भारत की तलाश

 

Thursday, December 3, 2009

केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री के पांच सितारा होटल का बिल 37 लाख रुपए

तृणमूल कांग्रेस कोटे से केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री सुल्तान अहमद को पांच सितारा होटल खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। वे छह माह से अशोका होटल में हैं और उनका 37 लाख रुपए तक पहुंच गया है।

केंद्रीय मंत्री के एक करीबी ने बताया है कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने उनसे कहा है कि वे होटल का बिल चुकाएं। अहमद पहली बार सांसद बने हैं और उन्हें मंत्री वाला बंगला अलॉट हुआ है। सीपीडब्लूडी ने उसे तैयार नहीं करवाया है इसलिए वे उसमें जा नहीं पा रहे।

मंत्री बनने से पहले वे आईटीडीसी के सम्राट होटल में एक माह रहे थे। अहमद ने बताया कि उन्हें अभी तक बिल नहीं मिला है।

Tuesday, November 10, 2009

करदातायों से 3 साल में 30 मंत्रियों ने 300 करोड़ रुपए खर्च करवाए, अपनी देशी-विदेशी यात्रायों पर

एक कार्यकर्ता एस सी अग्रवाल द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में कैबिनेट सचिवालय ने यह जानकारी दी है कि पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्रियों के विदेश व घरेलू दौरे ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर पिछले तीन साल में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं। कैबिनेट सचिवालय द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 2006-07 और 2008-09 की अवधि में कैबिनेट मंत्रियों ने विदेश यात्रा पर 137 करोड़ रुपये से अधिक रकम खर्च किए। वित्त वर्ष 2007-08 में सर्वाधिक 115 करोड़ रुपये खर्च किए गए। दिलचस्प बात यह है कि उक्त अवधि में मंत्रियों का घरेलू यात्रा पर खर्चा विदेश यात्रा पर व्यय की गई राशि से ज्यादा है। आंकड़े बताते हैं कि तीन साल की अवधि के दौरान मंत्रियों ने घरेलू यात्रा पर 163 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए।


संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के पहले कार्यकाल में कैबिनेट स्तर के 30 मंत्री थे। मंत्रियों द्वारा 2008-09 में घरेलू यात्रा पर 94.4 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जो इससे पूर्व दो वर्ष में खर्च की गई कुल राशि के मुकाबले 38 फीसदी ज्यादा है। कैबिनेट सचिवालय द्वारा दिए गए जवाब में यह भी कहा गया है कि राज्यमंत्रियों ने उस अवधि (2006-07 से 2008-09) के दौरान अपनी विदेश यात्राओं पर लगभग 21 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि इसी अवधि में घरेलू यात्राओं पर 27 करोड़ रुपये व्यय किए।

इसी प्रकार, केंद्रीय मंत्रियों ने विदेश और घरेलू यात्राओं पर वित्त वर्ष 2008-09 में 127 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि 2007-08 और 2006-07 के दौरान खर्च की गई राशि क्रमश: 138.7 करोड़ रुपये और 82.3 करोड़ रुपये है।

कैबिनेट सचिवालय के जवाब में यह नहीं बताया गया कि विभिन्न मंत्रियों ने कितनी राशि खर्च की क्योंकि इस संबंध में आंकड़ा विभिन्न मंत्रियों के पैसा निकालने और वितरण से संबद्ध अधिकारियों (डीडीओ) के पास है। कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मंत्रालय के वरिष्ठ एकाउंट अधिकारी जे एल खुराना ने कहा कि यह कार्यालय हर मंत्रालय के इस तरह के खर्चो का अलग-अलग हिसाब नहीं रखता, बल्कि उन्हें एक साथ एक ही मद में डाल दिया जाता है।

प्राप्ति और अदायगी के मौजूदा नियम के मुताबिक इस तरह का अलग-अलग हिसाब संबद्ध मंत्रालय का डीडीओ ही रखता है।

Saturday, October 10, 2009

खून से लहूलुहान, तड़पते रहे जवान: नेता जी की चुनावी सेवा में लगा रहा हेलीकॉप्टर

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में माओवादियों के हमले के बाद खून से लहूलुहान और मदद के लिए तड़पते पुलिसकर्मी। वे वॉकी-टॉकी से अपने अधिकारियों को एक हेलिकॉप्टर भेजने की मिन्नत कर रहे थे। लेकिन हेलिकॉप्टर चंद किलोमीटर दूर होने के बाद भी नहीं पहुंचा।...क्योंकि हेलिकॉप्टर चुनावी रैली में आए नेताजी की सेवा में था।

गढ़चिरौली में 300 माओवादियों ने 40 पुलिसकर्मियों के दल पर हमला बोल दिया था। इससे ठीक 24 घंटे पहले कांग्रेस के उम्मीदवार धर्मराव बाबा आत्राम चुनावी रैली के लिए वहां हेलिकॉप्टर से आए। इस हमले में 17 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। बाकी जो बचे वह अपने घायल साथियों के लिए अधिकारियों से वॉकी-टॉकी से मदद की गुहार लगाते रहे। उन्हें भरोसा दिलाया गया कि उनके घायल साथियों की मदद के लिए हेलिकॉप्टर भेजा जा रहा है। लेकिन पांच घंटे गुजर गए, हेलिकॉप्टर नहीं आया।

इस हमले में बचे जवानों की जुबान पर बस एक ही सवाल है। आखिर वह हेलिकॉप्टर क्यों नहीं आया? कुछ जवान नाम न छापने की बात पर कहते हैं अगर हेलिकॉप्टर से मदद मिल जाती,तो उनके इतने साथी जान न गंवाते। यदि हेलिकॉप्टर वहां से गुजरता भी तो माओवादी उससे ही डर जाते। बिना किसी मदद के हम अपने साथियों को दम तोड़ते देखते रहे। गढ़चिरौली में 4 हेलिकॉप्टर तैनाती के लिए तैयार हैं। लेकिन अभी तक वहां एक भी हेलिकॉप्टर नहीं है।


17 शहीद पुलिसकर्मियों का जब अंतिम संस्कार हो रहा था, तो वहां हेलिकॉप्टर से पहुंचे गृह मंत्री जयंत पाटिल को देखकर जवानों के घाव हरे हो रहे थे।

अपने रिश्तेदार सुरेश को इस हमले में खो देने वाले रमेश दुर्गे ने कहा, 'सरकार को नेताओं को हेलिकॉप्टर देने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जब गढ़चिरौली मे जवानों की जान बचाने के लिए हेलिकॉप्टर भेजने की बात आई तो दिक्कत आ गई। क्या हमारी जान की कोई कीमत नहीं है।?'

Friday, September 18, 2009

वोडाफोन अब लड़कियों की दलाली पर उतर आई!!

अदालत के हुक्म पर पचास लाख रुपए का जुर्माना भुगत चुकी वोडाफोन कंपनी अब सीधे सीधे लड़कियों की दलाली पर उतर आई है। हजारों लड़कियां और गृहणियां हैं जिन्हें दिन में तीन घंटे कहीं से भी आने वाले फोन पर हर तरह की बातें करने के बदले पचास रुपए रोज दिए जाते हैं ... एक लड़की को तीन हजार रुपए महीने मिलते हैं और उसके लिए तीन घंटे रोज बात करना अनिवार्य है। वोडाफोन हर कॉल का दो रुपए प्रति मिनट लेता है यानी तीन घंटे में छत्तीस सौ रुपए कमाता है। मतलब साफ है कि इन गरीब लड़कियों से भी वोडाफोन छह सौ रुपए महीना कमा रहा ...


चंडीगढ़ वाली महिला ने ये भी बताया कि लोग रात में बात करने के लिए बार बार फ़ोन करते रहते है पर वे अपना फ़ोन बंद नहीं कर सकती क्योकि दो बार से ज़्यादा फ़ोन बंद मिलने पर वोडाफोन इनके पूरे महीने के पैसे काट लेता है जो इनके लिए जरुरी है, सो ये चुपचाप लोगो की गन्दी गन्दी बाते भी मज़बूरी में सुनती हैं।...

पढ़िये यह सनसनीखेज खुलासा अरविंद सिंह की कलम से डेटलाइन इंडिया पर

Thursday, September 10, 2009

कानपुर में शिक्षक 10 का पहाड़ा नहीं सुना पाये!! बुलंदशहर में अश्लील क्लिपिंग देखते-दिखाते मिले, क्लास में!!

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में गणित के आसान से सवालों का जवाब न दे सकने वाले सरकारी स्कूल के 15 अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार से सिफारिश की है। जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार ने 9 सितम्बर को आईएएनएस को बताया कि विगत दो दिनों के दौरान जिले के प्राथमिक स्कूलों में अध्यापन मूल्यांकन के लिए हुए औचक निरीक्षण के दौरान कई स्कूलों के अध्यापक आसान से गणित के सवालों का जवाब नहीं दे पाए। कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार से इन अध्यापकों की वेतनवृद्धि पर रोक और वेतन में कटौती की सिफारिश की गई है।

उन्होंने बताया कि अध्यापकों का इस तरह के सवालों का जवाब देने में असमर्थ होना उनके लिए चौंकाने वाला था। जिस स्कूल के अध्यापक इतने आसान सवालों का जवाब नहीं दे सकते हैं तो वहां के छात्रों से बेहतर प्रदशर्न की उम्मीद कैसे की जा सकती है। अधिकारियों के मुताबिक अध्यापकों से पूछे जाने वाले सवाल गणित पर आधारित और बेहद सरल थे, लेकिन कुछ अध्यापक उनका जवाब देने में असमर्थ रहे तो, कुछ ने गलत जवाब दिया। अधिकारियों ने बताया कि कुछ स्कूल के अध्यापक तो 10 और 20 का पहाड़ा तक पूरा नहीं सुना पाये।


समाचार यहाँ पढ़ें

**********************************
बुलंदशहर में तो एक शिक्षक को अपने मोबाईल पर अश्लील क्लिपिंग देखने व छात्रों को दिखाने की शिकायत पर जाँच का सामना करना पड़ रहा है।

समाचार यहाँ पढ़ें

Thursday, September 3, 2009

रंगरेलियां मनाने से मना किया तो छात्र-छात्रा ने पुलिस वाले को कार से कुचल कर मार डाला

जबलपुर का एक किस्सा सामने आया है जिसमें कार में रंगरेलियां मनाने से मना करने पर गुस्साए छात्र-छात्रा ने एक पुलिसकर्मी की कार से कुचलकर हत्या कर दी। कैंट थाना इंचार्ज अखिल वर्मा ने मीडिया को बताया कि 2 सितम्बर की रात गोलछा कम्पाउंड के पास एक कार काफी देर से खड़ी थी जिसमें एक युवक और युवती रंगरेलियां मना रहे थे। कैंट थाने में तैनात देवीसिंह परोहा ने युवक-युवती से कार में रंगरेलियां करने से मना किया तो युवक नाराज हो गया और उसने पुलिसकर्मी को कार से कुचल दिया जिससे उसकी मौत हो गई।

पुलिस ने कार लेकर भाग रहे युवक-युवती को पीछा कर उन्हें बेलबाग थाना क्षेत्र में पकड़ लिया। छात्र की पहचान हितकारणी इंजीनियरिंग कालेज के थर्ड ईयर में पढ़ने वाले के रुप में हुई है। वह गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला है जबकि युवती की पहचान होम साइंस कालेज में सेकंड ईयर में पढ़ने वाली के रुप में हुई है। वह हॉस्टल में रहकर पढ़ रही है। युवक-युवती को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है।

Wednesday, September 2, 2009

अनाथालय की छह वर्षीय बालिका द्वारा रात में बिस्तर गीला: अधिकारियों ने गरम लोहे की छड़ से दागा

तिरूवनन्तपुरम में छह वर्षीय बालिका द्वारा रात में बिस्तर गीला कर देने पर अनाथालय के अधिकारियों ने बालिका को गरम लोहे की छड से दाग दिया। बालिका के रिश्तेदार की शिकायत पर पुलिस ने अनाथालय के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार घटना का पता उस समय चला जब ओणम पर्व के लिए हुई छुटिटयों में बालिका के रिश्तेदार उसे घर लाए। रिश्तेदारों ने जब उसकी छाती और बांह पर जले के निशान देखे तो उससे पूछताछ की। जवाब में बालिका ने कहा कि बिस्तर गीला कर देने पर अनाथालय के अधिकारियों ने उसे यह सजा दी है। हालांकि अनाथालय अधिकारियों ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि गरम चाय गिरने से वह जली है।

Tuesday, September 1, 2009

नकली नोट पकड़ने की अनूठी मशीन, भारत के वैज्ञानिकों ने बनाई

नकली नोट से भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने की साजिश रचने वालों के दिन शायद खत्म होने पर आ गये हैं। भारत में बनी आटोमेटिक काउटरफीट करेंसी डिटेक्टर मशीन इसी नवंबर में बाज़ार में उतरने जा रही है। चंडीगढ़ के केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (CSIO) के वैज्ञानिकों द्वारा इस मशीन को बनाया गया है। इसमें छह सेंसर लगे हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि छह सेंसर वाली यह पहली मशीन होगी। इससे पहले एक सेंसर वाली मशीनें बाजार में उपलब्ध हैं।


नवंबर में लांच होने वाली मशीन नोट के विभिन्न पक्षों कागज, छपाई, हस्ताक्षर, फोटो, नंबर व वाटर प्रिंट को एक साथ पढ़ने में सक्षम है। इसमें एक मिनट में एक हजार नोटों की परख एवं गिनती एक साथ की जा सकती है। नकली नोट रखते ही इसमें लगा अलार्म बजने लगता है। अलार्म तब तक बंद नहीं होता जब तक नोट मशीन से बाहर नहीं निकाल लिया जाता। रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक में नई तकनीक के कई सफल परीक्षण भी किए जा चुके है। नई तकनीक यूनाइटेड स्टेट पेटेट एप्लीकेशन पब्लिकेशन और व‌र्ल्ड इटलैक्चुअल प्रापर्टी आर्गेनाइजेशन-विप्रो से पेटेट भी कराया जा चुका है। सीएसआईओ ट्रेक्नोलाजी ट्रांसफर की प्रक्रिया 26 सितंबर को की जाएगी। सुरक्षा कारणों से अभी कंपनी के नाम की घोषणा नहीं की जा रही है।

सीएसआईओ के वैज्ञानिक एचके सरदाना के मुताबिक नकली नोट पकड़ने वाली इस मशीन में 3+3 की तर्ज पर छह सेंसर लगे है। नकली नोट को गारंटी के साथ पकड़ने में मशीन कामयाब है। उन्होंने बताया कि करीब पांच साल के अनुसंधान के बाद इस तकनीक को ईजाद किया गया है। इस प्रोजेक्ट में अब तक 50 लाख रुपये खर्च हुए है। मशीन का साइज ए4 है और माडल पोर्टेबल, कीमत 45 से 50 हजार रुपये के बीच है।




ईमेल करें

मैसेंजर के द्वारा भेजें

प्रिंट संस्‍करण
लेख को दर्जा दें

बिना जरूरत ही खरीद डालीं 130 करोड़ की दवाएं!!

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में करोड़ों रुपये का घोटाला करने के आरोप में फंसे झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य सचिव प्रदीप कुमार सहित कई आरोपियों के ठिकानों पर 31 अगस्त को सीबीआई ने छापा मारा। सीबीआई के अनुसार कुमार ने दवा आपूर्ति करने वाले नौ लोगों के साथ मिल कर मिशन के लिए ऐसी दवाइयां खरीदीं जिनकी जरूरत ही नहीं थी। इन दवाओं की खरीद के लिए सारे नियम-कायदों की भी धज्जियां उड़ा दी गई। 1991 बैच के आईएएस कुमार गत जून तक तक झारखंड में स्वास्थ्य सचिव थे। वह फिलहाल संस्थागत वित्त सचिव के पद पर हैं।


सीबीआई के अनुसार कुमार के साथ मिल कर इन लोगों ने एक साजिश के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए ऐसी दवाइयां खरीदीं जिनकी जरूरत ही नहीं थी। ये दवाइयां 2008 के दौरान प्रदीप के स्वास्थ्य सचिव रहते हुए खरीदी गई थीं। 130 करोड़ रुपये से ज्यादा की ये दवाइयां भंडार गृह में रखे-रखे खराब हो गई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए खरीदे गए महंगे उपकरणों का भी उपयोग नहीं किया जा सका।

Monday, August 31, 2009

पिता ने पार्टी में जाने नहीं दिया तो बेटियों ने बलात्कार का आरोप लगवा कर फंसवा दिया

मुंबई के मीरा रोड में रहने वाले मनोज पटेल को जिम्मेदार पिता बनने पर बेटियों ने ऐसी सजा देने की ठानी की रिश्तों की सारी मर्यादाएं तार-तार हो गईं। जिम्मेदार पिता होने के नाते मनोज अपनी दोनों नाबालिग बेटियों को बेवजह बाहर आने-जाने और मौज मस्ती से मना करते थे। इससे नाराज बेटियों ने उन पर दो साल पहले बलात्कार का आरोप लगा दिया था। दो साल तक इस कलंक के साथ जीने के बाद ठाणे सेशन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। बिना अपराध किए जेल जाने और शर्मसार होने के बावजूद उन्होंने बेटियों को माफ कर दिया है। 29 अगस्त को रिहा होने के बाद कहा कि उन्होंने बेटियों ने जो किया, उसकी उन्हें तब समझ नहीं थी।


नवभारत टाईम्स के मुताबिक मामला यह था कि 31 दिसंबर, 2007 की रात पिता ने नए साल के जश्न की जगह बेटियों को घरेलू प्रार्थना में हिस्सा लेने को कहा था। वे प्रार्थना में गईं तो जरूर, लेकिन उसी दिन पिता को सबक सिखाने का प्लान बना लिया। अगले दिन दोनों ने भयंदर पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने छेड़छाड़ का मामला दर्ज कर राकेश को गिरफ्तार कर लिया। जमानती मामला होने के कारण बेटियों ने दोबारा पुलिस से संपर्क किया। उन्हें डर था कि छूटने के बाद पिता बख्शेंगे नहीं। आरोप है कि इसी दौरान एक एनजीओ की कुछ महिलाओं ने उनसे संपर्क किया। इसके बाद ही बेटियों ने बलात्कार का आरोप लगा दिया।

मनोज को सात महीने बाद जमानत मिल सकी थी। इस बीच उनकी पत्नी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मां पर रेप की बात छुपाने के आरोप लगा था। लेकिन उनके वकील ने अदालत में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। उन्होंने शिकायत में बताए गए समय को झूठा साबित किया और मेडिकल रिपोर्ट में कई कमियां उजागर कीं। लिहाजा कोर्ट ने मनोज को बरी कर दिया।

लेकिन जो दाग 46 वर्षीय मनोज पर लगे हैं, वह उससे आहत हैं। पुराने निवास पर जाने के नाम से ही उन्हें डर लगने लगता है। बेटियों से उनकी बातचीत तो होती रहती है, लेकिन वे अलग- अलग रह रहे हैं।

Saturday, August 22, 2009

महिला फौजी अधिकारियों को पेंशन नहीं, मेडिकल सुविधा नहीं; फौज़ में शामिल होने का मलाल इन्हें

तीनों सेनाओं की सर्वोच्च सेनापति भले ही एक महिला हों, लेकिन उनके मातहत काम कर रही भारतीय रक्षा सेनाओं में महिलाएं समान हक के लिए अब भी छटपटा रही हैं। रक्षा मंत्रालय की नाकाम नीतियों के कारण अल्प सेवा कमीशन की महिला अधिकारी सेवा छोड़ने को मजबूर हैं। दैनिक जागरण में प्रणव उपाध्याय की एक दिलचस्प रिपोर्ट है कि अपने ही संगठन की बेरुखी के चलते तीनों सेनाओं की करीब ढाई हजार महिला अधिकारियों को अब इंतजार है दिल्ली हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई का। जहां सरकार को यह बताना है कि तीन सेवा विस्तार और 14 साल की सेवा के बावजूद इन अधिकारियों को सेना क्यों न तो स्थायी कमीशन दे रही है और न ही सेवानिवृत्ति के लाभ। सुनवाई पर भी यदि सालीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम सरकार की नीति साफ करने में नाकाम रहे तो शायद नौ और महिला अधिकारी 25 अगस्त को सेना से खाली हाथ रुखसत हो जाएंगी।


महिलाओं को स्थायी कमीशन न देने को लेकर सरकार के तर्क भी कम रोचक नहीं हैं। न्यायालय में बीते तीन साल से चल रही सुनवाई में सरकार ने कभी अमेरिकी सेना के माडल का हवाला दिया तो कभी इन अधिकारियों के कम प्रशिक्षण का। महिलाओं को स्थायी कमीशन न दे पाने के लिए सरकार ने यहां तक कहा कि इनके युद्धबंदी बनने पर काफी फजीहत हो सकती है। हालांकि कोर्ट का रुख देखते हुए अगली सुनवाई में सरकार ने अपनी नीति स्पष्ट करने का भरोसा जरूर दिलाया है।

नब्बे के शुरुआती दशक में महिलाओं के लिए अल्प सेवा कमीशन के रास्ते खोले गए। आरंभिक पांच साल की सेवाओं के बाद इन अधिकारियों को पहले पांच साल और बाद में चार साल का सेवा विस्तार दिया गया। लेकिन अब, प्रयोग के तौर पर अधिकारी बनाई गई इन महिला अफसरों को रक्षा मंत्रालय 14 साल की सेवा के बाद चलता कर रहा है। विदाई भी ऐसी कि फौज को अपने उम्र के बेहतरीन साल देने के बाद इन महिला अफसरों के हाथ न तो पेंशन है, न मेडिकल सुविधाएं और न ही पूर्व सैनिक का दर्जा। है तो बस एक रिलीज आर्डर। हालत यह है कि मार्च 2008 में सेना से बाहर हुई मेजर अंकिता श्रीवास्तव अब बायो-डाटा लिए नौकरी की तलाश में भटकने को मजबूर हैं। डेढ़ साल से बेरोजगार मेजर श्रीवास्तव किसी पद के लिए अति शिक्षित हैं तो कहीं उम्र के पैमाने पर अनफिट। कभी मिस इलाहाबाद रही शहर की पहली महिला फौजी अधिकारी को अब सेना में शामिल होने का ही मलाल है।

दो फीसदी विधवा कोटे से सेना में शामिल हुई महिला अधिकारियों की मुसीबत दोहरी है। अपना पति खोकर सेना के सहारे पारिवारिक जिम्मेदारियां निभा रही इन अधिकारियों के पास तो अधेड़ उम्र की बेरोजगारी से निपटने के लिए जीवनसाथी का संबल भी नहीं है। न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाली सेना और वायुसेना की 58 अधिकारी भारतीय रक्षा सेनाओं पर सीधे लिंगभेद का आरोप लगाती हैं। चंद दिनों पहले सेवामुक्त हुई पूर्व विंग कमांडर स्मृति शर्मा कहती हैं कि 'महिलाओं के लिए ना तो सेवा शर्तो में कोई छूट है और ना ही सेवा स्थितियों में रियायत। लेकिन, जब बारी सेवा लाभ देने की आती है तो हमें हर बार पीछे धकेला जाता है। यह सब तब जब रक्षा सेनाओं में अफसरों के 24 हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। एक सेवारत महिला अधिकारी कहती हैं कि 'इस बारे में रक्षामंत्री, रक्षा राज्यमंत्री, यूपीए अध्यक्ष और राष्ट्रपति का दरवाजा खटखटाया जा चुका है। हर कोई मामले से सहानुभूति तो जताता है लेकिन अब तक कोई ठोस नीति नहीं बन पाई है।' महिला अफसरों के मुताबिक उनके स्थायी कमीशन की राह में सबसे बड़ा रोड़ा रक्षा बलों के मुखियाओं का रुख है।

Thursday, August 13, 2009

रेलवे की नौकरी के लिए परीक्षा का प्रश्नपत्र हिन्दी में नहीं होगा!!

भई वाह! रेलवे की नौकरी के लिए परीक्षा हो और उसका प्रश्नपत्र हिन्दी में न हो, क्या ऐसा संभव है? अभी तक तो नहीं था, लेकिन स्वतंत्रता दिवस के दो दिन पहले यह खबर है कि रेल मंत्रालय ऐसा करने की तैयारी में है। खबरें बताती हैं कि रेलमंत्री ममता बनर्जी ने मंत्रालय संभालने के बाद यह नोटिस जारी किया कि रेलवे की परीक्षाएँ अँगरेजी या क्षेत्रीय भाषा में कराई जाएँ।


अभी तक रेलवे में भर्ती के लिए ग्रुप-डी की परीक्षाएँ अँगरेजी, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा में होती हैं। ग्रुप-सी की परीक्षाएँ अँगरेजी और हिन्दी में होती हैं। इसमें क्षेत्रीय भाषाओं को भी शामिल करने की बात लंबे समय से हो रही थी। इससे किसी को असहमति नहीं थी, पर हिन्दी को दरकिनार किए जाने की कोशिशों से हड़कंप मचा हुआ है। परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने और हिन्दी को बाहर का रास्ता दिखाने या किनारे करने के लिए मंत्रालय ने बाकायदा एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। जब रेल मंत्रालय से आधिकारिक राय जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने बस इतना माना कि एक कमेटी का गठन हुआ है।

अधिकारियों ने इतना कहा कि ऐसा होने पर नीतिगत बयान आएगा और फिर उसकी मंजूरी मंत्रिमंडल से लेना पड़ेगी। दिलचस्प यह है कि ऐसी किसी पहल से उन्होंने इनकार भी नहीं किया। हालाँकि एक वरिष्ठ रेल अधिकारी ने माना कि ऐसी कोशिश हो रही है। इसे क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के नाम पर किया जा रहा है।

इस अधिकारी ने बताया कि अभी यह समझदारी बनी है कि जिन राज्यों में हिन्दी बोली जाती है, वहाँ तो हिन्दी में परीक्षा होगी, लेकिन उन राज्यों के बाहर सिर्फ अँगरेजी या क्षेत्रीय भाषा में ही परीक्षाएँ हों। इसकी सुगबुगाहट तभी शुरू हुई थी, जब रेलमंत्री ने क्षेत्रीय जोनों की भर्ती में वहाँ के निवासियों के लिए विशेष प्रावधान की घोषणा की थी।

सवाल है कि जो हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है, उसकी क्या इस तरह उपेक्षा की जा सकती है?

Saturday, June 20, 2009

गर्भवती महिला, उसकी तीन साल की बेटी को रेलवे पुलिस के सिपाहियों ने चलती ट्रेन से फेंका

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक गर्भवती महिला और उसकी तीन साल की बेटी को रेलवे पुलिस के दो सिपाहियों ने चलती ट्रेन से फेंक दिया। वारदात में महिला और उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई जबकि महिला की बेटी जख्मी हो गई है। दरअसल महिला के पति दिनेश कुमार ने मैलानी गोंडा पैसेंजर में अपनी साइकिल रखी हुई थी। जिसको लेकर रेलवे पुलिस के सिपाही दिनेश से 100 रुपए मांग रहे थे। लेकिन उसके पास केवल 10 रुपए थे। यही अवैध वसूली को लेकर दिनेश और जीआरपी के दो सिपाहियों से बीच तकरार हो गई।

जीआरपी के सिपाहियों ने दिनेश की गर्भवती पत्नी और उसकी 3 साल की बेटी को ट्रेन से धक्का दे दिया। हादसे में गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई। जबकि 3 साल की बेटी को हल्की चोटें आई है।

पुलिस के मुताबिक दोनों आरोपी सिपाहियों की पहचान राम सिंह और सुधीर सिंह के रूप में हुई है। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच का आदेश दिया है।

Wednesday, June 17, 2009

एक कचौरी और पाँच रूपये देकर बच्चों का ख़ून निकल लेते थे डॉक्टर

राजस्थान में पुलिस ने दो डॉक्टरो सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है जो महज एक कचौरी, जूस और पांच रुपए देकर बच्चों का ख़ून निकल लेते थे। राज्य की करौली जिले की पुलिस के मुताबिक ऐसे बच्चों की संख्या तीस तक हो सकती है जो इस तरह ख़ून निकले जाने का शिकार हुए है। शिकायत पर चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि अभी दो और डॉक्टरों की तलाश है। इस गिरोह के लोग पहले बच्चों का अपरहण करते थे और फिर ख़ून निकल लेते थे। ये घटना ऐसे समय सामने आई है जब दुनिया विश्व रक्तदान दिवस मना रही थी।

सरसरी तौर पर ऐसा पता लगा है की कम से कम तीस बच्चों का इस तरह ख़ून निकाला गया। पुलिस का कहना है कि इस मामले में डॉक्टरों के अलावा कुछ मेडिकल कर्मचारी भी शामिल थे। पुलिस को इस घटना का पता तब लगा जब दो अभिभावकों ने करौली में पुलिस के सामने शिकायत दर्ज कराई कि उनके बच्चों का जबरन ख़ून निकाल लिया गया। पुलिस कहती है इस मामले में एक बिचौलिया भी हिरासत में लिया गया है।

पुलिस को जानकारी मिली है कि इस धंधे में दो स्थानीय निजी अस्पताल भी शामिल थे।

Monday, June 1, 2009

दबंगों ने जेसीबी से गड्ढा खोदकर वृद्घा को जिंदा दफनाया

जमीन पर कब्जे का विरोध कर रही वृद्घा को दबंगों ने जेसीबी से गढ्डा खोदकर मौके पर ही जिंदा दफन कर दिया। परिजनों को पता चला तो गड्डे से निकालकर वृद्घा को उपचार के लिए ले गये, लेकिन उसने दम तोड़ दिया। यह मामला मथुरा के थाना कोसी क्षेत्र के गांव हुलवाना (पीपरवाला) का है।


गांव के ही रामजीत, फत्तो सिंह, महेंद्र, राजेंद्र, बलराम, कैलाश आदि एकत्र होकर जेसीबी से अपने प्लाट में मिट्टी भरा रहे थे। इसी दौरान उन्होंने गोपाल की जमीन पर भी कब्जा करना शुरू कर दिया। गोपाल की पत्नी किशन वहां परिवार के छोटे-छोटे बच्चों को लेकर मौजूद थी। जमीन पर कब्जा होता देख किशन ने विरोध किया।

जब जेसीबी ने उसके प्लाट से मिंट्टी खोदना बंद नहीं किया तो वृद्घा जेसीबी के सामने खड़ी हो गयी। यह देखकर चालक जेसीबी मशीन को बंद कर दिया, लेकिन रामजीत नामक दबंग ने चालक को उतारकर जेसीबी को स्टार्ट किया और धक्वा देकर किशन को गिरादिया। इसके बाद उसने जेसीबी से गड्ढा खोदकर किशन को जिंदा दफन कर दिया।

दबंगई की जानकारी होने पर मौके पर पहुंचे परिजनों ने मिट्टी हटाकर गढ्डे से किशन को बाहर निकाला। और एक स्थानीय अस्पताल में पहुंचाया, जहां गंभीर हालत पर ध्यान दिये बगैर प्राथमिक उपचार कर वृद्घा को वापस भेज दिया गया।

Sunday, May 31, 2009

विधायक के विवाह में 20 करोड़ रुपये का खर्च

इतनी शानदार शादी शायद ही पहले कभी किसी ने देखी हो। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री बी. श्रीरामुलु के भतीजे और विधायक टीएच सुरेश बाबू के विवाह में 20 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 29 मई को 27 वर्षीय बाबू का विवाह दीपा से हुआ। 8 एकड़ में बनाए गए पंडाल को महल का रूप दिया गया था, जहाँ 40 हजार मेहमानों की खातिरदारी की गई। लौह अयस्क खदानों के मालिक श्रीरामुलु ने मुख्यमंत्री सहित वीआईपी मेहमानों को लाने के लिए हेलिकॉप्टर के बेड़े का इंतजाम किया था। मेहमानों को गर्मी से निजात दिलाने के लिए 500 एसी लगाए गए थे और बिजली के लिए पावरफुल जनरेटर मौजूद थे। कई प्रकार के स्वादिष्ट पकवान 200 से ज्यादा खानसामों ने तैयार किए। सूत्रों के अनुसार भोजन तैयार करने में 11 हजार क्विंटल चावल का इस्तेमाल हुआ, जिसमें 1 हजार क्विंटल बासमती चावल शामिल है।

Tuesday, May 12, 2009

प्रमोशन की खुशी पर थाने में दारू पार्टी, पकड़े जाने पर एसएचओ एसीपी की ओर जिप्सी दौड़ाते भागा

आज नवभारत टाइम्स पर एक मज़ेदार खबर दिखी, जिसे शब्दश: यहाँ पेस्ट किया जा रहा है। हुया यह कि दरोगा के इंस्पेक्टर बनने की खुशी में पुलिसकर्मियों ने थाने के अंदर ही शराब की पार्टी कर डाली। किसी दिलजले ने विजिलेंस को खबर दे दी। रेड पड़ते ही पुलिसवाले भाग गए। थाने में दारू पीने और मेडिकल चेकअप कराने के बजाय भाग खड़े होने पर एसएचओ को सस्पेंड कर दिया गया है। घटना रविवार रात नॉर्थ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के स्वरूप नगर थाने में हुई।

इस थाने के सब इंस्पेक्टर सतबीर का प्रमोशन हुआ था। तीन दिन पहले उन्हें इंस्पेक्टर बनाकर क्राइम अगेन्स्ट वुमन सेल भेजा गया था। इस 'खुशी' में पार्टी का फैसला किया गया। पार्टी की जगह तय की गई थाने के अंदर। रविवार रात दर्जन भर पुलिसवाले थाने में मदिरापान कर नॉन वेज खाने में जुटे हुए थे। इसी दौरान किसी ने डिस्ट्रिक्ट विजिलेंस को फोन कर रंग में भंग डाल दिया। रात 10:30 बजे विजिलेंस की टीम थाने में पहुंची तो पार्टी पूरे शबाब पर थी। विजिलेंस वालों को देखते ही झूम रहे पुलिसवालों में भगदड़ मच गई। एसएचओ राजेश नथानी के अलावा, सब छलांग लगाते हुए फरार हो गए। एसएचओ नथानी को रोकने में विजिलेंस कामयाब हो गई। उनसे मेडिकल चेकअप कराने के लिए हॉस्पिटल चलने को कहा गया। मेडिकल चेकअप की बात सुनते ही एसएचओ भी वहां से भाग खड़े हुए।

एसीपी प्रेमनाथ ने अफसरों को दी गई रिपोर्ट में बताया कि एसएचओ ने भागते हुए जिप्सी उनकी ओर दौड़ा दी थी, जिससे वह बड़ी मुश्किल से बचे। विजिलेंस की टीम ने मौके से शराब की कई बोतलें और आधे भरे जाम जब्त कर लिए। रात में ही सीनियर पुलिस अफसरों को माजरे की जानकारी दी गई।

जॉइंट पुलिस कमिश्नर (नॉर्दर्न रेंज) कर्नल सिंह ने बताया कि एसएचओ राजेश नथानी को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि थाने के अंदर शराब पीने और मेडिकल चेकअप कराने के बजाय फरार हो जाने के कारण नथानी को सस्पेंड किया गया है। पार्टी में शामिल बाकी पुलिसवालों की पहचान की जा रही है। उनके खिलाफ भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि प्रमोशन के साथ ही इंस्पेक्टर सतबीर के सस्पेंड होने की संभावना है। डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी के ऑर्डर कर दिए गए हैं।

Saturday, April 25, 2009

महाराष्ट्र के मंत्री को प्रेमिका संग पकड़ा बीबी ने, दोनों की की पिटाई

महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री को उनकी पत्नी ने दूसरी महिला के साथ रंगे हाथ पकड़ लिया। मंत्री की पत्नी ने न केवल उस महिला की चुटिया खींची , बल्कि अपने पति की भी जमकर धुनाई की। महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में आजकल यह मुद्दा चुनाव जितना ही गर्म बना हुआ है।

खबरों के अनुसार यह घटना दक्षिणी मुंबई के मनोरा विधायक होस्टल में हुई, जब उनकी पत्नी ने होस्टल में प्रवेश किया तो मंत्री और उनकी महिला मेहमान प्रथम मंजिल के एक कमरे में थे। अपने पति को दूसरी महिला के साथ देखकर मंत्री की पत्नी का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा और उन्होंने उसकी धुनाई कर दी। यहां तक कि उन्होंने अपने पति को भी नहीं बख्शा। इस संबंध में कोई आधिकारिक शिकायत नहीं दर्ज की गई है।खबरों में यह भी बताया गया है कि मंत्री विदर्भ क्षेत्र से आते हैं और अशोक चव्हाण सरकार में उन्हें हाल ही में शामिल किया है।

मंत्री की पत्नी नागपुर में थी और उन्हें अगले दिन मुंबई पहुंचना था। मंत्री की पत्नी को कहीं से इसकी भनक लग गई थी कि उनके पति क्या गुल खिलाने वाले हैं और उसके बाद वह अंतिम उड़ान पकड़ कर अचानक मुंबई पहुंच गई।

वह ख़बर यहाँ देखी जा सकती है।

बीबी द्वारा नैनो की बुकिंग के लिए रजामंदी नहीं जताने पर फांसी लगा कर आत्महत्या

आम आदमी की कार नैनो के प्रति दीवानगी में, जमशेदपुर में एक व्यक्ति ने अपनी जान दे दी। टाटा मोटर्स की बहुचर्चित लखटकिया कार के इस दीवाने ने अपनी कामकाजी बीबी द्वारा नैनो की बुकिंग के लिए रजामंदी नहीं जताने पर पिछले दिनों कथित तौर पर फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली।खबरों के मुताबिक नगर के सिदगोड़ा क्षेत्र में एग्रिको निवासी अरुण तिवारी (40) ने कुछ ही दिन पहले पत्नी से नैनो की बुकिंग कराने की मांग की थी। इस बात को लेकर उसके परिवार में पिछले तीन-चार दिन से विवाद चल रहा था। बताया जाता है कि नैनो की बुकिंग से इंकार किए जाने से अरुण का दिल ऐसा टूटा कि उसने अपने घर में पंखे से धोती का फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली।

पेशे से एलआईसी एजेंट अरुण ने दो शादियां की थीं। उसकी दूसरी बीबी टाटा स्टील की सहायक कंपनी जुस्को में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी है, जबकि पहली पत्नी घरेलू महिला है। नैनो की बुकिंग को लेकर दोनों पत्नियों में भी कहासुनी हुई थी। अरूण की कामकाजी बीबी ने उसे कुछ माह पहले ही एक मोटरसाइकिल दिलाई थी पर वह इसे बेच कर नैनो खरीदना चाहता था।

Saturday, March 28, 2009

स्कूलों में फीस वृद्धि का मामला तूल पकड़ने लगा

छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बहाने स्कूलों में फीस वृद्धि के प्रयास के खिलाफ भारत के अभिभावक संघ लामबंद हो रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले पर जनहित याचिका दायर होने के बाद अब देश के बाकी राज्यों में भी अभिभावक अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बीच सत्र में फीस बढ़ाए जाने पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत की ओर से फीस वृद्धि पर एतराज जाहिर करने के बाद देश भर में स्कूलों के खिलाफ धरने-प्रदर्शनों का दौर भी शुरू हो गया है।

दैनिक भास्कर में अमित सिंह की रिपोर्ट है कि दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले पर जनहित याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट अशोक अग्रवाल से, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, पंजाब और गोवा समेत देश के कई शहरों के अभिभावक उनके संपर्क कर रहे हैं। दिल्ली में दायर जनहित याचिका को इन शहरों में फीस वृद्धि का विरोध कर रहे लोगों को भेजा जा रहा है। इस आधार पर जल्द ही वहां भी लोग अदालत की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं। 


अग्रवाल का कहना है कि राज्यों में स्कूलों के संचालन को लेकर नियम-कायदे बेहद लचर और असमान हैं। लेकिन ज्यादातर जगह फीस वृद्धि के मामले और अभिभावकों के शोषण की स्थितियां तकरीबन एक जैसी ही हैं। गुड़गांव में भी 27 मार्च को हजारों अभिभावकों ने नेशनल हाईवे जाम कर प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन किया। पानीपत में भी काफी दिनों से स्थानीय अभिभावक पब्लिक स्कूलों के खिलाफ लामबंद होकर मामले का विरोध करने में जुटे हैं। कानपुर में भी यह मामला काफी तूल पकड़ता जा रहा है। 26 मार्च को वहां के पब्लिक स्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन करते करीब 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह गोवा में भी सामाजिक कार्यकर्ता ओरलैंडो पचेको के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है।

Friday, March 27, 2009

7 लाख की सुपारी दे कर, इकलौते बेटे ने अपने माँ-बाप का कत्ल करवाया

पुलिस ने इंदौर के एक दंपति की हत्या के सनसनीखेज मामले के भंडाफोड़ का दावा करते हुए तीन लोगों को पकड़ा है।  इंदौर के पॉश इलाके तिलक नगर रहने वाले अजय कुमार जैन और उनकी पत्नी ऊषा जैन की चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी। दोनों की लाश घर की छत से बरामद हुई। लाश की हालत देखकर पुलिस भी हैरान थी। दोनों लाशों पर 90 से ज्यादा घाव थे। तफ्तीश के बाद आखिरकार पुलिस ने उनके बेटे और उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के मुताबिक बेटे ने ही अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर इस हत्या की साजिश रची थी। क्योंकि वो अपने मां-बाप की दौलत हथियाना चाहता था। उसने कथित तौर पर अपने माता पिता की हत्या का सौदा करीब साढ़े सात लाख रुपये में तय किया था।

25 मार्च की सुबह शहर के पलासिया थाना क्षेत्र में अजय कुमार जैन (60) और उनकी पत्नी उषा जैन (55) की लहूलुहान लाश बरामद हुई थी। इनकी हत्या 24 मार्च की रात धारदार हथियारों से की गयी थी। पुलिस द्वारा, जैन दंपति की हत्या के मामले में 25 मार्च की रात उनके बेटे सिद्धार्थ और उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया गया। मामले की जांच और आरोपियों से पूछताछ के से पता चला कि तीस साल का सिद्धार्थ शराब और सट्टे की लत के चलते कर्ज के भारी बोझ तले दबा था। उसकी इलेक्ट्रानिक सामान की दुकान थी जो घाटे में चल रही थी। उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ के पिता ने उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिश की लेकिन नतीजा सिफर रहा। इसके बाद पिता पुत्र में विवाद शुरू हो गये।

सिद्धार्थ पर आरोप है कि परिवार की संपत्ति के बूते कर्ज उतारने की नीयत से इकलौते बेटे ने अपने माता पिता की हत्या की साजिश रची। साथ ही इसे अमली जामा पहनाने के लिये बदमाशों को बतौर पेशगी पचास हजार रुपये नकद और करीब सात लाख रुपये का चेक दिया। 

पुलिस ने तफ्तीश शुरू की तो उसे घर में चौंकाने वाले सुराग मिले। पुलिस के मुताबिक घर में किसी तरह की लूटपाट नहीं की गई थी। घर के किसी भी कीमती सामान को हाथ नहीं लगाया गया था। यानि लूटपाट के इरादे से कत्ल नहीं किया गया था। पुलिस का कहना है कि कत्ल करने के बाद कातिल किसी घबराहट में नहीं था। जैन दंपति को मारने के बाद कातिल आराम से बाथरूम में गया और वहां अपने शरीर और कपड़ों पर लगे खून के दाग को साफ किया और घर से निकल गया। यानि साफ था कि कातिल घर का कोई करीबी शख्स था... और उसने पूरी प्लानिंग करके इस वारदात को अंजाम दिया।

इसके बाद पुलिस ने अजय जैन के बेटे सिद्धार्थ से संपर्क साधा तो उसने बताया कि वो दिल्ली से वापस लौट रहा है। लेकिन पुलिस की पूछताछ में उसने जिस रास्ते का जिक्र किया उसे सुनकर पुलिस चौंक पड़ी। जिस रास्ते से वो वापस लौटने की बात कर रहा था वो दिल्ली जाता ही नहीं। सिद्धार्थ खुद ही अपने जाल में फंस चुका था। पुलिस ने सख्ती की तो उसने एक सनसनीखेज खुलासा किया सुपारी देकर ही उसने अपने मां-बाप की हत्या करवाई थी।

सिद्धार्थ के पिता अजय कुमार जैन प्रदेश के उद्योग विभाग में बतौर संयुक्त निदेशक काम कर रहे थे। वह सात दिन में सेवानिवृत्त होने वाले थे।

Friday, March 13, 2009

अस्पताल में मरीजों को पका हुया चूहा खिला दिया गया!

भले ही डॉक्टर मरीजों को शुद्ध और पौष्टिक भोजन लेने और साफ सफाई की सलाह देते हों लेकिन 12 मार्च को झारखंड के पाटलिपुत्र मेडिकल कालेज अस्पताल की ओर से,  शिशु वार्ड के मरीजों को चावल के साथ दो पके चूहे भी भोजन में परोस दिए गए। चूहा मिला भोजन करने वाले बच्चे और महिलाएं उल्टियां करने लगीं। आनन-फानन में प्रबंधन ने किचन के दो कर्मचारियों को हटा दिया और मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है।

12 मार्च की दोपहर लगभग 12 बजे कचहरी रोड में स्थित पीएमसीएच के मरीजों के बीच अस्पताल प्रबंधन की ओर से तैयार भोजन बांटा गया। ग्राउंड फ्लोर से लेकर पहली मंजिल के सभी वार्डो के अधिकतर मरीजों ने इस भोजन को खा लिया। यही भोजन पहली मंजिल पर स्थित शिशु वार्ड में भर्ती मरीजों को दिया गया। दैनिक जागरण के अनुसार, यहां भर्ती अंकुश कुमार और प्रतिमा ने भोजन करना शुरू किया तो उनके खाने में चूहों के दो मरे हुए बच्चे मिले। इसके बाद तो पूरे वार्ड में अफरा-तफरी मच गई। जब तक मामला खुला तब तक बच्चों को दिए गए इस भोजन को बच्चों के साथ उनके कई अभिभावक भी खा चुके थे।

मामला खुलते ही सभी उल्टियां करने लगे। पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया। तत्काल मामले की जानकारी अस्पताल अधीक्षक डा. पीके सेंगर को दी गई। उन्होंने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है। किचन में काम करने वाले अस्पताल के दो कर्मियों को हटा दिया गया है। अस्पताल अधीक्षक डा. पीके सेंगर ने स्वीकार किया कि घटना लापरवाही के कारण हुई है। चावल को पकाने के पहले साफ नहीं किया गया जिसके कारण ऐसी गड़बड़ी हुई। चिकित्सकों के अनुसार यदि भोजन के साथ चूहों को पका दिया जाए तो उसके घातक परिणाम भी हो सकते हैं। यदि चूहे वायरस और बैक्टीरिया से संक्रमित हुए तो भोजन करने वालों को रैट बाइट फीवर और लैप्टो स्पराइसिस बीमारी होने का खतरा रहता है।

Monday, March 2, 2009

कुंवारों में नसबंदी कराने का चलन शुरू

अब भारत के कुंवारों में नसबंदी कराने का चलन शुरू हो चुका है। कुंवारों द्वारा नसबंदी कराने के मामले प्रकाश में आने के बाद अब सख्ती का फैसला हुआ है। नसबंदी अब तभी होगी जबकि पति-पत्नी साथ आएंगे या लड़के के साथ मां या पिता होंगे। पता चलने पर कुंवारों को भगा दिया जाता है, लेकिन कोई झूठ ही बोले तो कुछ नहीं हो सकता। चूंकि नसबंदी खुल जाती है, इसलिए लोग डरते नहीं। डाक्टरों के अनुसार पुरुष नसबंदी में 15 मिनट का समय लगता है, जबकि खुलवाने में 3 घंटे लगते हैं। नसबंदी खुलवाने के लिए परिवार की रजामंदी जरूरी है।

कुछ लोग नसबंदी के बदले मिलने वाले रुपये के लिए आपरेशन करा रहे हैं तो कुछ ऐसे कुंवारे भी आपरेशन कराने पहुंच रहे हैं जिन्हें अपनी महिला दोस्त के साथ शारीरिक संबंध बनाने हैं लेकिन दोस्त तैयार नहीं और पहले आपरेशन का सुबूत चाहती है। चौंक गए ना? दिल्ली के अस्पतालों में आए दिन दूसरे शहरों के लड़के भी आपरेशन कराने पहुंच रहे हैं। ऐसे ही हैं 21 साल के राहुल सामंत जो अच्छे परिवार से हैं, बड़ी कंपनी में काम करते हैं लेकिन अपनी दोस्त के कहने पर लोकनायक अस्पताल पहुंच गए नसबंदी कराने। डाक्टर ने पूछा तो लापरवाह जवाब था, बाद में खुल जाएगी। 

संजय गांधी अस्पताल में पिछले ही महीने 20 वर्षीय प्रदीप कुमार ने आपरेशन करा लिया था। घर वालों को पता चला तो अस्पताल भागे और मां के कहने पर डाक्टरों को नसबंदी खोलनी पड़ी। जागरण में सुनील पाण्डेय लिखते हैं कि अस्पतालों में नसबंदी कराने आने वालों का चूंकि घरेलू रिकार्ड नहीं मांगा जाता, इसलिए कुंवारे इसका फायदा उठा लेते हैं।

कुछ प्रतिक्रियांयें भी देखिये:
 
प्रोफेसर प्रो. एनके चड्ढा, मनोविज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय: नसबंदी करवाने वाले कुंवारे 'साइकोपैथ' हैं।

समाजशास्त्री विजय लक्ष्मी दीवान, कमला नेहरू कालेज: महिला दोस्त के कहने पर नसबंदी कराने की बात नई है। यह हमारी ढहती सामाजिक व्यवस्था का नमूना है। 

केटीएस तुलसी, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट: जो बालिग है, वह स्वतंत्र है। वह नसबंदी करा रहा है, कोई अपराध नहीं। इस पर आपत्ति क्यों?

डा. राजेश सागर, मनोवैज्ञानिक, एम्स: युवा पीढ़ी शादी को बंधन मानती है। इसीलिए शादी और बच्चा पैदा करने का चलन घट रहा है। 

Friday, February 20, 2009

लोकसभा अध्यक्ष का श्राप: आप सब चुनाव हार जायो!

लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने 19 फरवरी को, सदन में हंगामा कर रहे सांसदों को खरी-खरी सुना दी। सोमदा ने सदस्यों से कहा कि आने वाले चुनावों में वे सभी हार का मुंह देखें। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि देश की जनता उन्हें अच्छी तरह पहचान जाएगी और चुनावी फैसला कर सबक सिखाएगी। कड़क मिजाज स्पीकर ने तो यहां तक कह डाला कि आप लोग सार्वजनिक धन में से एक पैसा पाने लायक नहीं हैं।

विभिन्न राजनीतिक दलों के ये सांसद कुछ मुद्दों को लेकर सदन के गर्भगृह में घुस गए थे और प्रश्नकाल में बाधा डाल रहे थे। इन सदस्यों के व्यवहार से खफा अध्यक्ष ने कहा कि वे मानते हैं कि संसद को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा ‘आप लोगों को व्यर्थ में भत्ते देने के लिए सार्वजनिक पैसा नहीं बहाया जाना चाहिए।’ चटर्जी ने ये विचार तब जताए जब बसपा, भाजपा, टीडीपी, आरपीआई, पीएमके और एमडीएमके के कुछ सदस्य गर्भगृह में घुसकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। चटर्जी ने सदस्यों के शोरशराबे से परेशान होकर कहा आपका आचरण निंदनीय है और आप लोकतंत्र का काम तमाम कर रहे हो। देश की जनता सब कुछ देख रही है। मैं उम्मीद करता हूं कि लोग आपको पहचान लें और सबक सिखाएं।

श्री चटर्जी ने पहले तो कहा कि हंगामे के बावजूद वे सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं करेंगे लेकिन 15 मिनट तक लगातार नारेबाजी और शोरशराबा जारी रहने पर व्यथित होकर बोल उठे मेरे विचार में सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जानी चाहिए। आपको संसद में आने का भत्ता नहीं मिलना चाहिए। आपको जनता के धन में से एक भी पैसा नहीं दिया जाना चाहिए। आप इसके हकदार नहीं है। आप देश की जनता का अपमान कर रहे है और उसे मूर्ख बना रहे है।

Sunday, February 15, 2009

एक दूसरे के लिए मर मिटने की कसमें खाने की बजाय पति की जान बचा मनाया वेलेंटाइन डे

बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के दूरदराज क्षेत्र में हुई एक घटना ने एक विवाहित जोड़े के लिए वेलेंटाइन को सार्थक बना दिया। संडियार गांव की सागरी देवी की दिलेरी ने न केवल अपने सुहाग को नया जीवनदान दिया बल्कि उस पर हमला करने वालों में से एक को मौत के घाट उतार दिया।  यह घटना 14 फरवरी को तड़के उस समय घटी जब दोनों पति-पत्नी सुबह अपनी दिनचर्या के कार्यों में व्यस्त थे। सागरी देवी का पति सीताराम घर के बरामदे में खड़ा था। अचानक तीन जंगली गीदड़ों ने सीताराम पर हमला बोल दिया। अचानक हमले से सीताराम नीचे गिर गया। एक गीदड़ ने सीताराम की बाजू अपने मुंह में डाल रखी थी और दो उसे पीठ की ओर से पंजें मार रहे थे। सीताराम के चिल्लाने पर उसकी पत्नी सागरी देवी ने दराटी व डडे से गीदड़ों पर हमला कर दिया। एक गीदड़ को सागरी देवी ने दराटी से वहीं ढेर कर दिया जबकि दो अन्य गीदड़ अपने साथी को मरता देख वहां से भाग गए। सीता राम की बाजू व पीठ पर गहरे घाव हुए हैं। बाद में घायल सीताराम को सीएचसी बरठीं पहुंचाया गया जहां पर उसे प्राथमिक चिकित्सा दी गई और उसे दाखिल कर लिया गया।

गांव के बुजुर्ग इसे किसी तरह का दैवी प्रकोप मान रहे हैं क्योंकि आज तक जंगली गीदड़ों ने कभी किसी पर घर में हमला नहीं किया था। सागरी देवी को बहादुरी के लिए पुरस्कृत करने का आग्रह सरकार से किया गया है।

मेरठ के छात्रों ने पेट्रोल के साथ-साथ बैटरी से चलने वाली मोटरसायकिल बनाई

मेरठ में आईआईएमटी कालेज के पांच छात्रों ने एक ऐसी मोटरबाइक बनाई है, जो पेट्रोल के साथ-साथ बैटरी से भी चलेगी। बाइक से चालीस किलोमीटर का सफर लगभग चार रुपए में तय किया जा सकेगा। बाइक को सौर ऊर्जा से चलाने के लिए भी विकसित किया जा रहा है।  बाइक बनाने वाले वैभव श्रीवास्तव, सुमित यादव, सुजीत सिंह, पंकज पांडेय व मनोज सिंह यूपी के गंगानगर स्थित आईआईएमटी कालेज में मेकेनिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र हैं।

ऐसी बाइक बनाने की प्रेरणा इन छात्रों को होंडा सिविक की पहली डुअल सेगमेंट कार देखकर हुई। प्रेरणा को साकार करने के लिए इन छात्रों ने कई स्थानों से जानकारियां एकत्र कीं। प्रो.अरविंद पंडित के निर्देशन में चार माह के प्रयास के बाद 21 हजार रुपए की लागत से एक ऐसी बाइक तैयार हो गई, जो एक लीटर पेट्रोल में प्रति घंटे साठ किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसमें लगी बैटरी के एक बार फुल चार्ज होने पर यह एक घंटे में चालीस किलोमीटर का सफर तय करेगी। बाइक को और अत्याधुनिक बनाने के लिए सौर ऊर्जा से जोड़ने का काम चल रहा है।

Tuesday, February 10, 2009

पूरे परिवार को चलती ट्रेन से फेंका

मुरारी अपनी पत्नी बच्चों के साथ होडल के पास 9-10 फरवरी की रात मुरैना जा रहे थे। रात लगभग 10:15 बजे निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 7 से उन्होंने एक ट्रेन पकड़ी। ट्रेन में तीन-चार युवकों ने उन्हें नशीला तंबाकू खिला दिया। इसके बाद उनका सिर चकराने लगा। इस बीच युवकों ने उनकी पत्नी के साथ छेड़खानी शुरू कर दी। इसके चलते उन्होंने बोगी बदल दी, लेकिन युवक उनके पीछे वहां भी गए। उन्होंने जब विरोध किया तो युवकों ने होडल के पास उन्हें, उनके एक साल के बेटे अमन और चार साल की बेटी शिवानी सहित चलती ट्रेन से फ़ेंक दिया। गनीमत रही कि टेन की स्पीड कम थी, जिसकी वजह से चारों की जान बच गई।

रात को पास की एक बस्ती में रात गुजारने के बाद मंगलवार सुबह इस परिवार ने पलवल के सरकारी हॉस्पिटल में मरहम पट्टी कराई। इसके बाद उन्हें फरीदाबाद के बीके हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि एक साल के बच्चे अमन के सिर पर गहरी चोट है। उसे अंडर आब्जवेर्शन रखा गया है। जीआरपी के इंचार्ज प्रह्लाद के अनुसार मामले की जांच की जा रही है। यह पूछे जाने पर कि किस ट्रेन से आए थे, मुरारी का कहना है कि टिकट सूटकेस में थे जो ट्रेन में ही रह गया। रेलवे पुलिस पता लगा रही है कि घटना किस ट्रेन में हुई।

ऐसी ही एक घटना अहमदाबाद में भी हुई। पीटीआई के मुताबिक भरूच रेलवे स्टेशन के पास दो युवकों को चलती ट्रेन से फेंक दिया गया, जिससे एक की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। रेलवे सुरक्षा बल के अफसरों ने बताया कि महाराष्ट्र के जलगांव तालुका के रहने वाले शंकर कोली (24) को ओखा पुरी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में सीटों को लेकर हुई बहस के बाद चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। उन्होंने बताया कि शंकर की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे युवक को गंभीर चोट आई है। घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

हजारों पूर्व सैनिकों ने लौटाए अपने मैडल

देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले हजारों पूर्व सैनिकों ने सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलने में भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद अपने मैडल राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल को वापस कर दिए। भारतीय भूतपूर्व सैन्यकर्मी आंदोलन (आईईएसएम) के बैनर तले लगभग 12 हजार पूर्व सैनिकों ने जंतर मंतर पर भारी विरोध प्रदर्शन के बाद अपने वीरता पदकों को राष्ट्रपति के सुपुर्द कर दिया। आईईएसएम के अध्यक्ष लेफ्टीनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज कादियान के नेतृत्व में पूर्व अधिकारियों और सैनिकों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति भवन जाकर पूर्व सैनिकों के साथ लंबे समय से किए जा रहे भेदभावपूर्ण रवैए की शिकायत करते हुए श्रीमती पाटिल की अनुपस्थिति में उनके मंत्रालय को वीरता पदक सौंप दिए।

जनरल कादियान ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी और बहुप्रतीक्षित मांग समान पद के लिए समान पेंशन दिए जाने की है, जिसके लिए देश भर में 23 लाख पूर्व सैनिक संघर्षरत हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ सेना में ही भेदभाव पूर्ण व्यवस्था कायम है, जिसके तहत पूर्व सैनिकों के पेंशनभत्ते वेतन आयोग की सिफारिशों के दायरे में आने के बावजूद इनकी पेंशन में समय बीतने के साथ कोई इजाफा नहीं होता। उन्होंने बताया कि आज से दस साल पहले सेवानिवृत्त हुए सैनिक की पेंशन अभी सेवानिवृत्त होने वाले सैनिक की पेंशन से काफी कम होती है। नतीजतन दस साल पहले सेवानिवृत्त होने वाले आला सैन्य अधिकारी की पेंशन आज रिटायर होने वाले हवलदार या सिपाही से काफी कम होती है।

Friday, January 23, 2009

अमेरिकी प्रशासन भारतवासियों से हिंदुस्तानी बोली में बात करने को उत्सुक !

बराक हुसैन ओबामा का शासन आते ही अमेरिका की जुबान बदल गई है। अब अमेरिकी प्रशासन भारतवासियों से हिंदुस्तानी बोली में बात करने को उत्सुक है। भारत के लिए अमेरिका की बदली हुई जुबान का पहला संकेत अमेरिकी दूतावास ने दिया जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद दिए गए भाषण का हिंदी अनुवाद जारी कर दिया। और तो और इस भाषण के लिए अमेरिकी जनसंपर्क विभाग ने अपना लैटरपैड भी हिंदी में प्रकाशित किया और आम बोलचाल की भाषा में ओबामा के भाषण को ज्यों का त्यों पेश किया।

ओबामा का हिंदी संबोधन जारी कर अमेरिका ने अपना बदला हुआ रुख और बदल जाहिर कर दिया है। अमेरिकी जनसंपर्क विभाग ने ओबामा के शपथ ग्रहण के दो दिन बाद यह संबोधन हिंदी में जारी किया है लेकिन अनुवाद की भाषा के प्रवाह से स्पष्ट है कि ओबामा प्रशासन हिंदुस्तानियों की भाषा को हड़बड़ी या औपचारिकतावश नहीं अपना रहा है बल्कि वह हिंदीभाषियों के दिलों में अपने युवा राष्ट्रपति की बातों को गहराई तक उतारने के प्रति गंभीर है।

इसकी बानगी देखिए ओबामा के भाषण के अंतिम पैराग्राफ को खूबसूरती से हिंदी में उतारा गया है। वह कहते हैं ‘आओ मिलकर इस बर्फानी संकट का सामना करें और आने वाले तूफानों से निपटें ताकि हमारे बच्चों के बच्चे यह कहें कि जब हम पर बुरा वक्त पड़ा तो हमने अपने सफर को अधूरा छोड़ने से इंकार कर दिया। क्षितिज पर नजरें गाड़े हुए भगवान की कृपा से आगे बढ़ते रहे। और आजादी का महान तोहफा आने वाली नस्लों तक पहुंचाया।

Tuesday, January 20, 2009

पेट्रोल, डीज़ल या बैटरी के बिना चलने वाला वाहन बनाया कोलकाता के युवा दंपत्ति ने

कोलकाता निवासी एक दंपति ने पर्यावरण के अनुकूल एक ऐसा ऑटो इंजन बनाया है जिसमें ईंधन और बैटरी की जरूरत ही नहीं। कोलकाता के कनिष्क सिन्हा (30) और उनकी पत्नी दीपिका (25) ने जीवन में औरों से कुछ अलग करने की ठानी और यकीनन वे कामयाब भी रहे। ‘जास्पर मोटर वेहिकल’ कंपनी के प्रमुख कनिष्क ने इंडो-एशियन न्यूज सर्विस को बताया कि, "यह इंजन जिंक और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से चालू होता है इसलिए यह प्रदूषण रहित है। इस तकनीक से इंजन की उम्र भी लंबी होती है।"

अपराजिता गुप्ता की रिपोर्ट है कि इस इंजन का प्रयोग तिपहिया वाहनों और कारों में भी किया जा सकता है। इस युवा दंपति ने अनिवासी भारतीयों की मदद से एक अरब रुपये की राशि एकत्र कर अपनी कंपनी को अमेरिका में रजिस्टर्ड करवाया। उन्होंने फोर्ड फाउंडेशन की मदद से चलने वाले बिगपेटेंटस इंडिया में इसे पेटेंट भी कराया। देश में विनिर्माण की सुविधा न होने के कारण ऐसे सभी इंजन अमेरिका में निर्मित किए जा रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा कि वे बिहार अथवा पश्चिम बंगाल में विनिर्माण संयंत्र लगाने के लिए जमीन तलाश रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री क्षिति गोस्वामी से भी मुलाकात की है।

गोस्वामी ने आईएएनएस को बताया कि, "वे मेरे पास आए थे और मैं उनकी योजना से अवगत हूं। अगर उन्हें बर्धमान में जमीन चाहिए तो इसके लिए उन्हें बर्धमान विकास प्राधिकरण से बात करनी होगी।"