भारत की तलाश

 

Tuesday, September 2, 2008

माँ ने नहर में बहा दिया, सांप ने बचा लिया!

जन्म देने वाली जननी ने जिगर के टुकड़े की जान लेने के लिए उसे नहर में बहा दिया था, लेकिन शायद ईश्वर को यह मंजूर नहीं था। इसीलिए उस नवजात को सांप ने बचा लिया। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि नहर में एक सांप ने उसे अपने शरीर में लपेट कर डूबने से तब तक बचाए रखा जब तक लोगों की निगाह उस पर नहीं पड़ गई। और फिर एक जांबांज ने नहर में छलांग लगा कर बच्ची को बचा लिया तथा खुद उसकी परवरिश करने की पेशकश भी पुलिस से कर दी है।

पानीपत में हुयी यह घटना, रविवार दोपहर की है। पैरलल बड़ी नहर में पॉलीथिन के थैले में बंद एक नवजात बच्ची बही जा रही थी। उसके रोने की एक महिला ने सुनी। महिला के मुताबिक उसने देखा की थैली को एक सांप लपेटे हुए था। वहां से गुजर रहे कालोनी के प्रॉपर्टी डीलर सुरेश नहर में कूद गए। ऐसा देख सांप ने थैली को फन से हौले से छुआ, मानो बच्ची का माथा चूम रहा हो और पानी में गायब हो गया।

सुरेश पॉलीथिन बाहर निकाल लाए। इसे खोल कपड़ों में लिपटी नवजात को निकाला और घर पहुंचे। दाई को बुलाकर उसकी गर्भनाल कटवाकर गुनगुने पानी से नहलाया। पुलिस को सूचना दी। फिर अस्पताल ले जाकर उसे जन्म के समय लगने वाले टीके लगवाए। सुरेश व उसकी पत्नी दीपू बच्ची को पाकर काफी खुश हैं।

5 comments:

राज भाटिय़ा said...

क्या आज की नारी इतनी अधुनिक हो गई हे ? या फ़िर महान हो गई हे कि ....

manvinder bhimber said...

jise bhadwaan bachaye use kon maar sakta hai

magar mera samaaj mahan

महेन्द्र मिश्र said...

ऐसी माँ को क्या कहे जिसने अपनी संतान को मौत के मुंह में धकेल दिया पर उस बच्ची को बचाने वाले श्री सुरेश जी और दीपू जी की जितनी भी सराहना की जाए कम है जिन्होंने एक बच्ची को जीवनदान दिया .

L.Goswami said...

kitana ajib!! parntu satya.



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एक अपील - प्रकृति से छेड़छाड़ हर हालात में बुरी होती है.इसके दोहन की कीमत हमें चुकानी पड़ेगी,आज जरुरत है वापस उसकी ओर जाने की.

Unknown said...

बचपन में पढ़ा था, पूत कपूत हो सकता है पर माता कुमाता नहीं होती. पर शायद यह किताबी बातें थी. या फ़िर यह तरक्की का नया रूप है.