लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने 19 फरवरी को, सदन में हंगामा कर रहे सांसदों को खरी-खरी सुना दी। सोमदा ने सदस्यों से कहा कि आने वाले चुनावों में वे सभी हार का मुंह देखें। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि देश की जनता उन्हें अच्छी तरह पहचान जाएगी और चुनावी फैसला कर सबक सिखाएगी। कड़क मिजाज स्पीकर ने तो यहां तक कह डाला कि आप लोग सार्वजनिक धन में से एक पैसा पाने लायक नहीं हैं।
विभिन्न राजनीतिक दलों के ये सांसद कुछ मुद्दों को लेकर सदन के गर्भगृह में घुस गए थे और प्रश्नकाल में बाधा डाल रहे थे। इन सदस्यों के व्यवहार से खफा अध्यक्ष ने कहा कि वे मानते हैं कि संसद को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा ‘आप लोगों को व्यर्थ में भत्ते देने के लिए सार्वजनिक पैसा नहीं बहाया जाना चाहिए।’ चटर्जी ने ये विचार तब जताए जब बसपा, भाजपा, टीडीपी, आरपीआई, पीएमके और एमडीएमके के कुछ सदस्य गर्भगृह में घुसकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। चटर्जी ने सदस्यों के शोरशराबे से परेशान होकर कहा आपका आचरण निंदनीय है और आप लोकतंत्र का काम तमाम कर रहे हो। देश की जनता सब कुछ देख रही है। मैं उम्मीद करता हूं कि लोग आपको पहचान लें और सबक सिखाएं।
श्री चटर्जी ने पहले तो कहा कि हंगामे के बावजूद वे सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं करेंगे लेकिन 15 मिनट तक लगातार नारेबाजी और शोरशराबा जारी रहने पर व्यथित होकर बोल उठे मेरे विचार में सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी जानी चाहिए। आपको संसद में आने का भत्ता नहीं मिलना चाहिए। आपको जनता के धन में से एक भी पैसा नहीं दिया जाना चाहिए। आप इसके हकदार नहीं है। आप देश की जनता का अपमान कर रहे है और उसे मूर्ख बना रहे है।
भारत की तलाश
Friday, February 20, 2009
लोकसभा अध्यक्ष का श्राप: आप सब चुनाव हार जायो!
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3 comments:
सोम दा की तरह देश के सभी देशवासी संसद और संसद के बाहर इनके आचरण को देखकर खिन्न और दुखित है . जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है ये लोग जिस तरह से गिरगिट की तरह रंग बदल रहे हैं वह बहुत ही शर्मनाक है . क्या करें इतना सब हो जाने के बाद भी ये लोग हमेशा की भाँती फिर अगली बार जीत कर संसद मैं आ जायेंगे . और लोकतंत्र की खामियों के चलते हम यूँ ही हाथ मलते रह जायेंगे .
देखिए, इस मुद्दे पर ज्यादा दिमाग खपाने की जरूरत नहीं है। हमारे देश के नेता ६१ बरस बाद भी भले और भोले हैं। वे जानते ही नहीं कि क्या कह और कर रहे हैं।
सोम दा नहीं एक सामान्य व्यक्ति बोल रहा था।
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