महाराष्ट्र के कोल्हापुर के १७ साल के श्रीधर की कहानी बस चमत्कारिक है। दलित परिवार के इस लड़के की किस्मत खुली शोध प्रतियोगिता से। आकाशगंगा पर श्रीधर के सिद्धांत को न सिर्फ इनाम मिला बल्कि नासा के दरवाजे खुल गए। खेत में काम करने वाले मजदूर के बेटे को नासा ने बतौर जूनियर साइंटिस्ट काम करने का न्यौता दिया है।
श्रीधर अभी नासा तो नहीं पहुंचा है, लेकिन उसके गांव में लोग काफी खुश हैं। उसे न सिर्फ नासा से बल्कि कोलोरैडो यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए बुलावा आया है। लेकिन यह सब इतना आसान नहीं होगा। पहले 2 साल का खर्च श्रीधर को वहन करना पड़ेगा। जिसके लिए महाराष्ट्र सरकार ने ५० लाख की सहायता का आश्वासन दिया है। तीसरे साल से नासा से १००० डॉलर मासिक छात्रवृति मिलेगी।
भारत की तलाश
Sunday, May 18, 2008
खेतिहर मजदूर के बेटे को NASA से न्यौता
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3 comments:
वाह, बालक को बधाई. प्रतिभावान है. सब इन्तजाम हो जायेगा.
श्रीधर जिन्दाबाद। इस समाचार से पंकज जी अवधिया याद आए। हमारे गाँवो में बहुत प्रतिभाएं और ज्ञान बिखरा पड़ा है। उस की धूल झाड़नी होगी।
अब खबर आयी है कि श्रीधर ने अपने दावे की पुष्टि के लिये जो दस्तावेज प्रस्तुत किये थे, वह झूठे साबित हुये हैं। स्वयं श्रीधर ने भी मान किया है कि उसने झूठा दावा किया था।
कौन कहता है कि प्रतिभायें सिर्फ शहरों में होती हैं?
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