इसे बुरी तरह यातना दी गई। वो कहां से आया , कहां का रहने वाला है पूरी तरह भूल चुका है। कोई अपराधी भी नहीं है। अपनी याददाश्त पूरी तरह खो चुका है। इसकी फाइल खो गई है। अदालत के आदेश के बाद राजस्थान पुलिस जेल से 34 साल बाद छूटने वाले प्रभुनाथ नाम के एक व्यक्ति को लेकर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के गांव-गांव में भटक रही है। पुलिस प्रभुनाथ को वापस उसका परिवार दिलाना चाहती है। लेकिन प्रभुनाथ के परिवार का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि प्रभुनाथ जेल में रहकर अपनी याददाश्त पूरी तरह खो चुका है।
प्रभुनाथ कोई अपराधी भी नहीं है, उसकी गलती तो सिर्फ इतनी थी कि वह रोजी-रोटी की तलाश में राजस्थान गया और फिर किसी तरह भारत-पाक सीमा पर पहुंच गया। वहीं श्रीगंगानगर पुलिस ने गिरफ्तार करके उसे 14 मई 1974 को जेल भेज दिया। प्रभुनाथ पर पाकिस्तान का जासूस होने का शक किया जाने लगा। जेल में पूछताछ के दौरान इसे बुरी तरह यातना दी गई।
IBN7 के अनुसार, कुछ दिनों तक तो पेशी होती रही लेकिन कुछ दिनों बाद इसकी फाइल खो गई। फिर तो प्रभुनाथ का वजूद भी जेल में खो गया। आखिरकार पुरानी फाइलों की निपटाने के दौरान किसी के हाथ प्रभुनाथ की फाइल भी लग गई। बात अदालत तक पहुंची और प्रभुनाथ को रिहा करने का आदेश दिया गया। यही नहीं अदालत ने प्रशासन को यह आदेश भी दिया कि प्रभुनाथ का घर ढूंढकर उसे उसके परिवार से मिलाया जाए। लेकिन ये काम पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया, क्योंकि प्रभुनाथ अब सिर्फ एक ही शब्द बोलता है ‘बस्ती’। बहरहाल राजस्थान पुलिस ने पुरानी फाइलों के आधार पर प्रभुनाथ का घर ढूंढना शुरु कर दिया है।
लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है जितना पुलिस समझ रही थी। बस्ती जिला बंटकर तीन जिलों में बदल गया है। बहुत से थानों के नाम बदल चुके हैं। शायद गांवों के नाम भी अब वो नहीं रहे।
भारत की तलाश
Sunday, April 6, 2008
यहाँ भारत में भी एक 'कश्मीर' है, लेकिन भारतीय है!
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