भारत की तलाश

 

Monday, October 20, 2008

श्रद्धांजलि के लिए मौन रखे जाने के समय भी बोलते रहे संसद सदस्य

संसद के दोनों सदनों में 17 अक्तूबर को अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला जब दिवंगत सदस्यों और देश में हुई विभिन्न घटनाओं में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मौन रखा जा रहा था तब कुछ सदस्यों ने कुछ अन्य घटनाओं के शिकार लोगों का उल्लेख नहीं किये जाने के विरोध में आवाज उठायी। राज्यसभा में सभापति हामिद अंसारी ने जब विभिन्न घटनाओं में मारे गये लोगों और सदन के दिवंगत पूर्व सदस्यों के सम्मान में सदस्यों से कुछ क्षणों का मौन रखने को कहा तब माकपा ने हाल के साम्प्रदायिक दंगों में मारे गये लोगों को भी इसमें शामिल करने की मांग को लेकर विरोध करना शुरू कर दिया जिस पर विपक्षी राजग ने आपत्ति जतायी।

इस पर सभापति ने कहा कि ऐसे मौकों पर इस तरह का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए लेकिन जब विरोध जारी रहा तो उन्होंने कहा कि सभी तरह की हिंसा में मारे गये निर्दोष लोगों के प्रति सदन शोक प्रकट करता है।

लोकसभा में भी इसी तरह का अभूतपूर्व नजारा देखने को मिला जब दिवंगत सदस्यों और पूर्व सदस्यों के अलावा आतंकवादी और कुछ अन्य घटनाओं में मारे गये लोगों के सम्मान में मौन रखने के लिए सदस्यों के खड़े होने पर असम के निर्दलीय सदस्य एस के विश्वमुतियारी ने अपने राज्य में हुई हिंसा का उल्लेख नहीं किये जाने का विरोध किया। सदन में मौन रखे जाने की पूरी अवधि के दौरान वह अपनी बात कहते रहे। इस तरह की घटना सदन में संभवत: पहली बार हुई।

2 comments:

Unknown said...

यह राजनीतिबाज हैं, इन्हें न मरने वाले अपने साथियों से कोई सहानुभूति है और न ही दंगों में मरने वालों से. अगर इन्हें लगता कि हंसने से इनका कोई स्वार्थ सिद्ध होता है तो यह शोक सभा में हँसते.

राज भाटिय़ा said...

सुरेश जी नै सही कहा है, ओर वेसे भी इन को तो अपनॊ वोटो से मतलब है,कोई मरे या जीये इन्हे क्या,