भारत की तलाश

 

Tuesday, April 22, 2008

'पब्लिक' स्कूलों में जनता के बच्चों को दाखिला नहीं

सिर्फ होनहार होने से बारह साल का मोहित और उसके भाई राजीव को दाखिला नहीं मिल सकता। ये मेरा इंडिया है , जनाब। वो अपनी पेंटिंग्स के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और तमाम बड़ी हस्तियों के हाथों पुरस्कृत हो चुका है। दिल्ली के परिवहन मंत्री हारून यूसुफ, उपराज्यपाल व कई अन्य मंत्रियों ने पुरस्कार के जरिए उसके हुनर को सराहा है।

यह सबक मिला है पढ़ाई और पेंटिंग में काबिल इन लड़कों के पिता दीपक कुमार को। बच्चों के सर्टीफिकेट और ट्रॉफियां लेकर वह हर स्कूल की सीढ़ियां चढ़ चुके हैं। पर उनके बच्चों के लिए कहीं कोई सीट नहीं है। यकीनन दीपक हाईफाई स्कूलों की ‘क्वालिफेकशन’ नहीं रखता। मयूर विहार फेज-3 इलाके में, दीपक अपने परिवार के साथ रहता है। वह सिलाई व कपड़ों में जरी का काम करता है, जिसमें उसकी पत्नी व बेटी भी मदद करती हैं। बकौल दीपक ‘मेरे बच्चे की पेंटिंग से प्रधानाध्यापक ने कमरा तो सजा रखा है, लेकिन उसे अपने स्कूल में दाखिला नहीं दे सकते। इनके सार्टिफिकेट के साथ मयूर विहार इलाके के तमाम स्कूलों का चक्कर लगा चुका हूं, लेकिन गरीबों के लिए आरक्षित सीट पर दाखिला देने के लिए कोई भी तैयार नहीं है।’

रूंधे गले से दीपक ने कहा कि गरीबों के बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में मुफ्त पढ़ाने की बात उसे एक छलावा लग रही है। कोई स्कूल उसके बेटों को दाखिला देने को तैयार नहीं है। कुछ स्कूलों के प्रिंसिपल्स ने तो उसे झिड़क तक दिया और जब उसने सरकारी अधिकारियों से फरियाद लगाई तो आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।

दरअसल जिस स्कूल में वह दोनों पढ़ते हैं वहां आठवीं के बाद पढ़ाई नहीं होती। अब राजीव आठवीं पास कर चुका है तो उसे जाहिरतौर पर स्कूल बदलना है। मोहित छठी पास है। दीपक चाहते हैं कि उनके दोनों बेटे एक ही स्कूल में पढ़ें। इसलिए वह मोहित को सातवीं और राजीव को नौंवी क्लास में एडमीशन दिलाने के लिए ठोकरं खा रहे हैं।

2 comments:

Alpana Verma said...

बहुत ही दुःख की बात है..क्या मीडिया के द्वारा इस बात को आगे नहीं ला सकते???

[sir yeh wordveification hata lijiye please..comments moderation enable kar lijeeye..]

राज भाटिय़ा said...

अजी दफ़ा करो इन पब्लिक स्कूलों को,बच्चे को समझाओ ओर आप भी समझो जिस ने चमकना हे उसे किसी की जरुरत नही,ओर फ़िर आप के ही शब्द हे**कुछ स्कूलों के प्रिंसिपल्स ने तो उसे झिड़क तक दिया * तो जिस स्कूल मे पिता की इतनी इज्जत हुई वहां आप का बेटा केसा माहोल पाये गा ? ओर बच्चे को हिम्मत दो वो सरकारी स्कुल मे पढ कर भी खुब नम्बर ला सकता हे, जिन के आप ने नाम गिनवाये हे,यह स्कूल इन जेसे लोगो के ही तो हे,