भारत की तलाश

 
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Wednesday, September 3, 2008

विदेशी चैनल बेबस भारत की तस्वीर दिखा रहे

दुनिया भर में 'असहाय भारत' की तस्वीर पेश किए जाने से आहत सेना ने कहा है कि बिहार में राष्ट्रीय आपदा के बावजूद सशस्त्र सैन्य बलों का स्थिति पर पूरी तरह नियंत्रण है और वह बचाव कार्य करने में सक्षम है। कोसी की प्रलयंकारी बाढ़ के बावजूद सेना अब तक लाखों लोगों को सुरक्षित निकाल चुकी है, पर विदेशी न्यूज चैनल ऐसी तस्वीर पेश कर रहे हैं, मानो भारत ऐसी आपदाओं से निपटने में पूरी तरह अक्षम है। दुनिया भर के रक्षा अटैची सेना से पूछ रहे हैं कि आखिर भारत में इतनी खराब स्थिति क्यों है?

दैनिक जागरण में जरनैल सिंह लिखते हैं कि इसी तरह की स्थिति से विदेश मंत्रालय को भी दो-चार होना पड़ रहा है। विदेश मंत्रालय यही समझाने में जुटा है कि भारत अपने यहां आई इस आपदा से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। गलत तस्वीर पेश किए जाने के बाद ही रक्षा मंत्री ए।के। एंटनी ने सेना के राहत व बचाव अभियान के बारे में मीडिया को ब्रीफ करने को कहा। सेना का कहना है कि सीएनएन, बीबीसी व अन्य विदेशी चैनल जान-बूझ कर भारत की भ्रामक छवि पेश कर रहे हैं। एक सैन्य अधिकारी का कहना था कि विदेशी चैनल किसी फंसे हुए व्यक्ति या जान-माल का नुकसान उठा चुके व्यक्ति का दुख-दर्द तो दिखा रहे हैं, पर इतने बड़े पैमाने पर राहत एवं बचाव कार्य की एक फुटेज तक नहीं दिखाई जा रही। विदेशी चैनलों के इस रवैये से सेना इसलिए भी आहत महसूस कर रही है क्योंकि इससे उसके दुनिया की बड़ी सैन्य ताकत के तौर पर उभरने की छवि को धक्का लगता है।

सुनामी जैसी आपदा के वक्त जहां भारत ने इंडोनेशिया, श्रीलंका और मालदीव को भी अपने युद्धपोत अमेरिका से पहले भेज दिए थे, वहीं चीन में भूकंप और म्यांमार में तूफान के बाद भी इस क्षेत्र की एक बड़ी ताकत के तौर पर व्यवहार करते हुए सहायता दी थी। लेकिन विदेशी चैनल भारत को एक ऐसे देश के तौर पर दिखा रहे हैं जो अपने यहां बाढ़ की आपदा से भी निपट पाने में अक्षम है।

Sunday, March 30, 2008

ये इश्क नहीं आसां, ख़ुद को दरिया में डुबायो, आग से बचो

आज भी हम कुछ इस तरह की पंक्तियाँ पढते है 'ये इश्क नहीं आसान, बस यूँ समझ लीजे, इक आग का दरिया है, डूबकर जाना है ...' यहाँ भी कुछ-कुछ ऐसा ही है, फर्क इतना है कि अगर दरिया में नहीं डूबते तो आग लग ही जाती।

सुनकर यकीन नहीं होता, लेकिन 14 मार्च को पुणे के पास बारामती में हुए विमान हादसे के बारे में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की रिपोर्ट में यही पाया गया है। विमान में तकनीकी खराबी नहीं थी, बस पायलट विमान उड़ाने के बजाय आपस में रोमांस करने में व्यस्त थे। नतीजतन विमान नाक के बल सीधे नदी में जा गिरा।

रिपोर्ट के मुताबिक वीटी-एसी विमान में तकरीबन बीस साल की उम्र के पुरुष और महिला प्रशिक्षु पायलट सवार थे। डीजीसीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि कारवर एविएशन एकेडमी के इन प्रशिक्षु पायलटों ने कॉकपिट की मर्यादा तोड़ी, जिसके कारण विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ। सूत्रों ने बताया, ‘दोनों प्रशिक्षु पायलट रोमांस में इस कदर डूबे हुए थे कि विमान का नियंत्रण उनके हाथ से निकल गया’। इस दुर्घटना में दोनों प्रशिक्षु पायलट तो सकुशल बच गए, लेकिन विमान बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।

दैनिक भास्कर के अनुसार, इस मामले की जांच डीजीसीए के मुंबई क्षेत्र की सुरक्षा शाखा के इंचार्ज संजय ब्रम्हाने ने की है। उन्होंने बताया कि नियमों के मुताबिक, एकेडमी के चीफ फ्लाइट इंस्ट्रक्टर की यह जिम्मेदारी होती है कि वह एक प्रशिक्षक को विमान के साथ भेजे। सूत्रों ने यह भी कहा कि अगर विमान नदी में गिरने की बजाय किसी आवासीय इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ होता तो एक बड़ा हादसा हो सकता था।