भारत की तलाश

 

Wednesday, December 31, 2008

नववर्ष की शुभकामनाएं


आप सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं

Sunday, December 14, 2008

संसद हमले में श्रद्धांजलि अर्पित करने सिर्फ 10 सांसद ही पहुंचे

आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में एकजुटता दिखाने के दो दिन बाद ही संसद हमले में शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 13 दिसम्बर को आयोजित समारोह में सिर्फ 10 सांसद ही शरीक हुए। लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह, विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता जसवंतसिंह एवं संप्रग अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने मुठभेड़ स्थल पर लगी स्मृति पट्टिका पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। श्रद्धांजलि देने वालों में राज्यसभा सदस्य एसएस अहलुवालिया (भाजपा), मनोहर जोशी (शिवसेना), डी. राजा (भाकपा), पीजे कुरियन एवं कर्णसिंह (दोनों कांग्रेस) शामिल थे। समारोह में केंद्रीय मंत्री पीके बंसल एवं पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल भी मौजूद थे।

दोनों सदनों ने गुरुवार को सर्वसम्मति से आतंकवाद से लड़ने का प्रस्ताव पारित किया था। सांसदों की उपस्थिति पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा इतनी कम उपस्थिति सिर्फ निराश करने वाली ही नहीं है, बल्कि पूरी तरह अक्षम्य है। कोलकाता में मौजूद भाजपा सांसद प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि अधिकतर सांसद अपने क्षेत्रों में हैं, जहाँ वे शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे। उन्होंने कहा शनिवार या रविवार को आप सभी लोगों को दिल्ली में होने की उम्मीद नहीं कर सकते। सांसदों को अपने क्षेत्रों में जाना पड़ता है।

Friday, December 12, 2008

हमारे कमांडो ने द्वितीय विश्व युद्ध के हेलमेट, 1965 के भारत-पाक युद्ध के बुलेट प्रूफ जैकेट पहने हुए थे

मुंबई के आतंकी हमले में आतंकवादियों से भिड़ने वाले कमांडो ने द्वितीय विश्व युद्ध के जमाने के हेलमेट और 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान के बुलेट प्रूफ जैकेट पहने थे। यह जानकारी कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने 11 दिसम्बर को राज्यसभा में दी। आतंकवाद पर चर्चा में भाग लेते हुए शुक्ला ने कहा कि 'उनके' पास अत्याधुनिक हथियार थे, जबकि हमारे कमांडो के हेलमेट द्वितीय विश्व युद्ध के जमाने के थे और बुलेट प्रूफ जैकेट 1965 के, जबकि पाक आतंकियों के पास रात में देखने वाले कैमरे भी हेलमेट में लगे थे।

उन्होंने कहा कि मुंबई हमले के बाद तीन नेताओं के इस्तीफे हुए, लेकिन अफसरों की भी जिम्मेदारी बनती है। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के चार सेंटर खुलने वाले थे, आखिर वे क्यों नहीं खुले, किसने फाइल दबा रखी थी। रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय इसे आगे बढ़ाएँ। उन्होंने कहा कि हम युद्ध नहीं चाहते। हमें जनता की भावना को समझना होगा और कोई कड़ी कार्रवाई करना होगी। पाकिस्तान तो युद्ध में बर्बाद हो जाएगा। उसके पास 30 लाख डॉलर की विदेशी मुद्रा है, जबकि भारत के पास 25 करोड़ डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है

Tuesday, December 9, 2008

नर्सरी के फार्म बेचकर दिल्ली के पब्लिक स्कूलों ने 5000 करोड़ रुपए कमाये: ASSOCHAM

दस दस स्कूलों का चक्कर लगाकर हजार दो हजार में फार्म खरीदने वाले तमाम अभिभावकों को यह जानकर हैरत होगी कि केवल नर्सरी कक्षा के फार्म बेचकर ही पब्लिक स्कूलों ने अरबों रुपए की कमाई कर डाली है। व्यावसायिक और औद्योगिक गतिविधियों पर नजर रखने वाले उद्योग चैंबर (ASSOCHAM) के सामाजिक विकास न्यास ने पाया कि नर्सरी कक्षा के दाखिला फार्म बेचकर ही दिल्ली के पब्लिक स्कूलों ने 5000 करोड़ रुपए की कमाई की है। ASSOCHAM अध्ययन के मुताबिक पिछले आठ सालों में नर्सरी और केजी के दाखिला फार्म की बिक्री में कम से कम 300 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। अपने नौनिहालों को अच्छे से अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाने के लिये आमतौर पर प्रत्येक अभिभावक फार्म खरीदने में ही 5000 रुपए तक खर्च कर डालते हैं।

वर्ष 2000 में जहां दिल्ली के बडे स्क़ूल दाखिले से संबंधित फार्म और दस्तावेज मात्र 300 रुपए में बेच रहे थे, वहीं 2008 में यही स्कूल कम से कम 1000 रुपए में फार्म बेच रहे हैं। एसोचैम महासचिव डी.एस. रावत का कहना है कि दो बच्चों के दाखिले की बात हो तो फिर खर्च और भी बढ़ जाता है। रावत का कहना है कि नर्सरी और केजी में दाखिले के फार्म तो अब बडे-बडे प्रबंधन संस्थानों, इंजीनियरिंग कालेजों और चार्टर्ड एकाउंटेंट संस्थानों के दाखिला फार्म से भी महंगे हो गये हैं। एसोचैम रिपोर्ट के मुताबिक अकेले दिल्ली के ही पब्लिक स्कूलों ने नर्सरी के दाखिला फार्म बेचकर 5000 करोड़ रुपए की कमाई कर डाली है।

अध्ययन में कहा गया है कि आमतौर पर अभिभावक दखिला फार्म के साथ मिलने वाली पुस्तिका को लेने से इंकार नहीं करते हैं क्योंकि इसमें स्कूल के बारे में पूरी जानकारी होती है, लेकिन अब ज़्यादातर स्कूलों ने इसके दाम काफी बढ़ाचढ़ाकर रखना शुरू कर दिया है, जिससे अभिभावकों को मजबूरी में अधिक दाम चुकाकर भी इन्हें खरीदना पड़ता है। ऊपर से यह भी गारंटी नहीं होती कि उस स्कूल में उनके बच्चे को दाखिला मिल ही जाएगा। इसलिए अभिभावकों को कम से कम तीन चार स्कूलों में फार्म भरने पड़ जाते हैं। एसोचैम का कहना है कि ऐसे समय जब पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का दबाव है। उद्योगों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कामकाज धीमा पड़ रहा है। कई उद्योगों से कर्मचारियों की छंटनी हो रही है और ऊंचे वेतन भत्तों में कटौती की जा रही है निजी पब्लिक स्कूलों की बढ़ती लागत पर अंकुश लगना चाहिए।

दाखिला फार्म की कीमत में भारी वृध्दि न्यायालय के उस आदेश का भी उल्लंघन है, जिसमें उन्हें सालाना वृध्दि 40 प्रतिशत के दायरे में रखने को कहा गया है। रावत कहते हैं कि आमतौर पर सभी पब्लिक स्कूल फीस वृध्दि के लिए छठे वेतन आयोग की वेतन वृध्दि का हवाला देते हैं, जो कि पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है, ज़्यादातर स्कूलों में काम करने वाले कर्मचारियां को असंगठित क्षेत्र के रूप में काम दिया जाता है जिन्हें वेतन वृध्दि को कोई लाभ नहीं मिलता।

इस सम्बन्ध में ASSOCHAM की प्रेस विज्ञप्ति यहाँ देखी जा सकती है

Monday, December 1, 2008

अफसरों को दी जाने वाली बुलेटप्रूफ जैकेट कुटीर उद्योग में तैयार हुयी थी!?

मुम्बई हमलों में जान गवांने वाले ATS अधिकारी विजय सालस्कर कभी बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं पहनते थे। आतंकी हमले के दौरान बुलेटप्रूफ जैकेट पहनना ही उनकी जान जाने का कारण बना। कड़वी हकीकत तो यह है कि अफसरों को जैकेट पर पहले से भरोसा नहीं था। क्योंकि, जो जैकेट उन्हें मुहैया कराई गई थी, वह AK 56 व AK 47 की गोलियाँ झेलने में सक्षम नहीं थी। वर्ष 2004 में स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स ने फायरिंग रेंज में इन जैकेटों का परीक्षण किया था। उसी दौरान यह साबित हो गया था कि ये जैकेटें AK 47 और SLR नहीं झेल पा रही हैं। इसीलिए जैकेट पर किए गए फायर के दौरान एक भी गोली छिटक कर दूर नहीं गई, वरन पुलिस अफसरों को शरीर में पैबस्त हो गई।

विभिन्न माध्यमों में आयी ख़बर में बताया गया है कि इसके पहले जैकेट के मानक की जांच के बाद गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजी गई थी। मांग की गई थी कि अगली सप्लाई में इसे मानक के अनुरूप बेहतर बनाया जाए। जनहित याचिका भी दायर की गई थी, जिसमें पूछा गया था कि इन जैकेटों को पुलिसवाले पहनें या नहीं। मुंबई पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से ही IPS अफसर वाई.पी. सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। अब वह वकील बन गए। उन्होंने उस दौरान आरोप लगाया था कि भ्रष्टाचार दो तीन एजेंटों की वजह से बढ़ रहा है, जो सरकार में दखल रखते हैं। ये एजेंट कुटीर उद्योग में तैयार होने वाले सामान को सुरक्षा के लिहाज से थोपने की कोशिश में रहते हैं। बुलेट प्रूफ जैकेट से संबंधित जांच ACB के पास भी लंबित है।

मुंबई पुलिस जो आर्मर पहनती है वह 42 इंच लंबी होती है। यह खास कपडों की सहायता से पूरी तरह ढकी होती है और इसके अंदर कुछ वायर होते हैं। स्टील की कुछ प्लेटें होती हैं। वायर किसी भी स्थिति में 10 गेज से कम का नहीं होता है। लेकिन, जैकेट में जो वायर लगा है वह 12 गेज का है।