भारत की तलाश

 

Saturday, November 29, 2008

भारत की राष्ट्रपति स्मिता पाटिल है

जिन स्कूलों के शिक्षक ही देश के प्रथम नागरिक का नाम सही से ना बता पाएं, वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों के ज्ञान की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। बुलंदशहर मुख्य विकास अधिकारी के निरीक्षण में पूछे गए अनेक आसान सवालों का जवाब प्रधानाध्यापक और शिक्षक तक नहीं दे सके। वहाँ हरीशचंद्र नगर स्कूल के एक शिक्षक ने देश की राष्ट्रपति का नाम 'स्मिता पाटिल' बताया। मुख्य विकास अधिकारी ने ऐसे स्कूल के प्रधानाध्यापक सहित तीन शिक्षकों के वेतन रोकने के निर्देश दिए हैं। साथ ही नगर शिक्षाधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि दी। इससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

28 नवम्बर को मुख्य विकास अधिकारी संध्या तिवारी और एमडीएम के जिला समन्वयक आदित्य आर्य ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हरीशचंद्र नगर की चेकिंग की। अमर उजाला में आयी ख़बर के मुताबिक सबसे पहले एमडीएम का रजिस्टर चेक किया, लेकिन रजिस्टर पूर्ण नहीं पाया गया। मुख्य विकास अधिकारी ने सातवीं कक्षा की एक छात्रा से प्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम पूछा, लेकिन वह नहीं बता पाई। इस पर सभी छात्रों से प्रदेश की मुख्यमंत्री का नाम पूछा गया। कोई भी बच्चा नाम नहीं बता सका। इस पर मुख्य विकास अधिकारी ने उच्च प्राथमिक विद्यालय हरिशचंद्र नगर के प्रधानाचार्य से राष्ट्रपति का नाम पूछा, लेकिन वे भी राष्ट्रपति का सही नाम नहीं बता पाए। इसके बाद स्कूल में मौजूद तीन शिक्षिका से राष्ट्रपति का नाम पूछा गया। वे भी राष्ट्रपति का सही नाम नहीं बता पाईं। इस पर मुख्य विकास अधिकारी ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए प्रधानाचार्य सहित तीन शिक्षिकाओं के वेतन रोकने के आदेश दिए। इसके अलावा नगर शिक्षाधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि देने के निर्देश दिए।

Tuesday, November 25, 2008

टाटा स्टील्स के प्रबंध निदेशक पुरूष नहीं बल्कि एक महिला है !

एक ऐसा अनूठा नमूना सामने आया है, जिसने दुनिया की छठी सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनी ‘टाटा स्टील्स’ के प्रबंध निदेशक बी. मुत्थुरमण जैसे अतिविशिष्ट व्यक्ति को पुरूष की बजाय, महिला और उनकी पत्नी श्रीमती सुमति मुत्थुरमण को महिला से पुरूष बना दिया। भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था का बेहद महत्वपूर्ण चुनावी दस्तावेज तथा आधार कही जाने वाली मतदाता सूचियों में गड़बड़ी का यह वाकया झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में पेश आया है जिसके जिला मुख्यालय जमशेदपुर में टाटा स्टील समेत टाटा समूह की अनेक कंपनियों का गढ़ है।

पूर्वी सिंहभूम जिले के लिए हाल में तैयार मतदाता सूची में जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के भाग संख्या-193 के क्रम संख्या-462 पर बाजाप्ता तौर पर मुत्थुरमण की तस्वीर लगी है, लेकिन उनका नाम विमला देवी बताया गया है और लिंग महिला। इसी सूची के क्रम संख्या-474 में श्रीमती सुमति मुत्थुरमण की तस्वीर लगी है पर उनका नाम दुधनाथ साह (पुरूष) बताया गया है।

पूर्वी सिंहभूम के उपजिला निर्वाचन पदाधिकारी विपिन बिहारी ने फोटो में हुई गड़बड़ी की बात स्वीकार करते हुए कहा कि इसका कारण फोटो पहचान-पत्र बनाने के दौरान हुई चूक है। उन्होंने बताया कि दरअसल मतदाता सूची में फोटो लगाने का काम वर्ष 2004 के बाद शुरू हुआ है पर फोटो पहचान-पत्र इससे पहले के बने हुए हैं। उस दौरान मुत्थुरमण और विमला देवी को एक ही कार्ड संख्या जेवीएन-1545873 मिल जाने के कारण मतदाता सूची में गलत फोटो लग गया। ऐसा ही उनकी पत्नी की तस्वीर के साथ भी हुआ है। उन्होंने इस भूल को सुधारने की भी बात कही।

Monday, November 24, 2008

उम्र, पांच वर्ष में बढ़ने की बजाये दो वर्ष कम हुई

राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने प्रस्तुत नामांकन पत्र के साथ दिये शपथ पत्र में अपनी उम्र दो वर्ष कम दर्शाई हैं। वर्ष 2003 से लेकर वर्तमान समय का यदि लेखा किया जाये तो उनकी उम्र पांच वर्ष में बढ़ने की बजाये दो वर्ष की कम हुई हैं।

इसका प्रमाण गत 2003 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में उनके द्वारा प्रस्तुत नामांकन पत्र के साथ दिये गये शपथ पत्र में देखा जा सकता हैं।

12 नवम्बर 2003 को उनके द्वारा जो शपथ पत्र जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, उसमें कटारिया ने अपनी उम्र 61 वर्ष दर्शाई हैं जबकि मंगलवार 11 नवम्बर 08 को जो शपथपत्र प्रस्तुत किया हैं उसमें उन्होंने उनकी उम्र 64 वर्ष दर्शाई हैं। गणीतीय दृष्टि से उनकी उम्र 64 की बजाये 66 वर्ष होनी चाहिये थी।

वादे हैं वादों का क्या

आंध्रप्रदेश के वनमंत्री एस. विजयरामाराजू का कहना है कि अगले वर्ष राज्य विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सत्ता में नहीं लौटी, तो वे खुद को गोली मार लेंगे।

विजयरामाराजू ने कहा, “कांग्रेस सत्ता में दोबारा लौटेगी और वाईएस. राजशेखर रेड्डी फिर राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं अपनी रिवॉल्वर से खुद को गोली मार लूंगा”।

वह श्रीकाकुलम जिले में किसानों की एक सभा को संबोधित कर रहे थे। 

Tuesday, November 18, 2008

स्त्री और पुरूष के बीच मौजूद सामाजिक अंतर के मामले में भारत का 113 वां स्थान

विश्व आर्थिक मंच की ताजा रिपोर्ट के अनुसार स्त्री और पुरूष के बीच मौजूद सामाजिक अंतर के मामले में 130 राष्ट्रों की सूची में भारत का 113 वां स्थान है। रिपोर्ट के मुताबिक नार्वे ने जहां इस सूची में सर्वोच्च स्थान हासिल किया है, वहीं फिनलैंड, स्वीडन और आइसलैंड क्रमश: दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर रहे हैं। दक्षिण एशिआई देशों में सबसे अच्छा प्रदर्शन श्रीलंका का है जो इसमें 12 वें पायदान पर है जबकि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश अमेरिका 27वें स्थान पर और चीन 57वें स्थान पर काबिज है।

महिला सशक्तिकरण तथा स्त्रियों के लिए विशेष उपाय करने जैसे कार्यक्रमों के बावजूद भारत इसमें पहले सौ में भी स्थान नहीं बना सका पड़ोसी देश जैसे ईरान 116, नेपाल 120, पाकिस्तान 127 भी पिछड़ गये देशों में शामिल है जबकि जर्मनी 11, युनाइटेड किंगडम 13, स्पेन 17, ने पहले की अपेक्षा अपने स्तर से नीचे आ गए लेकिन शुरूआती बीस देशों की सूची में आने में कामयाब रहे। नीदरलैंड 09, लाटाविया 10, श्रीलंका 12 और फ्रांस 15 ने अपनी पहले की पोजिशन में सुधार किया है।

यह वैश्विक जेंडर गैप या स्त्री पुरूष के बीच सामाजिक अंतरों वाला सूचकांक इस आधार पर बनाया जाता है कि दोनों के बीच सामाजिक दूरी को कितना कम किया गया है। इसमें महिलाओं की उच्च स्तर पर राजनीतिक और सरकार में भागीदारी तथा देश की वित्तीय संस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका और शिक्षा आदि के स्तर को आधार बनाया जाता है। इस सूचकांक में उच्च स्थान पाने का अभिप्राय यही है कि उक्त देश ने इन स्तरों पर पुरूष और महिला के बीच की दूरी कम रह गयी है जबकि निचले स्थान पर आने का मतलब यह निकलता है कि सामाजिक मामलों में जो अधिकार पुरूष को हासिल है स्त्री उससे वंचित है।

इस हिसाब से देखा जाए तो पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर आए देशों ने स्त्री और पुरूष के बीच सामाजिक अंतरों को 80 प्रतिशत तक पाट दिया है जबकि निचले स्थान पर रहे देशों ने 45 फीसदी तक ही इस मुकाम को हासिल किया है। ऊंचे स्थान पर काबिज देशों में व्यापार, राजनीति, अकादमिक, मीडिया और नागरिक समाज में कई जगह पर पचास प्रतिशत पुरूषों की भूमिका है तो इतनी ही भूमिका स्त्री की भी है। इस तरह से इन देशों में योग्यता का बेहतरीन इस्तेमाल हो रहा है और उसमें लिंग के आधार पर भेद न्यूनतम है।

Monday, November 10, 2008

भिखारियों के इस कार्य पर GRP ने भी मुहर लगा दी है

गाजियाबाद स्टेशन से 450 से अधिक ट्रेनों के जरिए रोजाना एक लाख से अधिक यात्री सफर करते हैं। कुछ बदनसीब ट्रेन हादसे का शिकार हो जाते हैं। ऐसे क्षत-विक्षिप्त शवों से हर कोई अपना मुंह मोड़ लेता है। ऐसे में स्टेशन पर मौजूद भिखारी ही इन लावारिस शवों के अपने हो जाते हैं। कटी हुई लाश सामने आते ही सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) को काले और भरतू की याद आ जाती है। दैनिक हिन्दुस्तान में संजीव वर्मा लिखते हैं कि काले के पिता ने करीब पचास साल पहले पटरी पर कटी लाशों को उठाने का काम शुरू किया था और अब वह इस काम को अंजाम देते हैं। लाशों को उठाकर उनका अंतिम संस्कार करना इनका पेशा बन चुका है। इस काम के लिए पैसा शनिवार को स्टेशन पर शनिदेव की तस्वीर लगाकर कमाया जाता है। परिवार के सभी लोग स्टेशन पर भीख मांगते हैं। उसी से पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है।

इस काम में शामिल भरतू का परिवार भी इनके साथ ही मिलकर काम करता है। रेलवे लाइन के किनारे एक झुग्गी में उनका परिवार लंबे समय से रह रहा है। वह कहता है कि शनिवार को तीन सौ से चार सौ रुपये की कमाई हो जाती है। इस पैसे से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। स्टेशन पर इस तरह का काम करने वाले भिखारियों ने इसे सामाजिक सेवा से जोड़ते हुए दूसरी तस्वीर पेश की है। भिखारियों के इस कार्य पर GRP ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है।

दैनिक हिन्दुस्तान में संजीव वर्मा आगे लिखते हैं कि यह काम भिखारियों के कुछ परिवारों तक सीमित है। यह लोग अपने कार्य के प्रति इतने सजग हैं कि सूचना मिलते ही पहुंच जाते हैं। GRP के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2005 में 87, वर्ष 2006 में 98, 2007 में 107 व वर्ष 2008 में अब तक 80 शवों का अंतिम संस्कार हो चुका है। शव उठाने के बदले स्टेशन पर भीख मांग कर करीब दो दर्जन लोगों का पेट पल रहा है।

Friday, November 7, 2008

झाड़ू लगाकर वोट मांगता है उम्मीदवार

भारतीय लोकतंत्र,  चुनावों के करीब आते ही मतदाताओं की हैसियत बदल देता है, नेताओं के लिए मतदाता भगवान हो जाते हैं,  वे उनका वोट पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के अंबाह विधानसभा क्षेत्र में हो रहा है। जहां समाजवादी पार्टी (सपा) का उम्मीवार पहले सड़क पर झाडू लगाता है और फिर लोगों से वोट मांगता है।  मुरैना जिले के अंबाह विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे सुरेन्द्र बाल्मीकि का नाता दलित परिवार से है। उनका परिवार सड़क पर झाडू लगाकर अपना पेट पालता है। सुरेन्द्र जिस भी इलाके का दौरा करते हैं उनके आगे-आगे 10 लोगों का हुजूम चलता है, जिनके हाथों में झाडू होती है। झाडू वालों को देखते ही क्षेत्रवासियो को पता चल जाता है कि सुरेन्द्र बाल्मीकि उनके क्षेत्र में आया हुआ है। ये लोग पहले उस मुहल्ले और गली में झाडू लगाते हैं उसके बाद सुरेन्द्र मतदाताओं के पैर छूकर वोट मांगते हैं। उनकी मतदाता से एक ही गुहार होती है कि उन्हें सेवा करने का अवसर देते रहिए।


सुरेन्द्र कहते हैं कि वे और उनका परिवार जनता की वर्षों से सेवा करता आ रहा है। वे विधायक बनकर जनता की तकलीफों का हरण करना चाहते हैं। सेवा उनका धर्म है इसलिए वे जनता को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि जो उन्होंने अभी तक किया है उसमें कोई बदलाव नहीं होगा। सुरेन्द्र विधान सभा पहुंचकर गरीब जनता की तकलीफों का खात्मा करना चाहते हैं। उनका कहना है कि चुनाव आते ही उन्होंने इस तरह का अभियान शुरू नहीं किया है बल्कि वे कई वर्षो से इस क्रम को जारी रखे हुए हैं। वे जहां भी जाते हैं उनके साथी पहले उस इलाके में झाडू लगाते हैं। ऐसा करने के पीछे सेवा भाव के साथ यह संदेश भी छुपा हुआ है कि वे सेवक है राजा नहीं। 

Saturday, November 1, 2008

फर्जी क्रेडिट कार्ड का कारखाना और ग्राहकों तक पंहुचाने के लिये कूरियर

ब्रिटेन में हजारों क्रेडिट कार्ड के गुप्त पिन कोड नंबर का पता लगाने में माहिर भारतीय मूल के कंप्यूटर जानकार को लाखों पांउड की हेराफेरी के आरोप में छह साल के कारावास की सजा सुनायी गयी है। लंदन स्थित अदालत ने कंप्यूटर के महारथी अनूप पटेल पर ब्रिटेन के 19 हजार से अधिक Credit Card धारकों के कार्ड में तकनीकी हेराफेरी कर PIN नंबर पता कर 20 लाख पांउड की चपत लगाने का दोषी ठहराते हुये यह सजा सुनाई। इतना ही नहीं पटेल ने फर्जी क्रेडिट कार्ड बनाने वाला कारखाना और इन्हें ग्राहकों तक पंहुचाने के लिये कूरियर सेवा भी शुरू कर दी थी।

इस कारखाने में बिना इलेक्ट्रानिक चिप वाले क्रेडिट कार्ड बनाकर विदेशी ग्राहकों को कूरियर सेवा के जरिये भी भेजा जाता था। इस मामले में Credit Card को कूरियर सेवा से ग्राहकों तक भेजने वाले आरोपी एंथनी थामस को भी अदालत ने दो साल के कारावास की सजा सुनायी गयी है। ब्रिटेन में क्रेडिट कार्ड में हेराफेरी करने और फर्जी कार्ड बनाने का यह अब तक का सबसे बडा मामला है।

गौरतलब है कि अक्टूबर 2006 में लंदन पुलिस ने इनके कारखाने पर छापा मार कर इस मामले का भांडाफोड किया था। छापेमारी के दौरान पुलिस ने इस कारखाने से Credit Card में इस्तेमाल होने वाली हजारों इलेक्ट्रानिक चिप, प्लास्टिक के खाली कार्ड और 19 हजार फर्जी कार्ड का भंडार, होलोग्राम, PIN संबन्धी जानकारियां, Card Printer और 20 हजार पांउड नगद बरामद किए।