भारत की तलाश

 

Tuesday, April 29, 2008

मौलवी द्वारा गीता का प्रवचन


मेरे इंडिया में धर्मनिरपेक्षता का ढोल पीटने वाले तो बहुत मिल जायेंगे, लेकिन वास्तविकता में ऐसा दिखता बहुत कम है। अभी तीन दिन पहले ही तो इसी ब्लॉग पर ख़बर थी एक ऐसे मदरसे की जहाँ दिन की शुरुआत गाँधी जी के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम से होती है तो शाम को जय हिंद का उदघोष होता है। अब जो ख़बर आयी है इसका भी कोई जवाब नहीं है।

तमिलनाडु के कोथांडा रामा स्वामी मंदिर में बृहस्पतिवार को श्रध्दालुओं की भीड़ किसी हिंदू द्वारा नहीं बल्कि एक मौलवी एम। अब्दुल सलाम के मुख से कांबा रामायण सुनने को जुटती हैं। एक बार गीता पर प्रवचन देने का कार्यक्रम रद करने वाले एक हिंदू अध्यापक की जगह सलाम ने प्रवचन दिया और तभी से स्थानीय हिंदू, मुस्लिम और क्रिश्चियनों के धार्मिक संस्थानों में उन्हें मान्यता मिलने लगी। चार साल पहले स्थानीय कालेज में तमिल अध्यापक सलाम को भागवत गीता पर प्रवचन देने पर लोग प्यार से 'गीता सलाम' पुकारने लगे। उन्होंने पवित्र ग्रंथ के संदर्भ में अपने ज्ञान से सभी को चकित कर दिया। इसके चलते सलाम, स्थानीय मस्जिदों और चर्चों में भी काफी लोकप्रिय हैं। सलाम का पता भी इतना लोकप्रिय है कि खत पर सिर्फ 'गीता सलाम, रामनाथपुरम डिस्ट्रिक्ट' लिखना है और वह अपने पते पर आसानी से पहुंच जाएगा।

तमिल साहित्य के छात्रों को सलाम गीता और रामायण की ओर भाषा और दूसरे धर्मों को समझने के जुनून के माध्यम से अपनी ओर आकर्षित करते हैं। हालांकि सलाम संस्कृत नहीं जानते। वह केवल उसका अनुवादित संस्करण ही पढ़ते हैं। उनके पास गीता के 12 संस्करण मौजूद हैं।

1 comment:

Rajeev Ranjan said...

It's indeed a true patriotic and extremly human nature shown by honourable MR kalam .Through Mr kalam we can see how much good Islam is .Regads a million