशी - खुशी अपनें बच्चों को इस मदरसे में भेज रहे हैं क्योकि बच्चे यहां तालीम के साथ -साथ संस्कार भी सीख रहे हैं। मुस्लिम बच्चे बड़े मजे से संस्कृत की पढ़ाई कर रहे हैं तो हिंदू बच्चे उर्दू और अरबी बड़े शौक से पढ़ रहे है। एक अभिभावक अक्षय सरोज का कहना है कि हमारे चवरी बाजार का यह मदरसा हिंदू मुस्लिम एकता के लिए खास तौर पर जाना जाने लगा है, जिसमे यहां के सभी लोगों का सहयोग है।
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Friday, April 25, 2008
पंडितजी की जमीन पर चल रहे मदरसे में गांधी के भजन, संस्कृत, जयहिंद
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2 comments:
शानदार खबर। मेरे संस्कृत के अध्यापक काजी हबीबुल्लाह थे, वे ही उर्दू पढ़ाते थे। सरकारी स्कूल में।
पंडितजी की जमीन पर मदरसा। हिंदू बच्चे उर्दू, अरबी और मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं संस्कृत। जय हिंद, जय भारत। यही असली राष्ट्रवाद है। बहुत बढ़िया खबर है।
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