डिजाइनर कपड़े और गहने किराए पर मिलना आम बात है, लेकिन अब सुंदर महिला साथी भी किराए पर उपलब्ध है। वो भी 10 से 15 हजार रुपए प्रति शाम के हिसाब से। ये पूरा कारोबार फिलहाल गरबा से जुड़ा है। नवरात्रि शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष हैं। ऐसे में मनपंसद गरबा मंडल में जाने के लिए युवकों को निराश नहीं होना पड़ेगा।
अमीर लेकिन अकेले युवकों की महिला साथी की तलाश पूरी करती हैं, 20 से 26 साल की युवतियां। दैनिक भास्कर में निजा शाह की रिपोर्ट है कि, स्वयं को ‘फीमेल एस्कार्ट’ कहलाना पसंद करने वाली ये युवतियां सूरत, पुणे और मुंबई से आती हैं। इनमें कुछ विदेशी खासकर रूसी युवतियां भी यहां सुंदर महिला साथी की चाहत वाले युवकों के साथ गरबा करने के लिए उपलब्ध रहती हैं।
गरबा के दौरान सुंदर महिला साथी की चाहत रखने वालों को उसके नाज-नखरे भी उठाने पड़ते हैं। मसलन, उन्हें इन युवतियों के आने-जाने, रहने, मोबाइल, गहने, परफ्यूम आदि का खर्च वहन करना पड़ता है। इसके अलावा, उन्हें कुछ बख्शीश भी देनी पड़ सकती है।
5 comments:
पता नहीं पुरूष के पास अपनी अयाशी का समान खरीदेने के लिये इतना पैसा कहा से आता हैं और पता नहीं कब पुरूष महिला के बिना जीना सीखेगे . ये कारोबार एक दिन मे बंद हो जाए अगर खरीदार ना हो .
पता नहीं कहां कहां क्या क्या खरीदा जाता हैं और ना जाने कौन किसको नचाता हैं ??
लेकिन सच सिर्फ़ ये हैं की पैसा मज़बूरी को बेचता हैं और नचाता हैं . मज़बूरी का नाम नहीं होता
रचना said... लेकिन सच सिर्फ़ ये हैं की पैसा मज़बूरी को बेचता हैं और नचाता हैं ...
या कहना चाहिये कि पैसा मजबूरी खरीदता है और उसे नचाता भी है..जो भी हो अजीब है कि कोई खरीदे गये साथी के साथ सच्ची खुशी कैसे पा सकता है ...या ऐसे पुरुष के लिए खुशी से बहुत बड़ी चीज़ सिर्फ और सिर्फ ऐन्द्रिक सुख है।
‘फीमेल एस्कार्ट’ ही क्यों 'मेल एस्कार्ट’ क्यों नहीं? क्या युवक बिकना नहीं चाहते या युवतियों के पास अभी रुपए नहीं आये?
धन पर पुरुषों का कब्जा जो अधिक है।
इस देश का यारों क्या कहना
ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का
इस देश का यारों क्या कहना
इस देश का यारों क्या कहना
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