भारत की तलाश

 

Sunday, June 8, 2008

ये हमारा आज है, कल हम भी ऐसे ही होंगें

बात सिर्फ राजधानी की ही नहीं है। बेशक अपवाद मिलेंगे लेकिन कमोबेश यह स्थिति हर जगह है। एक राष्ट्रीय समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 52 प्रतिशत बुजुर्गों के साथ उनके बच्चे व बहुएं गाली गलौज व मारपीट तक करते हैं। वे बुजुर्गों को संपत्ति अपने नाम करवाने के लिए उन पर दबाव डालते हैं। यही नहीं, जब किसी बिल्डर या कंस्ट्रक्शन कंपनी की नजर बुजुर्गों की जायदाद पर पड़ती है, तो अक्सर कई मामलों में ये लोग नए हथकंडे अपनाकर उन्हें अपनी जायदाद कम कीमत पर बेचने के मजबूर करते हैं। पुलिस या तो तमाशबीन बनी रहती है या अक्सर इनसे मिलकर बुजुर्गों को मामला निपटाने के लिए कहती है।

जैसा कि दैनिक हिन्दुस्तान लिखता है, Help Age India द्वारा किए गए सर्वे से यह भी सामने आया है कि संपत्ति के मामले में सबसे ज्यादा बुजुर्गों का उत्पीड़न राजधानी के बसंत विहार, ग्रेटर कैलाश, गुलमोहर पार्क, चित्तरंजन पार्क, फ्रैन्ड्स कालोनी, हौजखास, ग्रीन पार्क, लाजपत नगर, डिफेंस कालोनी जैसे पॉश इलाकों में होता है। दक्षिण दिल्ली के इलाकों में करीब 42 प्रतिशत बुजुर्ग उत्पीड़न के शिकार हैं। इन इलाकों के बेटे व बेटियां अपनी शानदार लाइफ स्टाइल के लिए बुजुर्गों से लगातार पैसों की मांग करती हैं। बुढ़ापे में बच्चों पर निर्भर होने के कारण लोग उनकी मांगों को ठुकारने में असमर्थ रहते हैं। उत्पीड़न के शिकार बुजुर्गों में 49 प्रतिशत पुरुष तथा 28 प्रतिशत महिलाएं हैं।

सर्वे के अनुसार उत्पीड़न के शिकार 44 प्रतिशत बुजुर्गों ने अपने उत्पीड़न की शिकायत पुलिस से की। शेष बुजुर्गों ने पुलिस व कानून पद्धति पर विश्वास न होने, बच्चों के साथ भावनात्मक जुड़ाव व परिवार की इज्जत आदि के कारण शिकायत नहीं की। मारपीट के अलावा बुजुर्गों के उत्पीड़न में और भी कई तरीके अपनाए जाते हैं। मसलन, उन्हें मित्रों, रिश्तेदारों से अलग-थलग कर दिया जाता है। अगर उनसे मिलना चाहें तो कह दिया जाता है कि वे बोल नहीं सकते। बुजुर्गों को पोते-पोतियों से मिलने नहीं दिया जाता। बुजुर्गों को बाहर निकल कर उनकी आयु के लोगों से मिलने-जुलने या घूमने नहीं दिया जाता।

2 comments:

राज भाटिय़ा said...

ओर उन्हे वासी ओर गन्दा खाना दिया जाता हे, उन के बेटो के सामने ही उन की बहुंऎ अपने सास ससुर को कुत्ता हरमजादा कहती हे, ओर बेटे हिजडओ की तरह से यह सब सुन कर चुप रहते हे, फ़िर अपने मां बाप के मरने पर गगां नहा कर अपने पाप धो लेते हे, ओर फ़िर चील कौवओ की तरह से उसी कुत्तो ओर हरमजादो की ज्यादाद के लिये अपिस मे कुत्तो की तरह से लडते हे, फ़िर भी हमे अपने संस्कारो पर मान हे....
फ़िर अगली लाईन मे आप का भी तो नम्बर लगे गा... जेसा बोगे वेसा काटना भी तो हे
लानत हे ऎसी बहु, बेटी ओर बेटो पर....

Udan Tashtari said...

बहुत दुखद और अफसोसजनक.