रेल्वे जंक्शन इटारसी के प्लेटफार्म और रेल्वे कालोनी की सड़कों पर झाडू लगाने वाली सफाई कर्मी महिला अब रेल यात्रियों से कहेगी टिकट प्लीज। सफाई का काम करने वाली यह दलित महिला अब कुछ दिन की ट्रेनिंग के बाद ट्रेन कंडक्टर (TC) बन जायेगी। यह संभव हुआ है इटारसी के नरेन्द्र नगर में रहने वाली महिला सफाई कर्मचारी शकुन्तला सारवान की मेहनत और लगन के कारण। उनके हाथों में झाडू नही अब कलम होगी और शरीर पर काला कोट। उनका चयन रेल्वे के विभागीय परीक्षा के बाद ट्रेन कंडक्टर (TC) के पद पर हुआ है।
नाम मात्र की पढ़ाई लिखाई करने वाली शकुन्तला सारवान बाल बच्चों वाली उम्र दराज अनुसूचित जाति की महिला है। सन् 1983-84 से केजुअल सफाई कर्मी के रूप में भारतीय रेल में सेवा दे रही है यह महिला 1990 में परमानेंट हुई। इसी बीच विगत अप्रैल माह में पार्सल क्लर्क, पाइन्ट्समेंन और टी.सी.सहित रेल्वे के अन्य पदों के लिये विभागीय वेकेन्सी निकली तो शकुनतला भी इसमें शामिल हुई और लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के उपरांत टी.सी के पद के लिये चयनित हो गई। अब वह आगामी 5 अक्टूबर को 51 दिन की ट्रेनिंग के लिये जोनल ट्रेनिंग सेंटर भुसावल जा रही है। ट्रेनिंग में सब कुछ ठीक रहा तो उसकी पोस्टिंग भी हो जायेगी।
शकुंतला संभवत: देश की पहली महिला सफाई कर्मी है जो लीक से हटकर अपनी लगन और मेहनत के बल पर अपने हाथों के झाडू से पल्ला झाड़ा है और ट्रेन कंडक्टर (TC) बनी है। उनकी इस उपलब्धि के कारण ट्रेनिंग के पहले ही इटारसी रेल्वे के स्टेशन अधिक्षक ने उन्हें झाडू लगाने के काम से पृथक कर लिखा-पढ़ी के काम पर लगा दिया है। यह चतुर्थ श्रेणी सफाई कर्मचारी समाज के लिये मिसाल बन गई है। उनकी इस सफलता पर न सिर्फ उनके घर परिवार में बच्चों का लालन पालन ठीक से हो पायेगा बल्कि समाज में भी उसे तिरस्कार नही सहना पड़ेगा। सफाई कुनबे वाले बाल्मिक समाज इसे अनुकरणीय मान रहे है तथा पूरे समाज में उत्साह दिखाई देने लगा है।
शकुन्तला को जानने पहचानने वाले उनकी इस कामियाबी का बखान करते नही थकते। इनकी उपलब्धियों से विपरीत परिस्थितियों में भी हौसलामंद रहकर कामयाबी तक पहँचने की सीख मिलती है।
भारत की तलाश
Saturday, September 27, 2008
सफाई कर्मी से टिकट कंडेक्टर बनी शकुन्तला
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2 comments:
"hatts off to Shakunta jee, josh-e- junun ho to kya nahee ho sketta..."
Regards
agree with seema jee
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