भारत की तलाश

 

Sunday, June 8, 2008

आईये, आईये, आईये, हाईस्कूल परीक्षा के रिजल्ट में ६०% की गारंटी

उत्तर प्रदेश के एक निजी विद्यालय ने, हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट में कम से कम साठ प्रतिशत अंक दिलाने की गारंटी के साथ अपने यहां दाखिले की प्रक्रिया शुरू की है। 'गारंटी' शब्द ने ही उस विद्यालय में प्रवेशार्थियों की लम्बी कतार लगा दी। खुद विद्यालय प्रबंधतंत्र स्वीकार कर रहा है कि उसके यहां कई राज्यों के छात्र दाखिले के लिए आ रहे हैं।

पूरे प्रदेश में ज्यादातर निजी विद्यालयों द्वारा इसी तरह के विज्ञापन देकर छात्रों को प्रवेश के लिए अभी से बुलाया जाना शुरू कर दिया गया है। कोई और नहीं, प्रदेश के सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यो की जो एसोसिएशन है, वह तक मान रही है कि यह नकल की खुलेआम 'बुकिंग' हैं। उप्र प्रधानाचार्य परिषद के उपाध्यक्ष जेपी मिश्र कहते हैं, 'कोई विद्यालय इस बात की गारंटी कैसे ले सकता है कि इतने प्रतिशत अंक आयेंगे ही। यह तभी सम्भव है, जब वहां छात्रों की कॉपियां निर्धारित लक्ष्य को ध्यान में रख कर लिखवायी जाएं।'

जिन विद्यालयों द्वारा इस तरह के विज्ञापन प्रकाशित किये गये हैं, उनके यहां बाकायदा अभी से छात्रों को यह बताया जा रहा है कि उन्हें हर महीने कितने रुपये देने होंगे और परीक्षा से पूर्व एकमुश्त कितनी रकम जमा करनी होगी। पूर्व प्रधानाचार्य और वर्तमान में विधान परिषद में शिक्षक दल के सदस्य जगवीर किशोर जैन का सवाल है कि यह सब इतने खुले तौर पर हो रहा है, फिर भी इसका कोई संज्ञान नहीं ले रहा। सरकार को इस तरह के विज्ञापन देनेवाले विद्यालयों को नोटिस जारी करके पूछना चाहिये कि वे किस आधार पर कम से कम साठ प्रतिशत अंक दिलाने की गारंटी दे रहे हैं।

दैनिक जागरण के अनुसार, शिक्षा विभाग के आला अफसर भी दाखिले के समय ही न्यूनतम साठ प्रतिशत अंक गारंटी से इत्तेफाक नहीं रखते। कहते हैं कि कोई इस तरह की गारंटी कैसे ले सकता है लेकिन उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं कि फिर इस तरह के विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही। वैसे माध्यमिक शिक्षामंत्री रंगनाथ मिश्र का कहना है कि बोर्ड परीक्षा से पूर्व ही वह इस तरह की व्यवस्था करने जा रहे हैं कि गोरखधंधा करनेवाले किसी व्यक्ति की दाल नहीं गलेगी।

2 comments:

मैथिली गुप्त said...

क्यों गारंटी नहीं ली जा सकती? इस गारंटी के लिये कुछ शर्तें भी होंगी, मसलन छात्र कम से कम 90 प्रतिशत क्लास अटेंड करें, अपना 80% होमवर्क कर के लायें. अब जो पढ़ेगा सो पास तो होगा ही. 60% अंक की बिसात ही क्या है?


प्रदेश के सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यो की जो एसोसिएशन को ये क्यों अजूबा लग रहा है हम सभी जानते हैं.

Udan Tashtari said...

इस विषय पर आपको और मैथली जी को पढ़कर बस विचार ही कर सकता हूँ मगर कोई कमेंट नहीं.