हमारी पुलिस तो है ही कमाल की, चाहे वह मध्यप्रदेश की पुलिस हो या उत्तर प्रदेश की पुलिस। उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं हैं। तभी तो उसने बगैर कुछ सोचे विचारे महज तीन साल के मासूम को भी गोली चलाने का आरोपी बना डाला।
मामला मध्य प्रदेश में छतरपुर जिले के नौगांव थाने का है। घटना कोई तीन माह पुरानी है। वीरपुरा गांव में 7 फरवरी को हरिहरण गंगेले पर जान लेवा हमला होता है। उन पर गोली चलाई जाती हैं, मगर वे बच जाते हैं। उनकी रिपोर्ट पर नौगांव पुलिस प्रताप सिंह राय, सुघर सिंह, राघवेन्द्र सिंह और राघवेन्द्र के छोटे भाई (मृगेन्द्र) को आरोपी बना देती हैं। इस मामले के तीन दिन बाद ही प्रताप सिंह की गिरफ्तारी हो जाती हैं और शेष तीन लोग फरार घोषित कर दिए जाते हैं।
दैनिक देशबंधु की ख़बर है कि, घटना के 90 दिन बाद नौगांव के न्यायालय में चालान पेश किया जाता है। राघवेन्द्र जब अपने भाई मृगेन्द्र के साथ न्यायालय में पेश होता है तो सभी हतप्रभ रह जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पुलिस ने जिस मृगेन्द्र को हत्या के प्रयास का आरोपी बनाया है, उसकी उम्र महज 3 साल ही हैं। न्यायालय ने मृगेन्द्र पर कार्रवाई करने की बजाए उसे कोर्ट से ले जाने के आदेश दिए। मजे की बात हैं कि पूरे 90 दिन में पुलिस ने प्रकरण की जांच की और चालान न्यायालय में पेश कर दिया। पुलिस ने यह तक जानने की कोशिश नहीं की कि आरोपी कौन हैं और उनकी उम्र क्या हैं। इस सम्बन्ध में छतरपुर के पुलिस अधीक्षक डीं श्रीनिवास वर्मा का कहना है कि यह गड़बड़ी विवेचना करने वाले अधिकारी से हुई हैं। उसने पूरे प्रकरण और आरोपियों के बारे में ज्यादा खोज खबर नहीं की। इतना ही नहीं उसने विवेचना पूरी कर ली और न्यायालय में चालान पेश कर दिया। इस प्रकरण ने पुलिस के उस चेहरे को बेनकाब करने का काम किया है जिसे कम लोगों ने देखा हैं। साथ ही पुलिस को अपना वह चेहरा भी दिख गया, जिसे उसने खुद कम देखा है।
भारत की तलाश
Saturday, May 17, 2008
तीन साल के बच्चे ने गोली चलायी!?
Labels:
आरोप,
उत्तर प्रदेश,
गोली,
पुलिस,
मध्य प्रदेश,
विवेचना
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment