भारत की तलाश

 
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Monday, September 22, 2008

पंक्चर बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही

बीस वर्ष तक गृहिणी का जीवन जीने वाली झारखंड निवासी मगदाली ने ऐसा व्यवसाय अपनाया है जिस पर पुरुषों का एकाधिकार माना जाता है। वह साइकिल के पंक्चर बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। रांची में रहने वाली मगदाली का जीवन आज से पांच वर्ष पहले तक किसी आम घरेलू औरत की तरह अपने परिवार तक सिमटा हुआ था। उसी समय पंक्चर की दुकान चलाने वाले उनके पति की मौत हो गई। तीन बच्चों के साथ जिंदगी से जूझ रही मगदाली ने अपने पति के व्यवसाय को अपनाने का फैसला किया।

मगदाली ने आईएएनएस को बताया, ''पति की मौत के बाद मेरे परिवार के भूखों मरने की नौबत आ गई थी। तभी मैंने अपने पति की तरह पंक्चर बनाने का निर्णय लिया। सारा समान तो पहले से ही घर में था, बस मैंने काम सीखना शुरू कर दिया। अब मैं आराम से काम कर लेती हूं।'' मगदाली ने बताया कि शुरू में लोग मेरी ओर घूर कर देखते थे। उन्हें आश्चर्य होता था कि एक महिला पंक्चर बनाने का काम करती है। उनके पास दिन में 10 से 15 ग्राहक आते हैं और वह 50 से 150 रुपये प्रतिदिन कमा लेती है। मगदाली ने बताया कि उन्होंने अपनी बचत से दो वर्ष पूर्व अपनी बेटी की शादी भी की।

मगदाली को एक ही दुख है कि कमाई कम होने की वजह से वह अपने दोनों बेटों को पढ़ा नहीं पाई। अब उनकी इच्छा है कि वह बैंक से कर्ज लेकर अपने काम को साइकिल से मोटरसाइकिल और कार तक विस्तार दे।