भारत की तलाश

 

Thursday, April 17, 2008

भारतीय पोस्टमार्टम अनोखे और अवैध

"भारतीय अधिकारियों ने शव के साथ जो कुछ किया है वह पूरी तरह अवैध है। मैंने अपने जीवन में अब तक एक लाख से ज्यादा लोगों के शव परीक्षण किए हैं, इस दौरान शव का बारीकी से परीक्षण करना चाहिए और हर बात को नोट करना चाहिए।" यह कहना है स्वीडन के शव परीक्षण विशेषज्ञ अर्ने शेडिन का।

जैसा कि पहले ख़बर आयी थी कि स्कारलेट के भारत में किए गए पोस्टमार्टम के दौरान महत्वपूर्ण अंग निकाल लिए गए थे, अब स्वीडन के फोरेंसिक विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत में ब्रिटिश किशोरी स्कारलेट कीलिंग के दोनों शव परीक्षण पूरी तरह अवैध हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि स्कारलेट के जो अंग तीसरे शव परीक्षण में गायब पाए गए हैं, संभवत: उनको अवैध रूप से बेच दिया गया है।

ब्रिटिश किशोरी स्कारलेट का अर्द्धनग्न शव गोवा के अंजुना बीच पर 18 फरवरी, 2008 को पाया गया था। गोवा पुलिस ने पहले इसे समुद्र में डूबने के कारण हुई मौत का मामला बताया था। पहले शव परीक्षण में बताया गया था कि स्कारलेट ने मौत से पहले ‘एक्सटेसी’, ‘कोकीन’ और ‘एलसीडी’ जैसे मादक पदार्थों को सेवन किया था। इसके बाद स्कारलेट की मां फिओना ने गोवा पुलिस पर मामले को दबाने का आरोप लगाया और दुबारा शव परीक्षण की मांग की। जिसके बाद में पुलिस ने कहा कि स्कारलेट के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी।

स्वीडन के पोस्टमार्टम विशेषज्ञ पेर अर्ने शिडिन ने कहा, दोनों पोस्टमार्टम न सिर्फ विलक्षण थे, बल्कि अवैध भी थे। भारतीय अधिकारियों ने इस चीरफाड़ से मृतका के अंग क्षत-विक्षत कर दिए। उन्होंने अपने कैरियर में देश और देश से बाहर 100,000 से अधिक पोस्टमार्टम किए। मानक प्रक्रिया के अनुसार पोस्टमार्टम में प्राप्त हर डिटेल को रिकार्ड किया जाता है और उसका बारिकी से अध्ययन होता है। उन्होंने कहा कि भारत में कोई इलेक्ट्रानिक रिकार्डर मौजूद नहीं था। वहां एक सहायक बस सारी बाते नोट करता है जो उसे पोस्टमार्टम कर रहे डॉक्टर बताते हैं। इस तरह से तो सही जांच की ही नहीं जा सकती।

शिडिन पिछले 35 सालों से विश्व में सबसे अधिक प्रतिष्ठित स्वीडन के कोर्लिस्का अस्पताल के ज्यूडिशियल फोरेंसिक विभाग में कार्य कर रहे हैं।शेडिन ने कहा कि परिजनों की पूर्व अनुमति के बिना शव से कोई अंग नहीं निकाला जा सकता। यह पूरी तरह अवैध है।

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