भारत की तलाश

 

Monday, August 31, 2009

पिता ने पार्टी में जाने नहीं दिया तो बेटियों ने बलात्कार का आरोप लगवा कर फंसवा दिया

मुंबई के मीरा रोड में रहने वाले मनोज पटेल को जिम्मेदार पिता बनने पर बेटियों ने ऐसी सजा देने की ठानी की रिश्तों की सारी मर्यादाएं तार-तार हो गईं। जिम्मेदार पिता होने के नाते मनोज अपनी दोनों नाबालिग बेटियों को बेवजह बाहर आने-जाने और मौज मस्ती से मना करते थे। इससे नाराज बेटियों ने उन पर दो साल पहले बलात्कार का आरोप लगा दिया था। दो साल तक इस कलंक के साथ जीने के बाद ठाणे सेशन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। बिना अपराध किए जेल जाने और शर्मसार होने के बावजूद उन्होंने बेटियों को माफ कर दिया है। 29 अगस्त को रिहा होने के बाद कहा कि उन्होंने बेटियों ने जो किया, उसकी उन्हें तब समझ नहीं थी।


नवभारत टाईम्स के मुताबिक मामला यह था कि 31 दिसंबर, 2007 की रात पिता ने नए साल के जश्न की जगह बेटियों को घरेलू प्रार्थना में हिस्सा लेने को कहा था। वे प्रार्थना में गईं तो जरूर, लेकिन उसी दिन पिता को सबक सिखाने का प्लान बना लिया। अगले दिन दोनों ने भयंदर पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने छेड़छाड़ का मामला दर्ज कर राकेश को गिरफ्तार कर लिया। जमानती मामला होने के कारण बेटियों ने दोबारा पुलिस से संपर्क किया। उन्हें डर था कि छूटने के बाद पिता बख्शेंगे नहीं। आरोप है कि इसी दौरान एक एनजीओ की कुछ महिलाओं ने उनसे संपर्क किया। इसके बाद ही बेटियों ने बलात्कार का आरोप लगा दिया।

मनोज को सात महीने बाद जमानत मिल सकी थी। इस बीच उनकी पत्नी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। मां पर रेप की बात छुपाने के आरोप लगा था। लेकिन उनके वकील ने अदालत में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। उन्होंने शिकायत में बताए गए समय को झूठा साबित किया और मेडिकल रिपोर्ट में कई कमियां उजागर कीं। लिहाजा कोर्ट ने मनोज को बरी कर दिया।

लेकिन जो दाग 46 वर्षीय मनोज पर लगे हैं, वह उससे आहत हैं। पुराने निवास पर जाने के नाम से ही उन्हें डर लगने लगता है। बेटियों से उनकी बातचीत तो होती रहती है, लेकिन वे अलग- अलग रह रहे हैं।

6 comments:

निशाचर said...

यह आधुनिक कान्वेंटी शिक्षा का प्रतिफल है.... बेहद दुखद .......

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

हम लोग सचमुच में आधुनिक होने लगे हैं!!!!
यही है अति आधुनिकता का नग्न सत्य!

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह शिक्षा का प्रतिफल नहीं है। अपितु माता पिता को परिवार चलाने के लिए कमाने में जितना समय देना होता है उस के बाद वे अपने बच्चों पर ध्यान ही नहीं दे पाते नतीजा यह है कि वे बच्चों से ही दूर होते चले जाते हैं। यह व्यवस्था ही यह अलगाव दे रही है। यह सब उसी का नतीजा है।

राज भाटिय़ा said...

क्या आज की नारी सच मै ऎसी बन रही है , आजाद, आजदी पाने के लिये.....

दरभंगिया (Darbhangiya) said...

पुलिस ने छेड़छाड़ का मामला दर्ज कर "राकेश" को गिरफ्तार कर लिया।

"मनोज" को सात महीने बाद जमानत मिल सकी थी।

मामला सच है?

बलबिन्दर said...

ये भी खूब रही :-)
दर असल में दो खबरें एक साथ थीं, शायद लिखते लिखते कुछ माल इधर उधर हो गया :-)

वैसे पहले, तीसरे और चौथे पराग्राफ में मनोज ही था/ है

ध्यान दिलाने हेतु आभार, फिलहाल इसे वैसा ही छोड़ दिया गया है जिससे आपकी टिप्पणी की सार्थकता बनी रहे