भारत की तलाश

 

Wednesday, April 2, 2008

हमारे (भावी) प्रधानमंत्री !?

विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी की हाल ही में आई किताब माई कंट्री, माई लाइफ में भगत सिंह के बारे में दी गई गलत जानकारी पर इतिहासकारों ने नाराजगी जताई है। शहीद-ए-आजम के पौत्र यादविंदर सिंह संधू ने भाजपा नेता से अपनी गलती स्वीकार करने को कहा है। आडवाणी ने किताब के अध्याय भारत और पाकिस्तान में पेज नंबर 792 पर लाहौर का जिक्र करते हुए लिखा है कि ब्रिटिश हुकूमत ने भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को लाहौर में सिर्फ इसलिए फांसी दे दी, क्योंकि उन्होंने सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर गोरी हुकूमत का विरोध किया था। प्रधानमंत्री पद के भाजपा उम्मीदवार आडवाणी की जानकारी पर इसलिए प्रश्नचिह्न लग रहा है क्योंकि भगत सिंह को सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के मामले में नहीं, बल्कि लाहौर षड्यंत्र मामले [सांडर्स हत्याकांड] में फांसी की सजा सुनाई गई थी।

शहीद भगत सिंह के भतीजे बाबर सिंह संधू के पुत्र यादविंदर सिंह संधू ने कहा है कि आडवाणी को किताब में भगत सिंह से संबंधित कुछ भी लिखने से पहले ऐतिहासिक तथ्यों को जान लेना चाहिए था। इतने बड़े नेता से ऐसी गलती की उम्मीद नहीं की जा सकती है, इसलिए उन्हें अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। शहीद भगत सिंह से संबंधित घटनाओं पर शोध करने वाले जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर चमन लाल ने कहा कि राजनेताओं को ऐतिहासिक तथ्यों को पढ़े बिना ही लिखने की आदत पड़ गई है।

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