उसने, पुलिस महानिदेशक रंजीव दलाल के सामने जब बीस से अधिक मैडल और प्रमाण-पत्र रखकर नौकरी मांगी तो एक बारगी डीजीपी भी सोचने को मजबूर हो गए। 'सर.. ये मैडल और प्रमाण-पत्र खाने को नहीं देते। ..पेट तो रोटी से भरता है। मुझे नौकरी पर रख लो.. चाहे चपरासी ही रख लो..।’ ये कहना था वेट लिफ्टिंग में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी श्रीनिवास का।
दैनिक भास्कर के समाचार अनुसार भारोत्तोलन में राज्य स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीत चुका श्रीनिवास पुत्र रूलिया राम मूल रूप से महम का रहने वाला है। राष्ट्रीय स्तर की भी कई प्रतियोगिताओं में उसने भाग लिया है लेकिन अब रोजी-रोटी का कोई स्थायी साधन नहीं होने के कारण अभ्यास छूट चुका है। चार बेटियां का पिता श्रीनिवास कहता है, ‘जल्दी ही कोई नौकरी नहीं मिली तो उम्र भी निकल जाएगी। इन मैडल से पेट नहीं भरता। जहाँ जाता हूं..मैडल देखते हैं पर नौकरी कोई नहीं देता। अब तो चपरासी की नौकरी मिल जाए तो वह भी कर लूंगा।’
चंडीगढ़ से आए समाचार में यह भी बताया गया है कि डीजीपी से मिलते समय श्रीनिवास सफेद कुर्ते-पायजामे में था। जब वह चतुर्थ श्रेणी स्तर की नौकरी मांग रहा था तो एक पुलिस अधिकारी बोला, ‘कम से कम इस खादी का तो लिहाज कर। यह बहुत बड़ी चीज है। खादी पहनने वाले को इतनी छोटी नौकरी हम नहीं दे सकते।’ डीजीपी रंजीव दलाल ने श्रीनिवास को भरोसा दिलाया कि वह उसके लिए प्रयास करेंगे। पता करेंगे कि कहां इस श्रेणी का खाली पद है। पद मिला तो नौकरी दिलवाने की कोशिश करेंगे।
भारत की तलाश
Saturday, May 10, 2008
चपरासी की नौकरी भी चलेगी, वेट लिफ्टिंग के राष्ट्रीय खिलाडी को
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1 comment:
दुखद एवं अफसोसजनक.
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आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं, इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.
एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.
यह एक अभियान है. इस संदेश को अधिकाधिक प्रसार देकर आप भी इस अभियान का हिस्सा बनें.
शुभकामनाऐं.
समीर लाल
(उड़न तश्तरी)
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