उड़ीसा के चार जिले बाढ़ से तबाह हो चुके हैं लेकिन इस प्राकृतिक आपदा के दरम्यान ही यहां ऐसी साहसी महिला सामने आई है जो बाढ़ प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए किसी भी बाधा की परवाह नहीं करती है। यह हैं 35 वर्षीय संध्यारानी पंडा यानी संध्या दीदी जो यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं। सप्ताह पहले जब से यह पंचायत इलाका बाढ़ के पानी में डूबा है, तब से संध्यारानी पीड़ितों को आवश्यक दवाएं मुहैया कराने के लिए दिन भर में 25 किमी से अधिक दूरी पैदल तय करती हैं। संध्यारानी के पैरों में तकलीफ है और वह ठीक से चल नहीं पाती हैं। इसके बावजूद पत्कुरा ग्राम पंचायत में चित्रोत्पला नदी के बाएं तटबंध पर तीन स्थानों में दरार आने के बाद से उन्होंने बिल्कुल आराम नहीं किया है।
वह 20 सितंबर से मैं बाढ़ प्रभावितों को आवश्यक दवाएं बांट रही हूं। नदी के तट पर या जलमग्न हो चुके गांव में, हर दिन वह कम से कम 100 मरीजों से मिलती हैं। कई बार संध्यारानी को मरीजों तक दवा पहुंचाने के लिए घुटने तक पानी में लंबी दूरी तक चलना पड़ता है। मकान पानी में डूबे होने के कारण मरीज बाहर नहीं आ पाते हैं। साधारण कपड़े पहनने वाली संध्यारानी के कंधे पर थैला रहता है। इसमें बुखार, जुकाम, खांसी, पेचिश और अन्य बीमारियों के लिए दवाएं रहती हैं। ज्यादातर लोगों को बाढ़ के दौरान अधिक समय तक पानी में रहने की वजह से जुकाम और बुखार हो गया है। उन्होंने बताया कि पहले दिन मैंने 73 मरीजों को दवाइयां दीं। बाढ़ का प्रकोप बढ़ने के साथ साथ मरीजों की संख्या भी बढ़ती गई।
पैर की तकलीफ (एथलीट फुट) के बारे में वह कहती हैं कि मनुष्य होने के नाते मैं भी आराम चाहती हूं लेकिन मेरी अंतरात्मा कहती है कि लोगों की परेशानी को देखते हुए फिलहाल यह संभव नहीं है। संध्यारानी मरीजों को दवाइयां देने का दायित्व नि:स्वार्थ भाव से पूरा कर रही हैं लेकिन खुद उनके पास एथलीट फुट के इलाज की एकमात्र दवा पोटेशियम परमैगनेट नहीं है।
(राष्ट्रीय सहारा के समाचार पर आधारित)
भारत की तलाश
Tuesday, September 30, 2008
वो, बाढ़ पीड़ितों तक दवा पहुंचाने के लिए रोज 25 किमी. पैदल चलती है
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6 comments:
इनको हमारा सलाम।
"hats off to her for her contribution"
Regards
संध्यारानी को प्रणाम!
संध्यारानी जी को सादर प्रणाम। धन्य है संध्याजी
संध्यारानी को हमारा सलाम।
यही तो हे असली पुजा,
धन्यवाद
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