उत्तर प्रदेश के 866 इंटर कालेजों में पूरे साल भर प्रयोगशाला का ताला नहीं खुला। विद्यार्थियों को पता नहीं कि किस विषय में कितने प्रयोग होने हैं। वे केमिकल के नाम तक नहीं बता गए लेकिन बोर्ड के पास प्रैक्टिकल परीक्षा का जो एवार्ड ब्लैंक भेजा गया, उसमें उन विद्यालयों के सभी विद्यार्थी पास हैं। केवल पास नहीं बल्कि किसी को भी 30 में से 20 से कम नंबर नहीं मिले। विद्यार्थियों में से ज्यादातर को पता भी नहीं कि उनकी परीक्षा कब हुई। पैसों की लालच में विद्यालय प्रबंधन और नकलमाफिया विद्यार्थियों को उस जानकारी से वंचित कर रहे हैं जो आगे एक कदम चलने के लिए जरूरी है।
विद्यालयों की स्थिति की जांच के लिए शासन ने फरवरी में वरिष्ठ शिक्षाधिकारियों की नौ कमेटियां बनाई थीं। कमेटियों को विद्यालय भवन, संसाधन, शिक्षक, विद्यार्थी सभी के बारे में ब्योरा जुटाना था। प्रयोगशाला सुविधा और प्रैक्टिकल परीक्षा के बारे में समिति ने 22 मार्च को रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 529 विद्यालयों में तो प्रयोगशाला है ही नहीं। पूछताछ में ज्यादातर प्रधानाचार्यों ने स्टोर रूम को ही प्रयोगशाला बताया जिसमें ताला लगा रहा। शेष विद्यालयों में प्रयोगशाला बनी है लेकिन वहां साल भर ताला लगा रहा। विद्यालयों में प्रयोग कराने के लिए कोई सहायक तैनात नहीं है। सभी विद्यालयों में दसवीं और बारहवीं के 20-20 विद्यार्थियों से पूछताछ की गई। सभी ने कहा कि कोई प्रयोग नहीं कराया गया।
अमर उजाला लिखता है कि समिति ने उन विद्यालयों में प्रैक्टिकल परीक्षा के लिए नियुक्त परीक्षकों के नाम का भी रिपोर्ट में जिक्र किया है। कई परीक्षक तो स्कूल तक पहुंचे ही नहीं और एवार्ड ब्लैंक तैयार होकर बोर्ड को चला गया। समिति ने 104 परीक्षकों से भी पूछताछ की। उनमें से 78 उस स्कूल की सही लोकेशन नहीं बता सके जहां उन्हें परीक्षक के रूप में जाना था। शिक्षाधिकारियों ने रिपोर्ट में लिखा है कि प्रधानाचार्य, विद्यालय प्रबंधन और नकल माफियाओं से मिलकर परीक्षकों ने जो किया है, उसने परीक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है। यूपी बोर्ड की परीक्षा के बारे में यह धारणा और मजबूत हो गई है कि कोई भी जुगाड़ से डिग्री हथिया सकता है।
रिपोर्ट शासन को दी गई इसलिए बोर्ड के अधिकारी अभी कुछ बोलने को राजी नहीं हैं। अलबत्ता प्रैक्टिकल परीक्षा लेने गए परीक्षकों से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है और सम्बंधित प्रधानाचार्यों से पूछताछ की जा रही है। जिला विद्यालय निरीक्षकों से भी जवाब तलब किया गया है। एक और बात पर ध्यान दीजियेगा, माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्र का कहना है कि जांच में जो दोषी पाया जाएंगे उनका पारिश्रमिक तो रुकेगा ही, हमेशा के लिए परीक्षा कार्य से हटा दिए जाएंगे, अनुशासनात्मक कार्रवाई भी होगी।
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