देश में आबादी के साथ-साथ उत्तरप्रदेश न सिर्फ मानवाधिकारों के हनन के मामले में सबसे आगे है, बल्कि पूरे देश में इन मामलों की दर्ज शिकायतों में से आधे से अधिक इस राज्य से हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मानवाधिकारों के हनन के मामले में उत्तरप्रदेश के बाद देश की राजधानी दिल्ली का नंबर आता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की वर्ष 2005-06 की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2005-06 के दौरान आयोग को देश भर से कुल 74 हजार 444 शिकायतें मिली। इनमें आधे से अधिक 44 हजार 560 उत्तरप्रदेश की हैं। इनमें हिरासत में हुई मौत के 277 मामले हैं, जबकि हिरासत में दुष्कर्म का भी एक मामला दर्ज किया गया है। पूरे देश में मानवाधिकारों के हनन के संबंध में जितने मामले दर्ज किए गए हैं, उसका लगभग 60 फीसदी उत्तरप्रदेश के हैं।
मानवाधिकारों का हनन करने में उत्तरप्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है जहां वर्ष 2005-06 के दौरान कुल पांच हजार 27 मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में हिरासत में मौत संबंधी 32 शिकायतें शामिल हैं। इस सूची में बिहार तीसरे स्थान पर है, जहां मानवाधिकार हनन के चार हजार 545 मामले दर्ज किए गए। इन मामलों में हिरासत में 247 मौत की शिकायतें शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में हिरासत में दुष्कर्म का भी एक मामला दर्ज किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप एक ऐसा क्षेत्र रहा जहां मानव अधिकारों के हनन से संबंधित एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि नागालैंड ऐसा राज्य है, जहां इस संबंध में सबसे कम केवल दो मामले दर्ज किए गए। सिक्किम और दादर नागर हवेली में मानव अधिकारों के हनन से संबंधित पांच-पांच मामले दर्ज किए गए। आयोग की रिपोर्ट में बिहार के बाद मानवाधिकारों के हनन के मामले में हरियाणा में 3001 मामले, राजस्थान में दो हजार 647 मामले और मध्यप्रदेश में दो हजार 465 मामले दर्ज किए गए।
मानवाधिकार हनन के मामलों में अन्य राज्यों में उत्तरांचल में 1789, महाराष्ट्र में 1586, झारखंड में 1540, पंजाब में 1029 मामले दर्ज किए गए। अन्य राज्यों में तमिलनाडु में 920, पश्चिम बंगाल में 865, आंध्रप्रदेश में 837, उड़ीसा में 753, गुजरात में 635, कर्नाटक में 529 तथा छत्तीसगढ़ में 491 मामले दर्ज किए गए। इनके अलावा केरल में 231, असम में 192, जम्मू-कश्मीर में 163, हिमाचल प्रदेश में 153, चंडीगढ़ में 135, गोवा में 39, त्रिपुरा में 36, पांडिचेरी में 32, मणिपुर में 30, मेघालय में 28, मिजोरम में 27, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में 25, अरुणाचल प्रदेश में 18 तथा दमन और दीव में 11 मामले दर्ज किए गए। रिपोर्ट पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 277 मौतें हिरासत में हुई, जबकि बिहार इस मामले में दूसरे स्थान पर रहा जहां हिरासत में मौत के 247 मामले दर्ज किए गए।
3 comments:
उत्तरप्रदेश अव्व्ल नही है ये कहना गलत है मेरे हीसाब से दिल्ली से कोई अव्व्ल नही होगा। जरा मूंबई तो जा के देखी ये फीर सारे आकणॆं कम पड जाऎंगे
uttar pradesh ke halaat kitne kharab hai.ye na soch kar.pradesh me aatankiyo ko kitno ka samarthan hai.or kitne log unke paise se satta ko hath me lena chahte hai.ye pata karna jarruri hai.bhrashtachar pure charam per hai.leke upar se niche tak sab khula paisa chalta hai.is per ankush lagna chahiye.
meerut mein ek police karmi ko sareaam ek vidhayak thappad marta hai.or aayog chup baith kar tamasha dekhta hai.
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