भारत की तलाश

 

Tuesday, September 30, 2008

वो, बाढ़ पीड़ितों तक दवा पहुंचाने के लिए रोज 25 किमी. पैदल चलती है

उड़ीसा के चार जिले बाढ़ से तबाह हो चुके हैं लेकिन इस प्राकृतिक आपदा के दरम्यान ही यहां ऐसी साहसी महिला सामने आई है जो बाढ़ प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए किसी भी बाधा की परवाह नहीं करती है। यह हैं 35 वर्षीय संध्यारानी पंडा यानी संध्या दीदी जो यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं। सप्ताह पहले जब से यह पंचायत इलाका बाढ़ के पानी में डूबा है, तब से संध्यारानी पीड़ितों को आवश्यक दवाएं मुहैया कराने के लिए दिन भर में 25 किमी से अधिक दूरी पैदल तय करती हैं। संध्यारानी के पैरों में तकलीफ है और वह ठीक से चल नहीं पाती हैं। इसके बावजूद पत्कुरा ग्राम पंचायत में चित्रोत्पला नदी के बाएं तटबंध पर तीन स्थानों में दरार आने के बाद से उन्होंने बिल्कुल आराम नहीं किया है।

वह 20 सितंबर से मैं बाढ़ प्रभावितों को आवश्यक दवाएं बांट रही हूं। नदी के तट पर या जलमग्न हो चुके गांव में, हर दिन वह कम से कम 100 मरीजों से मिलती हैं। कई बार संध्यारानी को मरीजों तक दवा पहुंचाने के लिए घुटने तक पानी में लंबी दूरी तक चलना पड़ता है। मकान पानी में डूबे होने के कारण मरीज बाहर नहीं आ पाते हैं। साधारण कपड़े पहनने वाली संध्यारानी के कंधे पर थैला रहता है। इसमें बुखार, जुकाम, खांसी, पेचिश और अन्य बीमारियों के लिए दवाएं रहती हैं। ज्यादातर लोगों को बाढ़ के दौरान अधिक समय तक पानी में रहने की वजह से जुकाम और बुखार हो गया है। उन्होंने बताया कि पहले दिन मैंने 73 मरीजों को दवाइयां दीं। बाढ़ का प्रकोप बढ़ने के साथ साथ मरीजों की संख्या भी बढ़ती गई।

पैर की तकलीफ (एथलीट फुट) के बारे में वह कहती हैं कि मनुष्य होने के नाते मैं भी आराम चाहती हूं लेकिन मेरी अंतरात्मा कहती है कि लोगों की परेशानी को देखते हुए फिलहाल यह संभव नहीं है। संध्यारानी मरीजों को दवाइयां देने का दायित्व नि:स्वार्थ भाव से पूरा कर रही हैं लेकिन खुद उनके पास एथलीट फुट के इलाज की एकमात्र दवा पोटेशियम परमैगनेट नहीं है।
(राष्ट्रीय सहारा के समाचार पर आधारित)

Sunday, September 28, 2008

हेलिकॉप्टर पर सवार होकर आने वाला दूल्हा, सड़क का लुटेरा था!

3 साल पहले हेलिकॉप्टर पर सवार होकर ब्याह रचाने वाला वह दूल्हा, दरअसल सड़क का लुटेरा था। नोएडा फेज-2 पुलिस ने उसके गैंग का भंडाफोड़ कर 6 बदमाशों को गिरफ्तार किया है। रोडरेज के सहारे यह गैंग लूटपाट को अंजाम देता था और पिछले एक महीने में 8 वारदातें कर चुका था। इन बदमाशों के पास से पुलिस ने एक स्कोडा कार, 2 वैगन आर, एक पिस्टल, 3 तमंचे समेत भारी मात्रा में लूट का सामान बरामद किया है। खास बात यह है कि गैंग का सरगना विनीत भाटी, बीबीए द्वितीय वर्ष का छात्र है।

पुलिस को एक्सप्रेस वे के आसपास वारदात करने वाले इस गैंग की कब से तलाश थी। नवभारत टाइम्स में छपी ख़बर के अनुसार, ये पहले चलती कार में टक्कर मारते, कहासुनी करते-करते कार सवारों को हथियारों के बल पर बंधक बनाकर लूट लेते। सितंबर की 3 तारीख को इस गैंग का शिकार बने सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर कृष्णानू दत्ता के घर लगे सीसीटीवी के जरिए पुलिस को इनके हुलिए का सुराग लगा और शुक्रवार दोपहर पुलिस ने एक्सप्रेस वे पर वारदात की फिराक में घूम रहे इस गैंग को दबोच लिया। एसएसपी आर.के. चतुर्वेदी ने बताया कि विनीत की पत्नी ने उसकी इन्हीं हरकतों की वजह से एक हफ्ते पहले खुदकुशी करने की कोशिश की थी।

Saturday, September 27, 2008

सफाई कर्मी से टिकट कंडेक्टर बनी शकुन्तला

रेल्वे जंक्शन इटारसी के प्लेटफार्म और रेल्वे कालोनी की सड़कों पर झाडू लगाने वाली सफाई कर्मी महिला अब रेल यात्रियों से कहेगी टिकट प्लीज। सफाई का काम करने वाली यह दलित महिला अब कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद ट्रेन कंडक्टर (TC) बन जायेगी। यह संभव हुआ है इटारसी के नरेन्द्र नगर में रहने वाली महिला सफाई कर्मचारी शकुन्तला सारवान की मेहनत और लगन के कारण। उनके हाथों में झाडू नही अब कलम होगी और शरीर पर काला कोट। उनका चयन रेल्वे के विभागीय परीक्षा के बाद ट्रेन कंडक्टर (TC) के पद पर हुआ है।

नाम मात्र की पढ़ाई लिखाई करने वाली शकुन्तला सारवान बाल बच्चों वाली उम्र दराज अनुसूचित जाति की महिला है। सन् 1983-84 से केजुअल सफाई कर्मी के रूप में भारतीय रेल में सेवा दे रही है यह महिला 1990 में परमानेंट हुई। इसी बीच विगत अप्रैल माह में पार्सल क्लर्क, पाइन्ट्समेंन और टी.सी.सहित रेल्वे के अन्य पदों के लिये विभागीय वेकेन्सी निकली तो शकुनतला भी इसमें शामिल हुई और लिखित परीक्षा साक्षात्कार के उपरांत टी.सी के पद के लिये चयनित हो गई। अब वह आगामी 5 अक्टूबर को 51 दिन की ट्रेनिंग के लिये जोनल ट्रेनिंग सेंटर भुसावल जा रही है। ट्रेनिंग  में सब कुछ ठीक रहा तो उसकी पोस्टिंग भी हो जायेगी।

शकुंतला संभवत: देश की पहली महिला सफाई कर्मी है जो लीक से हटकर अपनी लगन और मेहनत के बल पर अपने हाथों के झाडू से पल्ला झाड़ा है और ट्रेन कंडक्टर (TC) बनी है। उनकी इस उपलब्धि के कारण ट्रेनिंग के पहले ही इटारसी रेल्वे के स्टेशन अधिक्षक ने उन्हें झाडू लगाने के काम से पृथक कर लिखा-पढ़ी के काम पर लगा दिया है। यह चतुर्थ श्रेणी सफाई कर्मचारी समाज के लिये मिसाल बन गई है। उनकी इस सफलता पर सिर्फ उनके घर परिवार में बच्चों का लालन पालन ठीक से हो पायेगा बल्कि समाज में भी उसे तिरस्कार नही सहना पड़ेगा। सफाई कुनबे वाले बाल्मिक समाज इसे अनुकरणीय मान रहे है तथा पूरे समाज में उत्साह दिखाई देने लगा है।

शकुन्तला को जानने पहचानने वाले उनकी इस कामियाबी का बखान करते नही थकते। इनकी उपलब्धियों से विपरीत परिस्थितियों में भी हौसलामंद रहकर कामयाबी तक पहँचने की सीख मिलती है। 

Thursday, September 25, 2008

आईये, आईये, सुंदर युवतियाँ व महिलायें किराए पर भी उपलब्ध

डिजाइनर कपड़े और गहने किराए पर मिलना आम बात है, लेकिन अब सुंदर महिला साथी भी किराए पर उपलब्ध है। वो भी 10 से 15 हजार रुपए प्रति शाम के हिसाब से। ये पूरा कारोबार फिलहाल गरबा से जुड़ा है। नवरात्रि शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। ऐसे में मनपंसद गरबा मंडल में जाने के लिए युवकों को निराश नहीं होना पड़ेगा। 

अमीर लेकिन अकेले युवकों की महिला साथी की तलाश पूरी करती हैं, 20 से 26 साल की युवतियां। दैनिक भास्कर में निजा शाह की रिपोर्ट है कि, स्वयं को ‘फीमेल एस्कार्ट’ कहलाना पसंद करने वाली ये युवतियां सूरत, पुणे और मुंबई से आती हैं। इनमें कुछ विदेशी खासकर रूसी युवतियां भी यहां सुंदर महिला साथी की चाहत वाले युवकों के साथ गरबा करने के लिए उपलब्ध रहती हैं। 

गरबा के दौरान सुंदर महिला साथी की चाहत रखने वालों को उसके नाज-नखरे भी उठाने पड़ते हैं। मसलन, उन्हें इन युवतियों के आने-जाने, रहने, मोबाइल, गहने, परफ्यूम आदि का खर्च वहन करना पड़ता है। इसके अलावा, उन्हें कुछ बख्शीश भी देनी पड़ सकती है।

Monday, September 22, 2008

पंक्चर बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही

बीस वर्ष तक गृहिणी का जीवन जीने वाली झारखंड निवासी मगदाली ने ऐसा व्यवसाय अपनाया है जिस पर पुरुषों का एकाधिकार माना जाता है। वह साइकिल के पंक्चर बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। रांची में रहने वाली मगदाली का जीवन आज से पांच वर्ष पहले तक किसी आम घरेलू औरत की तरह अपने परिवार तक सिमटा हुआ था। उसी समय पंक्चर की दुकान चलाने वाले उनके पति की मौत हो गई। तीन बच्चों के साथ जिंदगी से जूझ रही मगदाली ने अपने पति के व्यवसाय को अपनाने का फैसला किया।

मगदाली ने आईएएनएस को बताया, ''पति की मौत के बाद मेरे परिवार के भूखों मरने की नौबत आ गई थी। तभी मैंने अपने पति की तरह पंक्चर बनाने का निर्णय लिया। सारा समान तो पहले से ही घर में था, बस मैंने काम सीखना शुरू कर दिया। अब मैं आराम से काम कर लेती हूं।'' मगदाली ने बताया कि शुरू में लोग मेरी ओर घूर कर देखते थे। उन्हें आश्चर्य होता था कि एक महिला पंक्चर बनाने का काम करती है। उनके पास दिन में 10 से 15 ग्राहक आते हैं और वह 50 से 150 रुपये प्रतिदिन कमा लेती है। मगदाली ने बताया कि उन्होंने अपनी बचत से दो वर्ष पूर्व अपनी बेटी की शादी भी की।

मगदाली को एक ही दुख है कि कमाई कम होने की वजह से वह अपने दोनों बेटों को पढ़ा नहीं पाई। अब उनकी इच्छा है कि वह बैंक से कर्ज लेकर अपने काम को साइकिल से मोटरसाइकिल और कार तक विस्तार दे।

Wednesday, September 17, 2008

बैग बना 'बम'! पति पत्नी की लड़ाई में!!

नोएडा के अट्टा गांव में रविवार देर रात एक वाकया हुआ। अट्टा गांव के चक्की वाली गली में किराए पर रहने वाले नवविवाहित जोड़े के बीच रात करीब साढ़े 11 बजे मामूली बात को लेकर आपस में कहासुनी हो गई। यह कहासुनी इस कदर बढ़ी कि बेचारे पति को घर से बाहर निकलने की नौबत आ गई। रूठे पति तुरंत अपना बैग लेकर घर से बाहर निकल आए। उनकी बीवी भी कम नहीं थीं, पति के घर से बाहर निकलने के बाद भी वह ताने मारने से बाज नहीं आईं। फिर क्या था पति ने गुस्से में बैग को गली में ही छोड़ दिया और तेजी से आंखों से ओझल हो गए। पत्नी भी घर में दुबक गई। इसके बाद वहां से गुजर रहे लोगों ने लावारिस बैग को ही बम समझ लिया और फिर कुछ देर में कोहराम मच गया।

बैग में बम होने की सूचना मिलते ही आसपास के लोग घरों से बाहर निकल आए और पुलिस चौकी में इसकी सूचना दी। नवभारत टाइम्स में सुनील मौर्य की रिपोर्ट है कि आनन फानन में पुलिस की तीन जिप्सियां मौके पर पहुंचीं। लावारिस बैग देखकर पुलिसकर्मियों के भी पसीने छूटने लगे। करीब आधे घंटे तक पुलिस और पब्लिक लावारिस बैग को लेकर असमंजस की स्थिति में रही। पुलिस ने गाजियाबाद स्थित बम निरोधक दस्ते को भी सूचना दे दी। लोगों में दहशत देख दस्ते को गाजियाबाद से नोएडा तक आने का इंतजार नहीं किया जा सकता था। आखिरकार कोतवाली सेक्टर-20 में तैनात एक पुलिसकर्मी ने हिम्मत दिखाई और बैग की जांच की। बैग का जब राज खुला तो पुलिस व जनता हैरान रह गई और राहत की सांस ली।

मगर पुलिस अधिकारी देर रात गली में लावारिस बैग को छोड़े जाने को लेकर परेशान थे। बैग में कपड़ों की जांच और आसपास के लोगों से पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि यह बैग मूल रूप से उत्तरांचल के रहने वाले मुकेश (बदला हुआ नाम) का है। पुलिस ने जब मुकेश की पत्नी से पूछताछ की तो उसने पति से हुई झड़प की कहानी सुनाई। उसने बताया कि लोगों ने जब बैग को ही बम समझ लिया और अफरातफरी मच गई तो मैं यह सोचकर डर गई कि पुलिस मुझे गिरफ्तार कर लेगी। यही सोचकर कमरे में दुबक गई थी। इससे पूछताछ करने के बाद पुलिस ने मुकेश को भी ढूंढ निकाला और भविष्य में इस तरीके से आपस में नहीं झगड़ने की सलाह देकर छोड़ दिया।

राज्य मंत्री का भाई चोरी करते पकड़ा गया

उत्तर प्रदेश में राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त मदन लाल बिन्द के सगे भाई शिवशंकर बिन्द को मंगलवार की सुबह कोतवाली क्षेत्र में लोगों ने चोरी करते वक्त पकड़ लिया और जमकर पिटाई कर दी। बाद में उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया।

पुलिस ने बताया कि शिवशंकर अपने 2 शातिर चोर साथियों के साथ एक दुकान का ताला तोड़कर समान मारुति कार में भर रहा थे, तभी लोगों ने उन्हें पकड़ लिया और जमकर पिटाई कर दी। शिवशंकर के 2 अन्य साथी भाग निकले।

Tuesday, September 16, 2008

मायके से एक लाख लायो या ब्लू फिल्म में काम करो

दहेज के लोभ में विवाहिता के साथ मारपीट और उसे जान से मारने के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। लेकिन मोदीनगर में एक पति ने तो दहेज न देने पर पत्नी को ब्लू फिल्म में काम करने का ही फरमान जारी कर दिया। उसका कहना था कि चूंकि इस प्रकार की फिल्म में काम करने वाली अभिनेत्री रुपये मांगेगी इसलिए उसकी पत्नी इसमें काम करे। यदि ऐसा नहीं कर सकती तो मायके से एक लाख रुपये लाए जिससे अभिनेत्री को भुगतान किया जा सके!

नवभारत टाइम्स के अनुसार मोदीनगर में रहने वाले राजकुमार (परिवर्तित नाम) ने अपनी बेटी अरुणा (परिवर्तित नाम) का विवाह मेरठ में रहने वाले बिजेंद्र नाम के व्यक्ति से एक वर्ष पूर्व ही किया था। बिजेंद्र मेरठ में प्रिटिंग प्रेस चलाने के साथ-साथ विज्ञापन फिल्म बनाने का भी व्यवसाय करता था। विवाह के एक महीने बाद ही बिजेंद्र ने उसकी बेटी पर मायके से एक लाख रुपये लाने के लिए भेजा। बेटी की खुशी के लिए उन्होंने एक लाख रुपये भी दे दिए। वरिष्ठ संवाददाता की रिपोर्ट है कि लाख रुपये देने के बाद कुछ दिन बाद बिजेंद्र ने अरुणा से फिर से एक लाख रुपये की मांग यह कह कर की थी कि उसका व्यवसाय ठीक नहीं चल रहा।

इस पर अरूणा ने कहा कि उसके पिता की आर्थिक हालत ठीक नहीं है और वह एक लाख रुपये नहीं दे सकते हैं। बिजेंद्र ने अरुणा से कहा कि उसे एक फिल्म बनानी है, जिसमें काम करने के एवज में अभिनेत्री एक लाख रुपये मांग रही है। उसने अरुणा से कहा कि यदि वह फिल्म में काम करने के लिए राजी हो जाए तो ये रुपये बच सकते हैं। पति के ऐसा कहने पर अरुणा ने सोचा कोई विज्ञापन फिल्म होगी और उसने हामी भर दी। जब उसके पति ने फिल्म के बारे में बताया तो वह ब्लू फिल्म थी। जब अरुणा ने फिल्म में काम करने से इनकार किया तो बिजेंद्र ने उसकी पिटाई की और घर से निकाल दिया।

Saturday, September 13, 2008

एक दिन में, मंत्री ने किए 11 सौ शिलान्यास

मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, नेताओं और मंत्रियों में जनता को सौगातें देने की होड़ सी मच गई है। होड़ भी ऐसी कि नेता लोग एक दिन में 11 सौ से अधिक विकास कार्यो का शिलान्यास व भूमिपूजन कर रहे है। ऐसा ही एक कारनामा कर दिखाया है प्रदेश के कृषि एवं सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव ने।

जागरण की एक ख़बर के अनुसार, रहली विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि भार्गव ने बृहस्पतिवार को अपने विधानसभा क्षेत्र में एक साथ 11 सौ विकास व निर्माण कार्यो की नींव रख डाली। भार्गव ने कहा कि हिंदी पंचाग के मुताबिक कल ग्यारस की तिथि थी और सितंबर की 11 तारीख भी। यह संयोग के साथ-साथ शुभ दिन भी था। इसीलिए वे क्षेत्र की जनता को 11 सौ विकास और निर्माण की सौगात दे रहे हैं।

उन्होंने बताया कि वे पिछले साढ़े चार वर्षो में अपने क्षेत्र में आठ हजार निर्माण और विकास कार्यो की आधारशिला पहले ही रख चुके हैं। इस तरह अगर देखा जाए तो एक मंत्री ने अपने विधानसभा क्षेत्र में नौ हजार से अधिक विकास कार्यो की आधारशिला रखी है।

Thursday, September 11, 2008

हमारे विकासशील देश में, पहला बीयर गार्डन

गुड़गांव में देश का पहला बीयर गार्डन सितंबर महीनें में खुल जाएगा। इस बीयर गार्डन में ताजा तथा अपाश्च्युरीकृत बीयर परोसी जाएगी। इस बीयर में किसी तरह का रंग अथवा प्रीजर्वेटिव नहीं होगा। इस बीयर में होप्स, यीस्ट, माल्ट तथा पानी का मिश्रण होगा। किसी भी तरह के रसायन से मुक्त होगी बीयर गार्डन की बीयर। हरियाणा एक्साइज पॉलिसी 2008-09 के अनुसार कोई भी बीयर गार्डन बना सकता है। इस गार्डन के लिए लाइसेंस लेने के लिए सालाना फीस निर्धारित है। हरियाणा की तर्ज पर गोवा, पंजाब महाराष्ट्र भी अपने एक्साइज और टेक्सेशन पॉलिसी में परिवर्तन करने पर विचार कर रहे हैं।

भारत (सॉरी, इंडिया) में यह बीयर गार्डन शुरू करने के लिए रॉकमैन ब्रेवरीज ग्रुप के उपाध्यक्ष राहुल सोनी कहते हैं, इस नई परिपाटी की शुरुआत करने के पीछे यही कारण है कि हमारे तेजी से विकासशील देश में, विदेशों की भी सारी सुविधाएं मिलनी चाहिए। आज के आधुनिक दौर में यह बीयर गार्डन लोगों को तनाव मुक्ति के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
(जागरण में, प्रियंका दुबे मेहता की रिपोर्ट के अंश )
(चित्र, www.last.fm के सौजन्य से)

Wednesday, September 10, 2008

बदन पर बम बांधकर बीवी के साथ खुद को उड़ा लिया

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक शख्स खुद ही मानव बम बन गया। मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ के रहने वाले मुलायम सिंह ने अपने बदन पर बम बांधकर अपनी बीवी के साथ खुद को उड़ा लिया। मुलायम सिंह की तो दुर्घटना स्थल पर ही मौत हो गई लेकिन उसकी बीवी नीलू सिंह बच गई। वो अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है।

आईबीएन-7 के मुताबिक हुआ यह कि मुलायम सिंह की बीवी नीलू रक्षाबंधन पर अपने मायके गई हुई थी। मुलायम सिंह कई बार अपनी बीवी को लेने अपनी ससुराल गया लेकिन उसे निराशा ही हाथ लगी। इस घटना वाले दिन से एक दिन पहले भी वो पत्नी को लेने ससुराल गया था। चश्मदीदों के मुताबिक, जिस दिन वो दोबारा ससुराल पहुंचा लेकिन इस बार उसके इरादे बहुत ही खतरनाक थे। उस दिन मुलायम सिंह मानव बम बनकर आया था। उसने अपनी बीवी को बाहर बुलाया और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा। जब पत्नी ने मना कर दिया तो मुलायम ने पेट में बंधे बम के ट्रिगर को दबा दिया। मुलायम सिंह ने अपने पेट में जो बम बांधा हुआ था उसे उसने डिटोनेटर के जरिए उड़ाया था।

शराब पीकर नाच रहा था क्रिकेटर, पुलिस उपाधीक्षक और उसकी आईपीएस पत्नी के साथ!?

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक शॉपिंग मॉल में स्थित डिस्कोथेक में कुछ वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों तथा एक अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेटर द्वारा कथित रुप से शराब पीकर डांस करने के मामले की रिपोर्ट मंगाई है। पुलिस महानिदेशक द्वारा मंगाई गई इस रिपोर्ट के साथ अपेक्षा की गई है कि सार्वजनिक स्थलों पर ऐसी हरकतें नहीं होनी चाहिए।

उच्च पदस्थ पुलिस सूत्रों ने बताया कि पुलिस महानिदेशक ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप किया। उन्होंने इस मामले में कैमरे में कैद तस्वीरों का भी संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस के लिए यह और शर्म की बात है कि केन्द्र में प्रतिनियुक्ति, लेकिन यहां तैनात एक पुलिस उपाधीक्षक और उसकी आईपीएस पत्नी भी इसमें शामिल थी। 'वार्ता' की ख़बर है कि भारतीय क्रिकेट टीम का एक तेज गेंदबाज भी इस “एल्कोहल पार्टी” में शामिल था।

इस मामले में पड़े छापे का नेतृत्व करने वाले सहायक पुलिस अधीक्षक सुभाष चन्द्र दुबे ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि छापे के दौरान वहां मौजूद लोगों के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, क्योंकि उन्हें नहीं पता कि उन्होंने कोई कानून तोड़ा था या इस डिस्कोथेक में शराब परोसे जाने का समय क्या है।

Friday, September 5, 2008

बूढ़ी माँ को जंगल में छोड़ दिया बेटे ने, पहचानने से भी किया इंकार

अपने समय में रेडियो स्टेशन पर गीत गाने वाली यह 75 वर्षीय वृद्धा अब अपने बेटों की याद में रोती रहती हैं। अमेरिका और दुबई की सैर कर चुकी यह महिला आज दो जून की रोटी के लिए दूसरों की मोहताज़ हो गई है। बुढ़ापे ने भले ही उनकी आंखों की रोशनी और कानों के सुनने की ताकत कम कर दी हो, लेकिन उनकी आंखें सिर्फ अपने बेटों का ही इंतज़ार करती रहती हैं। अपने पति को बरसों पहले खो चुकी जिस मां ने बेटों को ऊंची तालीम दिलाने के साथ पाल-पोस कर इस काबिल बनाया कि वे बेहतर जीवन जी सकें, उन्हीं बेटों ने बूढ़ी होने पर मां का साथ छोड़ दिया।

मूल रूप से रोहिणी की रहने वाली इस वृद्धा को उसका छोटा बेटा यह कहकर घर से लेकर चला था कि वह उन्हें हरिद्वार ले जाएगा। लेकिन वह उन्हें मोदीनगर के जंगल में छोड़ कर चला गया। कई दिनों तक भूखी प्यासी भटकने के बाद जब उस पर एक राहगीर की नज़र पड़ी, तो उसने उन्हें गाजियाबाद छोड़ दिया। अब यह महिला पिछले एक सप्ताह से गाजियाबाद के एक गुरुद्वारे में रह रही हैं। दिल्ली के रोहिणी इलाके की रहने वाली शारदा रानी ने बताया कि उनका बड़ा बेटा हरियाणा के करनाल में रहता है, जबकि छोटा बेटा रोहिणी में ही रहता है। पति की मौत के बाद उन्होंने ही दोनों की परवरिश की थी। दिल्ली के एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखने वाली इस 75 वर्षीय वृद्धा ने बताया कि वह अपने ज़माने में रेडियो स्टेशन पर फिल्मी गीत गाती थीं और परिवार के साथ अमेरिका, दुबई की सैर भी कर चुकी हैं। लेकिन बुढ़ापे ने उनसे सारी खुशियां छीन लीं। जिन बच्चों को उन्होंने पाल-पोस कर बड़ा किया, उन बच्चों को ही अब वह बोझ लगने लगी है। करनाल में रहने वाले बड़े बेटे ने तो ऐसा मुंह मोड़ा कि कई बरसों तक शक्ल ही नहीं दिखाई और जिस छोटे बेटे के पास दिल्ली में वह रह रहीं थी, वह काफी दिन पहले वह उन्हें देर रात को अपनी कार में यह कहकर लेकर चला था कि वह उन्हें हरिद्वार लेकर जा रहा है। लेकिन मोदीनगर आते ही बहाना बनाकर नीचे उतारा और कार लेकर चला गया। कई दिनों तक वह भूखी-प्यासी जंगल में भटकती रहीं। कुछ दिन बाद सड़क से गुज़र रहे एक स्कूटर सवार व्यक्ति ने उन्हें बेसुध अवस्था में पड़े देखा। वह उन्हें गाज़ियाबाद में छोड़कर चला गया। यहां एक रिक्शा चालक उन्हें बजरिया स्थित संतपुरा गुरुद्वारे के बाहर छोड़कर चला गया। तब से वह यहीं रह रही हैं।

स्थानीय निवासियों द्वारा महिला के बताए गए एक नंबर पर फोन किया गया, तो उस पर वही व्यक्ति मिला, जिसका उन्होंने नाम लिया था। लेकिन जब उन्होंने उस व्यक्ति से वृद्धा को ले जाने का आग्रह किया, तो उन्होंने आने की बात कहकर फोन काट दिया। इसके कुछ दिन बाद जब उन्होंने उसी नंबर पर फिर से फोन किया, तो उस व्यक्ति ने शारदा को पहचानने तक से इनकार कर दिया।
(नवभारत टाइम्स से साभार)

Wednesday, September 3, 2008

विदेशी चैनल बेबस भारत की तस्वीर दिखा रहे

दुनिया भर में 'असहाय भारत' की तस्वीर पेश किए जाने से आहत सेना ने कहा है कि बिहार में राष्ट्रीय आपदा के बावजूद सशस्त्र सैन्य बलों का स्थिति पर पूरी तरह नियंत्रण है और वह बचाव कार्य करने में सक्षम है। कोसी की प्रलयंकारी बाढ़ के बावजूद सेना अब तक लाखों लोगों को सुरक्षित निकाल चुकी है, पर विदेशी न्यूज चैनल ऐसी तस्वीर पेश कर रहे हैं, मानो भारत ऐसी आपदाओं से निपटने में पूरी तरह अक्षम है। दुनिया भर के रक्षा अटैची सेना से पूछ रहे हैं कि आखिर भारत में इतनी खराब स्थिति क्यों है?

दैनिक जागरण में जरनैल सिंह लिखते हैं कि इसी तरह की स्थिति से विदेश मंत्रालय को भी दो-चार होना पड़ रहा है। विदेश मंत्रालय यही समझाने में जुटा है कि भारत अपने यहां आई इस आपदा से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। गलत तस्वीर पेश किए जाने के बाद ही रक्षा मंत्री ए।के। एंटनी ने सेना के राहत व बचाव अभियान के बारे में मीडिया को ब्रीफ करने को कहा। सेना का कहना है कि सीएनएन, बीबीसी व अन्य विदेशी चैनल जान-बूझ कर भारत की भ्रामक छवि पेश कर रहे हैं। एक सैन्य अधिकारी का कहना था कि विदेशी चैनल किसी फंसे हुए व्यक्ति या जान-माल का नुकसान उठा चुके व्यक्ति का दुख-दर्द तो दिखा रहे हैं, पर इतने बड़े पैमाने पर राहत एवं बचाव कार्य की एक फुटेज तक नहीं दिखाई जा रही। विदेशी चैनलों के इस रवैये से सेना इसलिए भी आहत महसूस कर रही है क्योंकि इससे उसके दुनिया की बड़ी सैन्य ताकत के तौर पर उभरने की छवि को धक्का लगता है।

सुनामी जैसी आपदा के वक्त जहां भारत ने इंडोनेशिया, श्रीलंका और मालदीव को भी अपने युद्धपोत अमेरिका से पहले भेज दिए थे, वहीं चीन में भूकंप और म्यांमार में तूफान के बाद भी इस क्षेत्र की एक बड़ी ताकत के तौर पर व्यवहार करते हुए सहायता दी थी। लेकिन विदेशी चैनल भारत को एक ऐसे देश के तौर पर दिखा रहे हैं जो अपने यहां बाढ़ की आपदा से भी निपट पाने में अक्षम है।

Tuesday, September 2, 2008

माँ ने नहर में बहा दिया, सांप ने बचा लिया!

जन्म देने वाली जननी ने जिगर के टुकड़े की जान लेने के लिए उसे नहर में बहा दिया था, लेकिन शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं था। इसीलिए उस नवजात को सांप ने बचा लिया। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि नहर में एक सांप ने उसे अपने शरीर में लपेट कर डूबने से तब तक बचाए रखा जब तक लोगों की निगाह उस पर नहीं पड़ गई। और फिर एक जांबांज ने नहर में छलांग लगा कर बच्ची को बचा लिया तथा खुद उसकी परवरिश करने की पेशकश भी पुलिस से कर दी है।

पानीपत में हुयी यह घटना, रविवार दोपहर की है। पैरलल बड़ी नहर में पॉलीथिन के थैले में बंद एक नवजात बच्ची बही जा रही थी। उसके रोने की एक महिला ने सुनी। महिला के मुताबिक उसने देखा की थैली को एक सांप लपेटे हुए था। वहां से गुजर रहे कालोनी के प्रॉपर्टी डीलर सुरेश नहर में कूद गए। ऐसा देख सांप ने थैली को फन से हौले से छुआ, मानो बच्ची का माथा चूम रहा हो और पानी में गायब हो गया।

सुरेश पॉलीथिन बाहर निकाल लाए। इसे खोल कपड़ों में लिपटी नवजात को निकाला और घर पहुंचे। दाई को बुलाकर उसकी गर्भनाल कटवाकर गुनगुने पानी से नहलाया। पुलिस को सूचना दी। फिर अस्पताल ले जाकर उसे जन्म के समय लगने वाले टीके लगवाए। सुरेश व उसकी पत्नी दीपू बच्ची को पाकर काफी खुश हैं।

राहत में जुटने से पहले,छह दिन तक सरकारी आदेश का इंतजार करती रही सेना

बाढ़ की त्रासदी झेल रहे बिहार के लाखों लोगों को बचाने के लिए पटना पहुंची सेना को राहत कार्यों में जुटने से पहले तब तक इंतज़ार करना पड़ा जब तक उन्हें सरकारी आदेश नहीं मिला। उन्हें सरकारी आदेश मिलने तक छह दिन का इंतजार करना पड़ा। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह खुलासा करते हुए कहा कि छह दिन के इंतजार के बाद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सेना की औपचारिक तैनाती के आदेश दिए गए। उक्त अधिकारी ने कहा कि सेना की तैनाती में यदि इतनी देरी नहीं की जाती तो कई जानें बचाई जा सकती थी।

नाम न छापने की शर्त पर इस अधिकारी ने इंडो-एशियन न्यूज सर्विस को बताया, 'सेना को छह दिनों तक सरकारी आदेश के लिए पटना में इंतजार करना पड़ा। इन छह दिनों में न जाने कितने का नुकसान हो गया।' इस अधिकारी ने कहा, 'बिहार सरकार ने सेना की तैनाती के संबंध में तब तक आदेश नहीं दिए जब तक कि दिल्ली स्थित उसके आवासीय आयुक्त ने केंद्रीय सचिव से मुलाकात नहीं कर ली।'

उल्लेखनीय है कि राहत कार्यों के लिए औपचारिक आदेश 26 अगस्त को दिए गए थे जबकि सेना 20 अगस्त को पटना पहुंच गई थी। पटना पहुंचने के बाद भी सेना को राहत कार्यों में नहीं लगाया गया।

Monday, September 1, 2008

प्रेम विवाह कर, दहेज में 15 लाख मांगे, न मिलने पर पत्नी को छत से फेंका

दहेज लोभी पति ने दहेज में पंद्रह लाख रुपये न मिलने पर पत्नी को घर की छत से फेंक दिया। इस समय उसकी पत्नी अस्पताल में जिंदगी व मौत से जूझ रही है। चार महीने पहले दोनों ने प्रेम विवाह किया था। अमृतसर के राकेश खन्ना शॉल व्यापारी है। उनकी बेटी गोपिका ने घर के सामने ही रहने वाले इंद्रजीत सिंह बल्ल के साथ प्रेम विवाह किया है। उनका दामाद इंद्रजीत कोई काम नहीं करता। शादी के एक महीने के बाद इंद्रजीत ने उनकी बेटी को कहा कि वह व्यापार करना चाहता है। इसलिए वह अपने मायके से पंद्रह लाख रुपये लेकर आए। उनकी बेटी ने पंद्रह लाख रुपये लाने से इनकार कर दिया।

इसके बाद इंद्रजीत बल्ल ने दूसरी शर्त उनकी बेटी के समक्ष रखी कि वह अपने पिता के व्यापार में उसको सांझेदार बनाए। उनकी बेटी ने उसकी यह शर्त भी नामंजूर कर दी। इंद्रजीत और उसकी मां अमरीक कौर पंद्रह लाख रुपये मांगने की जिद जारी रखी। 29 अगस्त की रात, इंद्रजीत बल्ल, उसका पिता बलदेव सिंह, मां अमरीक कौर व गोपिका चारों घर की छत पर बैठे हुए थे। इसी दौरान पंद्रह लाख रुपये लाने की बात की चर्चा शुरू हो गयी। उनकी बेटी ने इससे इनकार किया तो इंद्रजीत ने उनकी बेटी को पीटना शुरू कर दिया। घर की छत पर खड़ी उनकी बेटी ने जोर-जोर से उनको आवाजें लगानी शुरू कर दी। इससे पहले कि वह अपनी बेटी की आवाज सुन पाते। उनके दामाद ने उनकी बेटी को छत से धक्का देकर नीचे फेंक दिया। उनकी बेटी के शरीर की हड्डियां कई जगह से टूट गयी हैं।