भारत की तलाश

 

Wednesday, April 23, 2008

फॉर्म न भर पाने वाले सरकार चला रहे !

क्या आप मानते हैं कि दुकानें ‘चल संपत्ति’ हैं, जबकि पशु ‘अचल संपत्ति’? क्या आपकी शैक्षणिक योग्यता है-‘हायर सैकंडरी के सभी विषय’। ये बात हो रही है, चुनावी एफीडेविट की, जिसके जरिए बीते वर्ष के पंजाब विस चुनाव के प्रत्याशियों ने व्यक्तिगत संपत्ति, शैक्षिक योग्यता और आपराधिक रिकॉर्ड का ब्यौरा दिया है। अधिकांश राजनेताओं की शैक्षणिक योग्यता या तो ‘अंडर मैट्रिक ’ है या फिर ‘अंडर मिडिल’, एक नेता ने लिखा है-‘लागू नहीं।'

दैनिक भास्कर में आए समाचार में कहा गया है कि इन एफीडेविट से सदस्यों द्वारा दी गई जानकारियों का राज्य चुनाव आयोग ने भी कोई नोटिस नहीं लिया। कैबिनेट का नेतृत्व करने वाले मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपने एफीडेविट में अपने ऊपर चल रहे मामलों का पूरी तरह खुलासा नहीं किया है। उन्होंने न तो अपनी स्कूली शिक्षा का जिक्र किया है, न ही बालासोर स्थित अपने मकान का कोई उल्लेख किया है। उन पर कितना सरकारी बकाया है, इसका भी विवरण उन्होंने नहीं दिया है। बिजली बकाए को रिपीट कर दिया गया है, पानी के बकाए का जिक्र ही नहीं किया गया है।

कृषिमंत्री ने मकान, कैटल शैड्स और गोदामों का विवरण नहीं दिया है, आयकर और ऋण संबंधी विवरण देने की जरूरत नहीं समझी है। सहकारिता मंत्री ने चंडीगढ़, अमलोह और मोगा स्थित अपने मकान, दुकान और गोदामों का विवरण नहीं दिया है। आयकर रिटर्न भरने संबंधी जानकारी भी नहीं दी गई है। खाद्य आपूर्ति और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने अपने बैंक डिपॉजिट, बॉंडय्स, शेयर और अन्य वित्तीय स्रोतों की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी है। ज्वैलरी वाले कॉलम को भी नहीं भरा गया है। आयकर संबंधी जानकारी को भी छुपाया गया है।

एक गैर सरकारी संगठन यह मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया। कोर्ट ने कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को सख्त आदेश दिए हैं कि वे चुनावी प्रत्याशियों की इस तरह की लापरवाही पर तुरंत लगाम कसें। सर्वेक्षण करने वाली संस्था, रिसोर्जेस इंडिया ने पाया कि 6 बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों ने कुल 388 एफीडेविट भरे थे, जिनमें से 369 अधूरे छोड़े गए थे। इन्हीं में एक मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का एफीडेविट भी है। सर्वेक्षण करने वाली संस्था के सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बताया कि अगर कोई उम्मीदवार अपने संबंध में गलत जानकारी देता है, तो सुप्रीम कोर्ट के नियमों के मुताबिक उसका नामांकन तो नहीं रद किया जा सकता, उसपर मुकदमा जरूर चलाया जा सकता है। वहीं, अगर किसी ने पूरी जानकारी नहीं दी है तो उसपर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, लेकिन उसके नामांकन पेपर रद किए जा सकते हैं। यहाँ यह बताया जाना जरूरी है कि मई 2002 में कोर्ट ने एक आदेश जारी कर सभी उम्मीदवारों को उनके घर-संपत्ति, पारिवारिक विवरण और शैक्षिक योग्यता और दायित्वों का विवरण देना अनिवार्य कर दिया था।

दैनिक भास्कर आगे लिखता है कि, जब इस संबंध में और खोजबीन की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कुछ प्रत्याशियों ने अपने एफीडेविट में न केवल विवरणों को खाली छोड़ दिया है, बल्कि कई महत्वपूर्ण कॉलमों में गुमराह करने वाली जानकारियां भी दी गई हैं। उदाहरण के लिए 33 उम्मीदवारों ने मोहाली जिले के गांव कंसल स्थित अपने एएलए सोसायटी के समान रकबे के प्लाटों की अलग-अलग कीमत बताई है। किसी ने उसकी कीमत 60 लाख (प्रति 500 स्कवायर यार्ड) बताई है तो किसी ने उतने की ही कीमत 2.5 लाख लिखी है।

रिसोर्जेस इंडिया के महासचिव हितेंद्र जैन ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि ऐसे एफीडेविट कैसे स्वीकार कर लिए गए। कुछ अन्य मामलों में, फिरोजपुर के जीरा से बसपा के उम्मीदवार ने अपना और पिता का नाम, आयु और पता का कॉलम खाली छोड़ दिया है। चल संपत्ति के रूप में एक मोटरसाईकल को छोड़कर शेष सी कालम खाली हैं। कृषि भूमि, भवन, सरकारी बकाया, विभिननि प्रकार को करों का कॉलम भी रिक्त है। बसपा के ही मोगा के निहाल सिंह वाला विधानसभा उम्मीदवार केवल सिंह ने अपने एफीडेविट से कई कालम ही नष्ट कर दिए हैं। यही हाल जालंधर के फिल्लौर विधानसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार संतोख सिंह का रहा है। नंगल (रोपड़) से सीपीएम उम्मीदवार गुरदियाल सिंह ने आपराधिक विवरण वाला कॉलम उड़ा दिया है। साथ ही, कर्ज और पत्नी के नाम से संबंधित खाना भी गैर-मौजूद है। वहीं, तलवंडी साबो (बठिंडा) से शिअद प्रत्याशी अमरजीत सिंह ने अपनी गैर-कृषि भूमि और आश्रितों की जानकारी नहीं दी है। तरनतारन के खडूर साहिब से कांग्रेस प्रत्याशी तरसेम सिंह ने अपनी आवश्यकता के अनुसार एफीडेविट का प्रारूप बदल लिया और बैंक डिपॉजिट, शेयर, गहने, नामऔर पता, शिक्षा समेत तमाम महत्वपूर्ण जानकारियां नहीं दी हैं।

होशियारपुर के शामचौरासी से कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी रामलुभाया ने अपनी 11 संपत्तियों का उल्लेख किया है, लेकिन उनका बाजार मूल्य नहीं दिया है। बैंक खातों का उल्लेख न करने के साथ ही उन्होंने अपनी संपत्तियों की लोकेशन भी स्पष्ट नहीं की है। बसपा के 6 उम्मीदवारों सुरजीत सिंह, कपिल बत्रा, राजू कुमार हंस, रामप्रकाश, बलविंदर सिंह और अशोक कुमार ने सभी हदें पार करते हुए खाली कॉलम चुनावों के बाद भर देने की बात लिखी है। यह समझ से बाहर है कि कैसे उनका नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया गया।

4 comments:

Satyawati Mishra said...

बन्धुवर,
ये हमारी नियति है की ऐसे अनपढ़ और भ्रस्त लोग हमारे भाग्यविधाता और शासक बने हुए है

Unknown said...

मुख्य चुनाव आयुक्त क्या ऐसे ही मंत्री बना दिये गये हैं? लेन-देन का खेल तो न्यायपालिका तक चल रहा है भाई, एक मरते हुए देश में रहने वालों को बधाईयाँ…

समयचक्र said...

सारा ठेका तो इन्ही लोगो ने ले रखा है पढे लिखे लगते कहाँ है

राजकुमार जैन 'राजन' said...

आपने जनभावनाओं से जुडे विषय पर सटीक कलम चलाई है। बधाई स्वीकारें।