भारत की तलाश

 

Wednesday, August 13, 2008

तिरंगे की बदौलत चल रहा है घर का चूल्हा!

उत्तरप्रदेश के वाराणसी के साड़ी उद्योग में आई मंदी के कारण, लल्लापुरा निवासी मुहम्मद वसी का परिवार बेरोजगारी की मार झेल रहा था, लेकिन अब वे तिरंगा बुन रहे हैं, जिससे उसकी बेरोजगारी तो दूर हुई ही, साथ ही इनकी अलग पहचान भी बनी है। देशभक्ति के साथ रोजगार को जोड़ने वाले अकेले केवल वसी का ही परिवार नहीं है बल्कि वाराणसी में ऐसे लगभग दस परिवार हैं, जिनके घर का चूल्हा इसी तिरंगे की बदौलत चल रहा है। रेशम पर बनने वाला यह तिरंगा अब सभी वर्ग के लोगों के लिए बनने लगा है। कागज के तिरंगे की जगह अब यह तिरंगा दुपट्टे के रूप में तैयार किए जा रहे हैं।

मीडिया में आयी जानकारी के अनुसार मुहम्मद वसी अपने हैंडलूम पर केवल भारत में बने रेशम से ही तिरंगा झंडे बुनते हैं, क्योंकि वसी महसूस करते हैं कि तिरंगा तैयार करना उनके रोजगार का जरिया जरूर है, लेकिन यह भारत की शान का भी प्रतीक है। अत: इसमें इस्तेमाल होने वाली कोई भी चीज विदेशी नहीं होनी चाहिए। हैंडलूम पर तिरंगा बनाने के पीछे वसी की बेरोजगारी तो है साथ ही उनके अंदर देशभक्ति का भाव भी था। उन्होंने कहा, ''हम लोग भारतीय तिरंगे को सम्मान पूर्वक फहराते हैं। नवीन जिंदल ने उच्चतम न्यायालय से सभी भारतीयों के लिए यह अधिकार प्राप्त किया है। अब सभी स्कूलों के बच्चों के हाथों में 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन कागज व प्लास्टिक के तिरंगे तो दिखते हैं, लेकिन बाद में ये तिरंगे ऐसी जगह पड़े रहते हैं जहां उसका उचित सम्मान नहीं हो पाता है।''

उन्होंने कहा, ''इसके बाद ही कपड़े के तिरंगे तैयार करने की बात मेरे मन में आई। बस! मैं 26 जनवरी और 15 अगस्त के लिए तिरंगा तैयार करने लगा और वह हाथों-हाथ बिकने लगा।'' 'विशाल भारत संस्थान' नामक एक स्वयंसेवी संस्था ने अपने कूड़ा चुनने वाले बच्चों को भेंट करने के लिए और मुहम्मद वसी के उत्साहवर्धन के लिए तिरंगे की मांग की है। संस्था के संस्थापक डा. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि रोजगार और देशभक्ति की भावना यदि साथ-साथ मिल जाए तो इससे देश में अमन और शांति का वातावरण होगा। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के मालवीय सेंटर फॉर पीस के निदेशक प्रियंकर उपाध्याय ने कहा, '' इस देश में मात्र दो ही चीजों की कमी है रोजगार और देशभक्ति, तिरंगे के निर्माण में दोनों ही चीजें दिखाई पड़ रही हैं।''

2 comments:

cartoonist ABHISHEK said...

एक दम सटीक....!!!

Udan Tashtari said...

साधुवाद!!!