भारत की तलाश

 

Friday, March 5, 2010

केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय का दफ़्तर एक ड्राईवर चला रहा!!

मैं तो इसे अनूठा मामला नहीं मानता। ऐसा देश के कई हिस्सों में हो रहा होगा। बात हो रही है केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय के अमृतसर स्थित कार्यालय की जिसे विभाग का एक ड्राइवर संभाल रहा है। यह ड्राइवर 'साहिब' गाड़ी ही नहीं दफ्तर भी चला रहे हैं। 1960 में आरंभ हुए कार्यालय में इस समय न स्टाफ है और न ही पर्याप्त सुविधाएं। एक मेज व चार कुर्सियों के सहारे ही मंत्रालय का कार्यालय चल रहा है। दो गाड़िया तो हैं, लेकिन दोनों बेकार। वर्षो से इमारत का रंग रोगन तक नहीं हुआ है।


दैनिक जागरण में रमेश शुक्ला सफर की एक दिलचस्प रिपोर्ट आई है कि इस कार्यालय का एडिशनल चार्ज गगनदीप कौर के पास है, लेकिन जालंधर के साथ कई और शहरों की जिम्मेवारी होने के चलते वह अमृतसर कार्यालय में कम ही मिलती हैं। कार्यालय का दायित्व केंद्र सरकार की रोजगार, ग्रामीण विकास, बच्चों, महिलाओं व बुजुर्गो के लिए नई योजनाओं को आम लोगों तक पहुंचाना है। लेकिन आजकल यह कार्यालय खुद परिचय का मोहताज हो गया है। आम लोगों को शायद ही पता हो कि रानी बाग के पास केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्रालय का क्षेत्रीय कार्यालय भी है।

दैनिक जागरण के संवाददाता ने जब उक्त कार्यालय का दौरा किया तो देखा कि कार्यालय में बैठे ड्राइवर बलदेव शर्मा रजिस्टर में कुछ लिख पढ़ रहे थे। उनसे जब पूछा गया कि आफिस का स्टाफ क्या छुट्टी पर है तो वह कहने लगे, काहे का स्टाफ। यहा न तो क्लर्क हैं और न स्थायी अधिकारी। पानी पिलाने के लिए एक स्टाफ था वह भी रिटायर हो चुका है। मैं तो ड्राइवर हूं। सुबह नौ बजे कार्यालय खोलता हूं, शाम पाच बजे बंद करता हूं। हालाकि एफपीओ [फील्ड पब्लिसिटी अफसर] गगनदीप कौर हैं, लेकिन उनके पास इस कार्यालय का एडिशनल चार्ज है वह जालंधर कार्यालय भी देखती हैं। कार्यालय में लोगों के लिए पूछताछ के लिए एक फोन है, लेकिन कोई फोन आता ही नहीं।

इस बाबत गगनदीप कौर ने जागरण को बताया कि फिलहाल वह अमृतसर में ही होती हैं, जालंधर का भी चार्ज है ऐसे में एक-एक सप्ताह वह दोनों स्टेशनों को कवर करती हैं। चूंकि उनका अधिकाश काम ग्रामीण क्षेत्रों में होता है इसलिए आफिस में बैठने की फुर्सत नहीं मिलती!

1 comment:

Bhavesh (भावेश ) said...

इस खबर से किसी को ज्यादा आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि, हमारे देश में बच्चे-बच्चे को हर रोज सुबह स्कूल में याद दिलाया जाता है "भारत भाग्य विधाता". जब देश भगवान् के भरोसे चल रहा है तो सरकारी कार्यालय चपरासी या ड्राईवर के भरोसे क्यों नहीं चल सकता. जय हो !!!