भारत की तलाश

 

Sunday, June 22, 2008

सही सूचना नहीं दी: राष्ट्रपति सचिवालय को फटकार

तीन साल से इंतजार कर रही नूर सबा को राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए समय नहीं दिया गया। सूचना के अधिकार के तहत उसने अपने आवेदन की बाबत जानकारी चाही तो राष्ट्रपति सचिवालय ने उसे स्पष्ट जवाब देने के बजाय गुमराह किया। अंतत: उत्तर प्रदेश के रामपुर की इस अध्यापिका केंद्रीय सूचना आयोग की शरण ली। आयोग ने राष्ट्रपति सचिवालय को न केवल फटकार लगाई वरन दस दिन के भीतर मामला निपटाने के निर्देश भी दिए हैं।

नूर सबा महिला अध्यापिका हैं जिन्होंने अपनी निजी समस्या के चलते 9 जून 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डा। एपीजे अब्दुल कलाम से मुलाकात का समय मांगा था। नूर सबा अपने आवेदन की स्थिति के बारे में बार-बार राष्ट्रपति सचिवालय से पूछती रही। आजिज सबा ने सूचना का अधिकार कानून के तहत राष्ट्रपति सचिवालय से जानकारी मांगी कि उनके आवेदन की क्या स्थिति है? लंबित है, प्रक्रिया में है या फिर ठुकरा दिया गया है। इन सवालों के जवाब देने के बजाय सचिवालय ने नूर सबा को पत्र के जरिये अवगत कराया कि मुलाकात की वजह और उसके महत्व को देखने के साथ-साथ अपनी सहूलियत के आधार पर ही किसी को मिलने का समय देते हैं।

राष्ट्रीय सहारा के अनुसार, सही जबाब नहीं मिलने पर नूर सबा ने सचिवालय में अपीलेट अधिकारी के जरिये कहा मुझे सही जबाब दिया जाय। फिर भी सही सूचना नहीं मिली। नूर सबा ने आखिरकार केन्द्रीय सूचना आयोग में अपनी गुहार लगायी। मामले की सुनवाई स्वयं मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह ने की। उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय के सभी तर्र्कों को खारिज करते नूर सबा को सही जानकारी देने की बजाय गुमराह करने के लिए फटकार लगायी। किससे मिलना है और किससे नहीं, यह अधिकार राष्ट्रपति का जरूर है, पर नूर सबा ने जो जानकारी मांगी उस बारे में उसे सही और सटीक क्यों नहीं बताया गया। सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने सूचना का अधिकार कानून की धारा 2 (एफ) का हवाला देते हुए अपने को बचाना चाहा पर हबीबुल्लाह ने अधिकारियों को लताड़ा।

नूर सबा को सूचना देने में गुमराह किए जाने के लिए हबीबुल्लाह ने कड़ी फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति सचिवालय में अपीलेट अधिकारी सुश्री रसिका चौबे को दस दिनों के भीतर इस मामले में सही जानकारी देकर निस्तारण करने का भी निर्देश दिया। मुलाकातियों द्वारा समय मांगे जाने की बाबत पूछे गए रिकार्ड के बारे में राष्ट्रपति सचिवालय ने कहा कि उसके पास सिर्फ राष्ट्रपति से हुई मुलाकात वाले लोगों का ब्यौरा रहता है। कितने लोगों ने मुलाकात का समय मांगा है इसका कोई ब्यौरा सचिवालय के पास नहीं है। गौरतलब है कि नूर सबा का राष्ट्रपति से मिलने के लिए आवेदन 9 जून 2005 से सचिवालय में पड़ा है।

1 comment:

Udan Tashtari said...

ये हालत इतने उच्च सचिवालय की है तो बाकियों की सोचिये.