इस बढती महंगाई के दौर में हमारे, आपके लिए ही केन्द्र सरकार के योजना आयोग ने देश के कई हिस्सों में कसीनो खोलने की अनुमति देने की भारी वकालत की है। पर्यटन विकास के लिए सुझाए गए कदमों के तहत योजना आयोग की विशेषज्ञ समिति ने इस हफ्ते सौंपी अपनी रपट में कहा है कि न केवल विदेशी पर्यटक, बल्कि भारतीय पर्यटक भी शाम को मनोरंजन का जरिया खोजता है। इसलिए देश के कई हिस्सों में कसीनो शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
यह सिफारिश अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए है कि जुआ खेलना भारतीय कानून के तहत प्रतिबंधित है और इसी वजह से पर्यटन बढ़ाने के बेहतरीन जरिए के तौर पर देखे जाने के बावजूद कसीनो खोलने की अभी तक अनुमति नहीं है। दैनिक हिन्दुस्तान के अनुसार, योजना आयोग सदस्य अनवरुल होदा द्वारा तैयार इस रपट में सिफारिश की गई है कि कसीनो को अनुमति से न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि इससे राज्य सरकारों के राजस्व में भी भारी बढ़ोतरी होगी। लास वेगास (अमेरिका), मोंटे कारलो और मकाऊ (चीन) जैसे प्रसिद्ध पर्यटक केन्द्रों की अर्थव्यवस्था मुख्यतः उनके कसीनो के कारोबार पर टिकी है और सिंगापुर तक ने हाल में दो कसीनो खोलने की अनुमति दी है। वैसे देखा जाए तो, भारत में जुआ खेलने वालों की एक बड़ी संख्या नेपाल जाती है, जहां केवल विदेशियों के लिए कई कसीनो हैं।
अब कोई इन्हें मजबूर नहीं करता है क्या? कि लास वेगास, मोंटे कार्लो जैसी जगह का जब यह नाम लेते हैं तो इन्हे वहाँ की पेयजल, ट्रैफिक, बिजली जैसी मूलभूत समस्यायों की जानकारी भी देनी चाहिए, जुयाघर की जानकारी के साथ-साथ। ज़रा देखियेगा, ध्यान रखियेगा, कहीं अगली बार योजना आयोग की कोई और विशेषज्ञ समिति बैंकाक जैसी किसी जगह का हवाला देकर, राजस्व बढाने के लिए, सेक्स मॉल बनाने की वकालत न कर दे!
ये है इंडिया, भाई'साब!
भारत की तलाश
Saturday, April 5, 2008
राजस्व बढाने के लिए सरकार जुआघर खोलेगी, आपके लिए!
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4 comments:
लगता है भारत को भारत नहीं रहने दिया जायेगा।
विनाशकाले विपरीत बुद्धि। वैसे ही क्या कम नरक है जो, कसीनो को लाइसेंस देने की इच्छा जाग रही है। इसी से अंदाजा लगता है कि नीति बनाने-बताने वाले कितने बेहूदे हैं।
सरकार के हर काम मे आपको खोट निकलेने की लगता है जी पुरानी बिमारी है ,अगर सरकार चला रहे नेता अब तक गैर कानूनी रूप से चल रहे जुआ घरो को कानूनी कर कुछ पैसा खजाने मे जमा कराना चाहते है तो आपको इसमे क्या बुराई दिख रही है,क्या आप नही चाहते कि हमारे नेता कभी कानूनी रूप से भी कोई काम कर सके, सारे चकलो और जुआ घरो को कानूनी रूप देना एक अच्छा काम है तब जो लोग मलेशिया बैंकाक जाते है वो पैसा भी देश मे ही रहेगा जी..:)
हां तो इसमे मुश्किल क्या है. वैसे भी छिपाकर जुआ खेलनेवालों की कमी नही है. रहा सवाल न खेलने वालों का, तो क्या उनके संस्कार इतने कम-कुव्वत है कि डगमगाजाए आसानी से?
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