भारत की तलाश

 

Tuesday, May 27, 2008

दो लाख से ज़्यादा परीक्षार्थी हिंदी में फेल हो गए, उत्तरप्रदेश में!

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की इंटरमीडिएट परीक्षा में मातृभाषा हिंदी में ही सवा दो लाख परीक्षार्थी फेल हो गये। 2008 की इंटरमीडिएट परीक्षा में सूबे में 17 लाख 4 हजार 660 परीक्षार्थी शामिल हुये थे। इनमें 11 लाख 68 हजार 889 उत्तीर्ण हुये। इस प्रकार 5 लाख 71 हजार 771 परीक्षार्थी फेल हो गये।

इंटरमीडिएट में हिंदी दो विषयों 'हिंदी' व 'सामान्य हिंदी' के रूप में पढ़ाई जाती है। सामान्य हिंदी विज्ञान व वाणिज्यिक वर्ग में तथा अन्य वर्गो में हिंदी का पर्चा होता है। इस वर्ष हिंदी में 3 लाख 98 हजार 877 छात्र शामिल हुए थे। इनमें से 3 लाख 4895 सफल रहे। 5 लाख 76 हजार 713 छात्राओं ने परीक्षा दी जिनमें 5 लाख 11 हजार 311 सफल रहीं। छात्राओं का पास प्रतिशत 91. 07 रहा तो छात्र उनसे पीछे रहे। दोनों को मिलाकर 9 लाख 60 हजार 290 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी। इनमें 8 लाख 16 हजार 206 ने सफलता पाई। इस प्रकार 1 लाख 44 हजार 84 परीक्षार्थी फेल हो गये। सामान्य हिंदी में भी छात्राएं आगे रहीं। उनका पास प्रतिशत 94.49 प्रतिशत रहा जबकि छात्र 87.30 प्रतिशत ही पास हो सके। सामान्य हिंदी में शामिल होने वाले छात्र छात्राओं की संख्या 6 लाख 73 हजार 300 थी। इनमें 5 लाख 96 हजार 952 पास हुये। हिंदी व सामान्य हिंदी दोनों में मिला कर कुल 2 लाख 20 हजार 132 परीक्षार्थी फेल हुए। हिंदी का 84.99 व सामान्य हिंदी का 88.70 प्रतिशत रहा है।

दैनिक जागरण के अनुसार, गुरुनानक इंटर कालेज के हिंदी प्रवक्ता अखिलेश कुमार शुक्ला कहते हैं, 'अंग्रेजी तो विदेशी भाषा है परंतु अपनी भाषा में इतनी संख्या में छात्र-छात्राओं का अनुत्तीर्ण होना दुर्भाग्यपूर्ण है। बोर्ड को पाठ्यक्रम, शिक्षण विधि, शिक्षकों की उपलब्धता आदि की समीक्षा कर इसके कारण तलाश कर हल निकालना चाहिये।' दूसरी भारतीय भाषाओं की सफलता का आकलन करें तो हिंदी व संस्कृत से भी बढ़कर पंजाबी भाषा का परिणाम सर्वाधिक रहा है। अच्छी बंगला जानने वालों में छात्राएं आगे हैं। छात्राएं शत प्रतिशत सफल रहीं तो छात्र 44 प्रतिशत ही सफल हुए।

1 comment:

Udan Tashtari said...

इतनी बड़ी संख्या में फेल, यहाँ तक प्रतिशत में भी, कहीं कुछ बेसिक गड़बड़ दिखती है हिन्दी की शिक्षा व्यवस्था में.