भारत की तलाश

 

Friday, July 4, 2008

चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों के बीच पेड़ से बंधी युवती

कहने को तो नारी आज सफलता की बुलंदियां छू रही हैं,लेकिन सेतरावा गांव में इस युवती की हालत को जब देखा जाए तो, सब बातें खोखली नजर आती हैं। जोधपुर जिले के सेतरावा गांव में 22 वर्षीया युवती चार साल से जंजीरों में जकड़ी हुई हैं। चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों के बीच एक पेड़ से बंधी इस युवती की दयनीय हालत के जिम्मेदार उसके ससुराल वाले बताए जाते हैं। दाखु देवी 5-6 साल पहले सुनहरे सपने लेकर अपने ससुराल आई थीं। बाद में उसकी कोख से जन्मे बेटे की अचानक मौत होने से ससुराल वालों ने उसे मनहूस समझकर इतना प्रताड़ित किया कि वह मानसिक संतुलन खो बैठी। विक्षिप्त हालत में उसके ससुराल वालों ने उसे पीहरले जाकर छोड़ दिया। लिहाजा अपनी बेटी के हाथ पीले कर ससुराल भेजने वाले मां बाप भी आर्थिक तंगी के चलते उसका इलाज नहीं करवा सके। बेटी की हरकतों से दुखी होकर उन्होंने अपनी लाडली को एक पेड़ से जंजीरों से बांध दिया।

शहर से 110 किलोमीटर दूर शेरगढ़ तहसील निकट सेतरावा गांव के कमीजी की ढाणी निवासी चम्पाराम मेघवाल ने बड़े अरमानों के साथ 5-6 साल पहले अपनी लाडली बिटिया दाखू को डोली में बिठाकर पिया के घर विदा किया। शादी के एक साल बाद उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ससुराल व पीहर में खुशी का माहौल था। ये खुशियां चंद दिन ही रहीं और दाखू के बेटे की मौत हो गई। बेटे की अचानक मौत होने से ससुराल वालों ने दाखू को मनहूस मान लिया और इतना प्रताड़ित किया कि उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। फिर पति उसे पीहर छोड़ आया।

दैनिक भास्कर के अनुसार, मानसिक संतुलन खो चुकी दाखू देवी को खुला छोड़ने पर वह हर किसी के साथ अभद्र व्यवहार करने लगती है। गरीबी की मार झेल रहे दाखू के पिता चम्पाराम इलाज के लिए अपनी बेटी को जोधपुर भी लेकर आए,लेकिन यहां भी पैसे नहीं होने की वजह से डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। तब माता-पिता ने दुखी मन से 4 साल पूर्व दाखू को जंजीर से जकड़कर पेड़ से बांध दिया। आज दाखू की हालत ऐसी है कि वह जंजीरों में जकड़ी दीन दुनिया से बेखबर है। उसके मां-बाप भी इस आस में जी रहे हैं कि उनकी लाडली फिर से ठीक होकर सामान्य जिंदगी बसर करेगी। दाखू की दिनचर्या भी विकट है। सुबह-शाम उसकी मां उसे भोजन खिलाती है और प्यास लगने पर पानी पिलाती है। दिन-रात जंजीर से जकड़ी रहने के कारण शौच आदि वह वहीं करती है। इसकी जानकारी एक एनजीओ संभली ट्रस्ट को मिली तो उन्होंने मौके पर जाकर उसकी दयनीय हालत देखी और उसका उपचार कराने की कोशिश में लगी है।

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