भारत की तलाश

 

Tuesday, June 17, 2008

जनता ने, जनप्रतिनिधियों को कुर्सी से उतार कर, इतिहास रच दिया

निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने की एक अर्से से देश में चल रही बहस के बीच छत्तीसगढ़ के तीन नगर पंचायतों के अध्यक्षों को वापस बुलाकर मतदाताओं ने आज इतिहास रच दिया। इन परिणामों ने राज्य के स्थानीय निकायों एवं पंचायतों के उन सभी जनप्रतिनिधियों के लिये खतरे की घंटी बजा दी है जो निर्वाचित होने के बाद जनआकांक्षाओं को पूरा करने में उदासीन रहे हैं।

राज्य के इतिहास में पहली बार निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के लिए हुए मतदान की आज हुई गणना में ‘खाली कुर्सी’ के पक्ष में 50 प्रतिशत से अधिक मतदान होने के कारण तीनों ही नगर पंचायत गुन्डरदेही, नवागढ़ एवं राजपुर के अध्यक्ष पद से हट गए। तीनों नगर पंचायतों में एक जैसे परिणाम से राजनीतिक हलके में भी इसके आने वाले दिनों में पड़ने वाले असर पर चर्चा शुरू हो गई है। वापस बुलाने के लिए हुए मतदान से लेकर परिणाम तक राजनीतिक दलों एवं प्रेक्षकों ने इन चुनावों पर काफी नजदीक से इस पर नजर रखी थी। जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के लिए पहली बार हुए मतदान में तीनों ही स्थानों पर आधे से अधिक लोगों ने उन्हें नापसन्द किया और वापस बुलाने के पक्ष में मतदान किया। इन परिणामों से जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के मामले राज्य में तेजी से बढ़ सकते हैं।

मतदान के लिए मतपत्र में केवल दो चिन्ह बनाए गए थे जिसमें एक खाली कुर्सी का तथा दूसरा चिन्ह भरी कुर्सी का था। भरी कुर्सी के चिन्ह का आशय अध्यक्ष के पक्ष में तथा खाली कुर्सी का उसे हटाये जाने का था। तीनों स्थानों पर भरी हुई कुर्सी के पक्ष में कुल पड़े वोटों में से 50 प्रतिशत से कम मत पड़े।

निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का कानून बहुत पुराना है पर इसका पालन आमतौर पर नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा- 47 में प्रावधान है कि गठन के दो वर्ष बाद सम्बधित नगरपालिका या नगर पंचायत के तीन चौथाई पार्षद अगर कलेक्टर को अध्यक्ष के विश्वास खो देने का लिखकर देते हैं, तो उसको वापस बुलाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इन प्रकरणों में भी कलेक्टरों के पास पार्षदों ने लिखित शिकायत की थी जिसका पहले उन्होंने परीक्षण करवाया फिर राज्य सरकार को इस बारे में रिपोर्ट भेज दी। राज्य सरकार ने उस पर विचार करने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव करवाने के लिए सूचित किया, जिसके बाद ये चुनाव करवाए गये।

2 comments:

अनिल रघुराज said...

भारतीय लोकतंत्र के लिए शानदार खबर। दुआ करें कि यह व्यवस्था छत्तीसगढ़ की नगर पंचायतों के दायरे से बाहर निकलकर पूरे देश में लागू हो।

Udan Tashtari said...

जबरदस्त स्वागत योग्य खबर. अनिल जी से पूर्णतः सहमत.