दैनिक जागरण के सौजन्य से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के एग्रो इकोनोमिक रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए एक अध्ययन पर नज़र पड़ी, जिसके मुताबिक प्रदेश में पशुपालन में महिलाओं का योगदान लगभग 86.2 प्रतिशत, फल उत्पादन में 37.2, सब्जी उत्पादन में 45.2 और अनाज उत्पादन में 51.8 प्रतिशत है। इससे साफ है कि महिलाएं खेतीबाड़ी और पशुपालन के मामले में पुरुषों से ज्यादा काम कर रही हैं। वहीं, बात निर्णय लेने की हो तो स्थिति एकदम उलट हो जाती है। फसलों के मामले में कौन से बीज बीजे जाने चाहिए, इसमें सिर्फ 11.4 प्रतिशत महिलाओं की चलती है। फसलों को कीटों व फफूंद से बचाने के लिए कौन सी दवाइयों का इस्तेमाल किया जाए, इसमें सिर्फ 5.4 प्रतिशत महिलाओं की सलाह ली जाती है। कौन सी रासायनिक खादें इस्तेमाल की जाएं, इस मामले में सिर्फ 3.7 प्रतिशत महिलाएं निर्णय लेती हैं। जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले में सिर्फ 7.1 फीसदी महिलाओं की सलाह ली जाती है। खेती के लिए औजारों और उपकरणों की खरीद में 4.3 प्रतिशत महिलाओं की ही चलती है।
कृषि ऋण के मामलों में लिए जाने वाले 96.6 फीसदी निर्णय पुरुष ही लेते है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कृषि और बागवानी उपज की मार्केटिंग में महिलाओं की हिस्सेदारी मात्र 3.4 प्रतिशत है। जाहिर है कि दूध, कृषि और बागवानी उत्पादों को बेचने से आना वाला पैसा पुरुषों के नियंत्रण में रहता है। पशुपालन में महिलाओं का योगदान 86.2 प्रतिशत है, लेकिन दूध की मार्केटिंग सिर्फ 3.4 फीसदी महिलाएं करती है। अध्ययन से साफ है कि पैसों पर पुरुषों का नियंत्रण ज्यादा है, जबकि खेतों में काम करने के मामले में वह महिलाओं से पीछे है।
विश्वविद्यालय के एईआरसी के अध्ययन के मुताबिक अन्य मामलों में निर्णय लेने की बात करे तो बच्चों की पढ़ाई में 16.2, स्वास्थ्य में 12.5, गृह खर्च में 10.5, बचत में 8.5, ऋण और निवेश में 4.8, शादी और दहेज में 6.8 और गृह निर्माण या मरम्मत में मामलों में सिर्फ 11.6 महिलाएं ही निर्णय लेती हैं। महिला सशक्तिकरण से जुड़ी संस्था राज्य संसाधन केंद्र के निदेशक डा. ओम प्रकाश भूरेटा के मुताबिक नारी सशक्तिकरण तब तक संभव नहीं है, जब तक महिलाओं को धन से संबंधित निर्णय लेने के अधिकार न मिलें। हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में ज्यादातर काम महिलाएं करती हैं, जबकि मार्केटिंग पुरुष करते हैं।
भारत की तलाश
Thursday, October 16, 2008
खेतों में काम करने के मामले में पुरुष महिलाओं से पीछे, लेकिन पैसों पर नियंत्रण ज्यादा
Labels:
कृषि ऋण,
पशुपालन,
मार्केटिंग,
हिमाचल प्रदेश
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment