भारत की तलाश

 

Monday, April 14, 2008

कर्नल की बीवी के साथ फरार हुया मेजर गिरफ्तार

भारतीय सेना का यह अधिकारी न केवल खुद भागा बल्कि संयुक्त राष्ट्र मिशन में देश से बाहर तैनात एक अन्य सैन्य अधिकारी की पत्नी को भी ले उड़ा। सब्सिडी पर मिलने वाली सुरा जनता को बेचने वाले जनरल, इनाम और प्रमोशन के लालच में टमाटर की चटनी लगाकर नागरिकों को मारे गए आतंकी बताने वाले कर्नल के शातिर कारनामों की कड़ी में अब एक मेजर का नाम भी जुड़ गया है। कर्नल की बीवी को भगा ले जाने वाले इस मेजर ने सेना से बचने के लिए अपनी मौत तक का ड्रामा रच डाला था।

हिन्दुस्तान टाईम्स के मुताबिक, सेना में डाक्टर मेजर अनराग शर्मा असम में तिनसुकिया में 162 सेना अस्पताल में तैनाती के दौरान, कर्नल की बीबी को पिछले साल जून में असम के तिनसुकिया जिले से भगाकर ले गया था। गत वर्ष 12 जून को डिब्रूगढ़ के पास उसने ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे अपने वाहन में एक सुसाइड नोट छोड़ा कि वह मानसिक रूप से काफी परशान है और आत्महत्या कर रहा है। उसके शव की नदी में तलाश की गई, लेकिन नहीं मिलने पर मरा मान लिया गया। उसकी कार ब्रहमपुत्र नदी के किनारे बरामद हुई थी।

इसी दौरान पता चला कि संयुक्त राष्ट्र मिशन में तैनात आर्टिलरी के एक लेफ्टिनेंट कर्नल की पत्नी भी लापता है। स्वयं भगोड़े मेजर की पत्नी भी सेना में डॉक्टर मेजर है और सूडान में है। दोनों के एक-एक बेटा है। दैनिक भास्कर के अनुसार, इस बीच भगोड़े मेजर का मोबाइल फोन सक्रिय पाया गया। यहां से नई दिशा में तलाश शुरू हुई और करीब तीन महीने बाद आर्मी इंटेलीजेंस ने महाराष्ट्र के सांगली जिले में इस मेजर को ढूंढ निकाला। वहां वह अपने असली नाम पर एक अस्पताल में बतौर कैंसर स्पेशलिस्ट काम कर रहा था। सांगली में यह मेजर अस्पताल के पास ही रहा करता था। उसने पड़ोसियों से कर्नल की बीवी का परिचय अपनी बीवी की तरह कराया था।

उसने बताया कि वह बिहार, गुजरात, गोवा होते हुए महाराष्ट्र पहुंचा था। उसके साथ भागी सैन्य अधिकारी की पत्नी भी अंडमान से चेन्नई होते हुए महाराष्ट्र पहुंच गई। लेकिन सेना खुफिया तंत्र की टीम की सूझबूझ के आगे उसकी चालाकी नहीं चली। जैसे ही पुख्ता जानकारी मिली, सेना की टीम ने प्रशासन को उसकी जानकारी दी और गत सितंबर में उसे सांगली से गिरफ्तार कर लिया।

दिसंबर 07 में दिनजान में 2 माउंटेन डिविजन के जीओसी ने उसके खिलाफ कोर्टमार्शल की कार्रवाई की और उसे रैंक व पेंशन विहीन कर सेना से निकाल दिया गया। सेना से जवानों के अलावा अब अधिकारियों के भागने की घटनाओं ने सेना को काफी शर्मसार किया है। पिछले 5 वर्षों में थलसेना, नौसेना व वायुसेना के अफसरों के भगोड़ा बनने की दर्जन भर घटनाएं हो चुकी हैं।

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