NCERT की एक रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला सत्य प्रकट हुया है कि दशमलव और अनुपात के चक्कर में छात्रों का गणित बिगड़ रहा है। स्कूली बच्चे इनके फेर में ऐसे उलझते हैं कि पिछड़ते ही चले जाते हैं। लेकिन, जमा, घटा, प्रतिशत और ज्यामिति का उनका समीकरण अच्छा होता है। यह खुलासा हुआ है राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की Mid Achievement report से। रिपोर्ट में गणित, पर्यावरण शिक्षा और भाषा को आधार बनाया गया है। सभी विषयों को शामिल करने पर यूपी को छठा और दिल्ली को नवां स्थान प्राप्त हुआ है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने पांचवीं के बच्चों का गणित, पर्यावरण शिक्षा और भाषायी स्तर जानने के लिए यह सर्वे किया है। बच्चों में गणित का स्तर जानने के लिए नौ पैमानों को शामिल किया। जिनमें जमा, घटा, लघुत्तम समापवर्तक, महत्तम समापवर्तक, औसत, लाभ-हानि, दशमलव, अनुपात, प्रतिशत, ज्यामिति आदि को शामिल किया गया। इस सर्वे में 33 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के 266 जिलों के 6828 स्कूलों के 84,322 छात्रों को शामिल किया गया। कुल छात्रों में से 42,419 छात्र और 41,903 छात्राएं शामिल थीं।
अमर उजाला का समाचार है: रिपोर्ट में पाया गया कि पांचवीं कक्षा के स्कूली बच्चे जमा, घटा, प्रतिशत के सवालों को हल कर लेते हैं लेकिन असली समस्या दशमलव और अनुपात के सवालों में आती है। प्राइमरी कक्षाओं से शुरू हुई यह समस्या आगे की कक्षाओं में बढ़ती जाती है। जमा, घटा, गुणा, भाग के सवालों के 55.66 फीसदी छात्र सही उत्तर देते हैं। औसत के सवालों को 56.66 प्रतिशत छात्र सही करते हैं। वहीं, लाभ और हानि के प्रश्नों को, 55.42 फीसदी छात्र सही हल करते हैं। ज्यामिति के सवालों को 47.20 फीसदी छात्र सही हल करते हैं। प्रतिशत के सवाल भी 46.38 छात्र सही हल कर देते हैं। दशमलव और अनुपात के सवालों में केवल 38.20 फीसदी छात्र ही सवालों के सही उत्तर दे पाते हैं। माप-तौल के प्रश्नों का भी कुछ ऐसा ही हाल है। 42 प्रतिशत छात्र ऐसे प्रश्नों का उत्तर सही देते हैं। लघुत्तम समापवर्तक और महत्तम समापवर्तक के सवालों को 49.27 फीसदी छात्र सही हल करते हैं।
Educational Measurement and Evaluation विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अवतार सिंह ने कहते हैं कि गणित में ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धीरे-धीरे यह विषय उनके लिए कठिन होता जाता है। प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों को घर और स्कूल में छोटे-छोटे प्रश्नों का उत्तर नहीं मिल पाता है। जिससे आगे जाकर उनका प्रदर्शन ढीला हो जाता है।
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