भारत की तलाश

 

Friday, February 20, 2009

लोकसभा अध्यक्ष का श्राप: आप सब चुनाव हार जायो!

लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने 19 फरवरी को, सदन में हंगामा कर रहे सांसदों को खरी-खरी सुना दी। सोमदा ने सदस्यों से कहा कि आने वाले चुनावों में वे सभी हार का मुंह देखें। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि देश की जनता उन्हें अच्छी तरह पहचान जाएगी और चुनावी फैसला कर सबक सिखाएगी। कड़क मिजाज स्पीकर ने तो यहां तक कह डाला कि आप लोग सार्वजनिक धन में से एक पैसा पाने लायक नहीं हैं।

विभिन्न राजनीतिक दलों के ये सांसद कुछ मुद्दों को लेकर सदन के गर्भगृह में घुस गए थे और प्रश्नकाल में बाधा डाल रहे थे। इन सदस्यों के व्यवहार से खफा अध्यक्ष ने कहा कि वे मानते हैं कि संसद को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा ‘आप लोगों को व्यर्थ में भत्ते देने के लिए सार्वजनिक पैसा नहीं बहाया जाना चाहिए।’ चटर्जी ने ये विचार तब जताए जब बसपा, भाजपा, टीडीपी, आरपीआई, पीएमके और एमडीएमके के कुछ सदस्य गर्भगृह में घुसकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। चटर्जी ने सदस्यों के शोरशराबे से परेशान होकर कहा आपका आचरण निंदनीय है और आप लोकतंत्र का काम तमाम कर रहे हो। देश की जनता सब कुछ देख रही है। मैं उम्मीद करता हूं कि लोग आपको पहचान लें और सबक सिखाएं।

श्री चटर्जी ने पहले तो कहा कि हंगामे के बावजूद वे सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं करेंगे लेकिन 15 मिनट तक लगातार नारेबाजी और शोरशराबा जारी रहने पर व्यथित होकर बोल उठे मेरे विचार में सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जानी चाहिए। आपको संसद में आने का भत्ता नहीं मिलना चाहिए। आपको जनता के धन में से एक भी पैसा नहीं दिया जाना चाहिए। आप इसके हकदार नहीं है। आप देश की जनता का अपमान कर रहे है और उसे मूर्ख बना रहे है।

Sunday, February 15, 2009

एक दूसरे के लिए मर मिटने की कसमें खाने की बजाय पति की जान बचा मनाया वेलेंटाइन डे

बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश के दूरदराज क्षेत्र में हुई एक घटना ने एक विवाहित जोड़े के लिए वेलेंटाइन को सार्थक बना दिया। संडियार गांव की सागरी देवी की दिलेरी ने न केवल अपने सुहाग को नया जीवनदान दिया बल्कि उस पर हमला करने वालों में से एक को मौत के घाट उतार दिया।  यह घटना 14 फरवरी को तड़के उस समय घटी जब दोनों पति-पत्नी सुबह अपनी दिनचर्या के कार्यों में व्यस्त थे। सागरी देवी का पति सीताराम घर के बरामदे में खड़ा था। अचानक तीन जंगली गीदड़ों ने सीताराम पर हमला बोल दिया। अचानक हमले से सीताराम नीचे गिर गया। एक गीदड़ ने सीताराम की बाजू अपने मुंह में डाल रखी थी और दो उसे पीठ की ओर से पंजें मार रहे थे। सीताराम के चिल्लाने पर उसकी पत्नी सागरी देवी ने दराटी व डडे से गीदड़ों पर हमला कर दिया। एक गीदड़ को सागरी देवी ने दराटी से वहीं ढेर कर दिया जबकि दो अन्य गीदड़ अपने साथी को मरता देख वहां से भाग गए। सीता राम की बाजू व पीठ पर गहरे घाव हुए हैं। बाद में घायल सीताराम को सीएचसी बरठीं पहुंचाया गया जहां पर उसे प्राथमिक चिकित्सा दी गई और उसे दाखिल कर लिया गया।

गांव के बुजुर्ग इसे किसी तरह का दैवी प्रकोप मान रहे हैं क्योंकि आज तक जंगली गीदड़ों ने कभी किसी पर घर में हमला नहीं किया था। सागरी देवी को बहादुरी के लिए पुरस्कृत करने का आग्रह सरकार से किया गया है।

मेरठ के छात्रों ने पेट्रोल के साथ-साथ बैटरी से चलने वाली मोटरसायकिल बनाई

मेरठ में आईआईएमटी कालेज के पांच छात्रों ने एक ऐसी मोटरबाइक बनाई है, जो पेट्रोल के साथ-साथ बैटरी से भी चलेगी। बाइक से चालीस किलोमीटर का सफर लगभग चार रुपए में तय किया जा सकेगा। बाइक को सौर ऊर्जा से चलाने के लिए भी विकसित किया जा रहा है।  बाइक बनाने वाले वैभव श्रीवास्तव, सुमित यादव, सुजीत सिंह, पंकज पांडेय व मनोज सिंह यूपी के गंगानगर स्थित आईआईएमटी कालेज में मेकेनिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्र हैं।

ऐसी बाइक बनाने की प्रेरणा इन छात्रों को होंडा सिविक की पहली डुअल सेगमेंट कार देखकर हुई। प्रेरणा को साकार करने के लिए इन छात्रों ने कई स्थानों से जानकारियां एकत्र कीं। प्रो.अरविंद पंडित के निर्देशन में चार माह के प्रयास के बाद 21 हजार रुपए की लागत से एक ऐसी बाइक तैयार हो गई, जो एक लीटर पेट्रोल में प्रति घंटे साठ किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसमें लगी बैटरी के एक बार फुल चार्ज होने पर यह एक घंटे में चालीस किलोमीटर का सफर तय करेगी। बाइक को और अत्याधुनिक बनाने के लिए सौर ऊर्जा से जोड़ने का काम चल रहा है।

Tuesday, February 10, 2009

पूरे परिवार को चलती ट्रेन से फेंका

मुरारी अपनी पत्नी बच्चों के साथ होडल के पास 9-10 फरवरी की रात मुरैना जा रहे थे। रात लगभग 10:15 बजे निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 7 से उन्होंने एक ट्रेन पकड़ी। ट्रेन में तीन-चार युवकों ने उन्हें नशीला तंबाकू खिला दिया। इसके बाद उनका सिर चकराने लगा। इस बीच युवकों ने उनकी पत्नी के साथ छेड़खानी शुरू कर दी। इसके चलते उन्होंने बोगी बदल दी, लेकिन युवक उनके पीछे वहां भी गए। उन्होंने जब विरोध किया तो युवकों ने होडल के पास उन्हें, उनके एक साल के बेटे अमन और चार साल की बेटी शिवानी सहित चलती ट्रेन से फ़ेंक दिया। गनीमत रही कि टेन की स्पीड कम थी, जिसकी वजह से चारों की जान बच गई।

रात को पास की एक बस्ती में रात गुजारने के बाद मंगलवार सुबह इस परिवार ने पलवल के सरकारी हॉस्पिटल में मरहम पट्टी कराई। इसके बाद उन्हें फरीदाबाद के बीके हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि एक साल के बच्चे अमन के सिर पर गहरी चोट है। उसे अंडर आब्जवेर्शन रखा गया है। जीआरपी के इंचार्ज प्रह्लाद के अनुसार मामले की जांच की जा रही है। यह पूछे जाने पर कि किस ट्रेन से आए थे, मुरारी का कहना है कि टिकट सूटकेस में थे जो ट्रेन में ही रह गया। रेलवे पुलिस पता लगा रही है कि घटना किस ट्रेन में हुई।

ऐसी ही एक घटना अहमदाबाद में भी हुई। पीटीआई के मुताबिक भरूच रेलवे स्टेशन के पास दो युवकों को चलती ट्रेन से फेंक दिया गया, जिससे एक की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। रेलवे सुरक्षा बल के अफसरों ने बताया कि महाराष्ट्र के जलगांव तालुका के रहने वाले शंकर कोली (24) को ओखा पुरी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में सीटों को लेकर हुई बहस के बाद चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। उन्होंने बताया कि शंकर की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे युवक को गंभीर चोट आई है। घायल को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

हजारों पूर्व सैनिकों ने लौटाए अपने मैडल

देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले हजारों पूर्व सैनिकों ने सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन और अन्य सुविधाएं मिलने में भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद अपने मैडल राष्ट्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल को वापस कर दिए। भारतीय भूतपूर्व सैन्यकर्मी आंदोलन (आईईएसएम) के बैनर तले लगभग 12 हजार पूर्व सैनिकों ने जंतर मंतर पर भारी विरोध प्रदर्शन के बाद अपने वीरता पदकों को राष्ट्रपति के सुपुर्द कर दिया। आईईएसएम के अध्यक्ष लेफ्टीनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज कादियान के नेतृत्व में पूर्व अधिकारियों और सैनिकों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति भवन जाकर पूर्व सैनिकों के साथ लंबे समय से किए जा रहे भेदभावपूर्ण रवैए की शिकायत करते हुए श्रीमती पाटिल की अनुपस्थिति में उनके मंत्रालय को वीरता पदक सौंप दिए।

जनरल कादियान ने बताया कि उनकी सबसे बड़ी और बहुप्रतीक्षित मांग समान पद के लिए समान पेंशन दिए जाने की है, जिसके लिए देश भर में 23 लाख पूर्व सैनिक संघर्षरत हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ सेना में ही भेदभाव पूर्ण व्यवस्था कायम है, जिसके तहत पूर्व सैनिकों के पेंशनभत्ते वेतन आयोग की सिफारिशों के दायरे में आने के बावजूद इनकी पेंशन में समय बीतने के साथ कोई इजाफा नहीं होता। उन्होंने बताया कि आज से दस साल पहले सेवानिवृत्त हुए सैनिक की पेंशन अभी सेवानिवृत्त होने वाले सैनिक की पेंशन से काफी कम होती है। नतीजतन दस साल पहले सेवानिवृत्त होने वाले आला सैन्य अधिकारी की पेंशन आज रिटायर होने वाले हवलदार या सिपाही से काफी कम होती है।