भारत की तलाश

 

Friday, October 24, 2008

करोड़ों की जर्मन तकनीक काम नहीं कर सकी: देसी इंजीनियरों ने धेले भर में कर दिखाया

करोड़ों की जर्मन तकनीक भी जो काम नहीं कर सकी, उसे देसी इंजीनियरों ने धेले भर में कर दिखाया है। भारतीय रेलवे के डेढ़ सौ साल के इतिहास में पहली बार मल-मूत्र मुक्त स्टेशन का सपना साकार हो सकता है। देसी इंजीनियरों ने ऐसी युक्ति तैयार की है, जो खड़ी ट्रेनों में टायलेट पाइप के मुंह बंद रखेगी। ये तभी खुलेंगे, जब ट्रेन गतिमान होगी। यह यांत्रिक युक्ति बरेली के इंजीनियर एसी भारती की टीम ने तैयार की है। प्रयोग के तौर पर इसे बरेली-दिल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस के कुछ कोचों में लगाते हुए पूरा प्रोजेक्ट बड़ौदा हाउस को सौंप दिया गया है। शुरुआती प्रयोग सफल रहे हैं।

वैसे तो राजधानी और शताब्दी जैसी हाई-फाई ट्रेनों के जर्मन कोचों से खड़ी स्थिति में मल-मूत्र नहीं गिरने पाता है, लेकिन यहां यह कंप्यूटर तकनीक भी नाकाम हो गई है। मेंटिनेंस न होने के कारण अधिकतर कोचों के टायलेट खराब हो चुके हैं और चलती ट्रेन में भी नहीं खुलते हैं। एक तो इन्हें ठीक करना काफी खर्चीला है और चलती स्थिति में तो यह भी संभव नहीं है। ऐसे में लगातार गंधाने के कारण इनका इस्तेमाल यात्री भी नहीं कर पाते हैं। नई युक्ति शुध्द यांत्रिक नियमों पर आधारित है। इसमें टायलेट पाइप के नीचे एक प्लेट फिट कर उसके नीचे एक निश्चित भार लटका दिया जाता है। खड़ी स्थिति में यह प्लेट टायलेट पाइप को खुलने नहीं देती है मगर 40 किमी से अधिक की रफ्तार में हवा के विपरीत दबाव से यह प्लेट सरक जाती है और टायलेट पाइप खुल जाता है।

इस आसान सी लगने वाले विचार के जनक इंजीनियर एसी भारती है, जो इससे पहले पहियों के धुरे को गरम होने से बचाने की युक्ति 'हॉट बाक्स डिटेक्टर' बनाकर दिल्ली से लेकर लंदन तक में अपना नाम रोशन कर चुके हैं। जर्मन तकनीक कारगर न होने पर ही हमें सस्ती और टिकाऊ यांत्रिक युक्ति बनाने की सूझी, इंजीनियर भारती बताते हैं। नए विचार को उन्होंने अपने सहयोगी अभियंताओं पीएन भटनागर और पंकज साहू की मदद से अमली जामा पहनाया है।
(समाचार , दैनिक देशबंधु से साभार)

5 comments:

P.N. Subramanian said...

हम दोनो कर सकते हैं. हम माहिर हैं. दुनियाँ की कोई ताक़त नहीं जो हमसे लोहा ले सके. आभार.

दिनेशराय द्विवेदी said...

भारतीय सब कुछ कर सकते हैं बस उन्हें अवसर और प्रोत्साहन मिले।

Vivek Gupta said...

ये तो काफी अच्छी न्यूज़ है | कई बार अलग सोच काफी काम आती है |

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब,

अनुनाद सिंह said...

अब भारत का आत्मविश्वास जाग चुका है . अब मजा आयेगा!