भारत की तलाश

 

Saturday, May 3, 2008

महाराष्ट्र में शुक्राणुओं की चोरी

आप सबने सोना-चांदी-हीरे-जवाहरात की चोरी की बात तो सुनी होगी लेकिन महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुक्राणुओं की चोरी की गई है और चोर पकड़ा भी गया है। शुक्राणुओ की ये चोरी औरंगाबाद के क्रायोबैंक से हुई है जिसे क्रायोसेल इंडिया चलाती है। पकड़ा गया चोर अनिल मोहिते क्रायोबैंक की लेबोरेटरी में काम करने सुनिल मोहिते का भाई है। मामले की जांच कर रहे अधिकारी पी एस बोलकर ने बीबीसी को बताया कि क्रायोबैंक के अधिकारियों ने हफ्ते भर पहले उनसे शिकायत की थी कि उनके शुक्राणु बैंक से चोरी हो रही है।

पुलिस के अनुसार अनिल और सुनिल ने मिलकर ये शुक्राणु चुराए और बेचने की कोशिश की लेकिन शायद उन्हें ये नहीं पता था कि ये इतने मंहगे नहीं है। इन चोरों ने शुक्राणुओं के क़रीब 100 नमूने चुराए थे जिसकी क़ीमत 25 से 40 हज़ार आंकी गई. हालांकि कुछ डॉक्टरों के अनुसार शुक्राणुओं की क़ीमत प्रति शुक्राणु एक हज़ार रुपए तक भी हो सकती है। क्रायोबैंक के प्रमुख सूर्यकांत हयातनगरकर कहते हैं कि पिछले एक साल से उनके बैंक में चोरियां हो रही थीं और उन्हें शक था.

शुक्राणुओं को संरक्षित रखना मुश्किल काम है तो फिर ये चोरी हुई कैसे. पुलिस अधिकारी पीएस बोलकर बताते हैं, " देखिए इसमें तो बैंक के कर्मचारी मिले हुए हैं. ये हुआ कि इन कर्मचारियों को वो सभी डॉक्टर जानते हैं जो इस बैंक से स्पर्म लेते हैं. इन्हें शुक्राणुओं को एक जगह से दूसरी जगह भेजने की प्रक्रिया मालूम है. इसलिए उन्हें दिक्कत नहीं हुई चुराने में." डॉक्टर भी इस तरह की चोरी से थोड़े अचंभे में हैं क्योंकि आम तौर पर कृत्रिम गर्भाधान करवाने वाले सभी क्लिनिकों के पास अपने शुक्राणु बैंक होते हैं और वो किसी बाहरी व्यक्ति से इनकी ख़रीद फ़रोख्त नहीं करते. हयातनगरकर कहते हैं कि शुक्राणुओं की ख़रीद फ़रोख्त के क्षेत्र में कोई क़ानून न होना भी चोरी की वजह है.

भारत में इस संबंध में कोई क़ानून नहीं है जिसका मतलब है कि कोई भी डॉक्टर किसी से भी शुक्राणु खरीद सकता है. इस घटना से ये संभव नहीं है कि क़ानून बन जाएं लेकिन इतना ज़रुर है कि शुक्राणुओं की इस चोरी में क्रायोबैंक को नुकसान हो गया है क्योंकि अब चोरी वाले शुक्राणु उनके शायद किसी काम न आएं.

2 comments:

Udan Tashtari said...

हद है भई!!

दिनेशराय द्विवेदी said...

वैसे शुक्राणु की खरीद-फरोख्त और व्यावसायिक उपयोग पर कानून होना चाहिए।