भारत की तलाश

 

Monday, August 25, 2008

साइबर अपराध के इतिहास का सबसे दुस्साहसिक कदम, भारतीय के नाम

ब्रिटिश इतिहास में अब तक के सबसे बड़े साइबर अपराधों में से एक में भारतीय का हाथ होने का खुलासा हुआ है। यूं तो इंडियन आईटी प्रोफेशनल्स का लोहा पूरी दुनिया मानती है, लेकिन जरूरी नहीं कि प्रतिभा का इस्तेमाल हर बार सही काम के लिए ही हो। एक भारतीय हैकर पर लगभग 80 लाख लोगों की पहचान व उनका विस्तृत विवरण चुरा कर रूस के माफिया को बेचने का आरोप लगाया गया है। इससे करीब तीन अरब पाउंड यानी 2 खरब 43 अरब रुपये का नुकसान हुआ। साइबर क्राइम के इतिहास में इतने बड़े अपराध का कोई दूसरा उदाहरण नहीं मिलता। इसे साइबर अपराध के इतिहास का सबसे दुस्साहसिक कदम बताया जा रहा है।

स्काटलैंड के संडे हेराल्ड के मुताबिक बृहस्पतिवार, 21 अगस्त की देर रात भारतीय मूल के एक हैकर ने बेस्ट वेस्टर्न होटल ग्रुप की आन लाइन बुकिंग प्रणाली की सुरक्षा कवच को भेद दिया। यही नहीं उसने इसकी संचालन प्रणाली का विस्तृत विवरण भी गुप्त नेटवर्क के माध्यम से रूसी माफिया को बेच दिया। इस हैकर को इससे पहले कोई नहीं जानता था। रिपोर्ट में उसके नाम का खुलासा नहीं किया गया है और न ही यह बताया गया है कि उसकी भारतीय पहचान कैसे स्थापित की गई।

इस साइबर हमले में 1,312 कांटिनेंटल होटलों के सभी ग्राहकों का व्यक्तिगत ब्यौरा चोरी कर लिया गया। ये सभी लोग 2007 से अब तक इन होटलों में ठहरे थे। चोरी हुई सूचनाओं में घर का पता, टेलीफोन नंबर, क्रेडिट कार्ड का विवरण और इनके पेशे का ब्यौरा शामिल है। कंप्यूटर सुरक्षा फर्म प्रीवक्स में काम कर रहे पूर्व हैकर और सुरक्षा विशेषज्ञ जैक्विस इरेस्मस ने बताया कि हैकर ने बहुत बड़ा हाथ मारा है। इरेस्मस ने कहा कि इन सूचनाएं का रूसी गिरोह ने दुरुपयोग भी शुरू कर दिया है। इनकी मदद से वे यूरोप में अपराधों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि कर सकते हैं।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर यहाँ पढी जा सकती है।

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