भारत की तलाश

 

Saturday, September 4, 2010

पुलिस कर्मियों ने महिला एसपी को सड़क पर घसीट कर पीटा!

उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों की एक बेहद चौंका देने वाली कारस्तानी सामने आई है | उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 3 पुलिसकर्मियों ने एसपी (ट्रैफिक)कल्पना सक्सेना पर हमला कर न केवल हमला कर दिया बल्कि गाड़ी से सड़क पर घसीटते चले गए। एसपी ने इन पुलिसकर्मियों को ट्रक चालकों से वसूली करते पकड़ा था।


पुलिसकर्मियों के हमले में घायल होकर अस्पताल में भर्ती एसपी कल्पना सक्सेना के अनुसार उन्हें सेना के एक जवान से यह शिकायत मिली थी कि यातायात ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी जाट रेजीमेन्टल सेंटर के पास ट्रक वालों से नाजायज वसूली कर रहे हैं। शिकायत पाकर वह खुद मौके पर पहुंचीं। जब पुलिसकर्मियों ने शिकायत को गलत बताया तो सक्सेना ने अपने स्टाफ से तीनों पुलिसकर्मियों की तलाशी लेने को कहा। पकड़े जाने की आशंका को देखते हुए तीनों पुलिसकर्मियों ने उनपर हमला कर दिया और कार से भाग निकलने का प्रयास किया।

सक्सेना ने एक पुलिस वाले का कॉलर पकड़ लिया तो वे उन्हें 20 मीटर से अधिक दूरी तक घसीट ले गए और फिर सड़क पर छोड़ दिया। तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। आरोपियों में से एक मनोज कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है तथा अन्य दो को गिरफ्तार करने के लिए दबिश दी जा रही है।

Monday, August 16, 2010

मूर्तियाँ लगवाने के लिए सरकार ने 34 करोड़ की इमारतें विस्फोट से गिरा दीं!

उत्तरप्रदेश विधानसभा में पिछले दिनों पेश की गई कैग की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि दलित महापुरुषों की प्रतिमाएं खड़ी करने एक स्टेडियम और उससे लगे हुए रिसर्च सेंटर और म्यूजियम की इमारत, जो बमुश्किल सिर्फ 10 साल पुरानी थी, को डायनामाईट लगा ध्वस्त कर दिया गया जो कि पूरी तरह गैरकानूनी था।

रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने 1998 में लखनऊ के गोमती नगर में 15 एकड़ के प्लॉट पर 6.47 करोड़ रुपये की लागत से स्टेडियम बनवाया था। इसके चार साल बाद 2002 में एक रिसर्च सेंटर और म्यूजियम का निर्माण सात एकड़ के प्लॉट पर 26 करोड़ की लागत से किया गया। कैग की रिपोर्ट में स्टेडियम गिराने के लिए तकनीकी कमिटी की सिफारिश पर भी सवाल उठाए गए। यह साफ प्रतीत होता है कि इमारतें गिराने के लिए तकनीकी कमिटी की मंजूरी सिर्फ आंखों में धूल झोंकने के लिए थी। इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि तकनीकी कमिटी का गठन और इमारतों को ध्वस्त करने की मंजूरी एक ही दिन दी गई।

कैग के अनुसार स्टेडियम और रिसर्च सेंटर के मलबे पर दलित महापुरुषों की प्रतिमाएं खड़ी करने का सरकार का फैसला बिल्कुल गलत था।

Monday, August 9, 2010

भारत की तेजस्विनी सावंत ने इतिहास रच दिया

भारत की तेजस्विनी सावंत ने इतिहास रच दिया है. वह वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं. और यह कारनामा उन्होंने विश्व रिकोर्ड की बराबरी करते हुए करके दिखाया है। जर्मनी के म्यूनिख में 50 मीटर राइफल इवेंट में तेजस्विनी ने स्वर्ण पदक जीता है. सावंत ने कुल 597 (100, 100, 100, 99, 99, 99) का स्कोर बनाया। 1998 में रूस की मरीना बोबकोवा ने यही स्कोर बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा था.

तेजस्विनी कहती हैं कि वह एक छोटे शहर से आती हैं जहां शूटिंग जैसे खेल में आगे बढ़ पाना आसान नहीं है, लेकिन उनके माता पिता के समर्थन की वजह से वह आगे बढ़ने में कामयाब रहीं. "मुश्किलें तो हैं, लेकिन शिकायत करने से बेहतर है कि उन्हें प्रेरणा के तौर पर इस्तेमाल किया जाए और मेहनत की जाए. मेरे सपनों का साथ देते हुए मेरे माता पिता ने मुझे यही सिखाया."

उनसे पहले अब तक भारत में चार लोगों ने ही शूटिंग में विश्व रिकॉर्ड बनाया है. गगन नारंग, सुमा शिरूर, रोंजन सिंह सोढी और आशेर नोरिया के बाद वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली सावंत सिर्फ पांचवीं भारतीय हैं।

देश के लिए वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली तेजस्विनी पहली महिला हैं और यह देश के लिए गौरव का पल है।

Sunday, July 25, 2010

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से नाश्ते पर खर्च राशि, प्रधानमंत्री कार्यालय की राशि से आठ गुणा अधिक

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में मंत्रियों और अधिकारियों के नाश्ते पर हुए भारी खर्चो का खुलासा हुआ है। आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से स्त्रैक्स और पानी की बोतल पर खर्च की गई यह राशि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में खर्च की गई राशि से तकरीब आठ गुणा अधिक है।


2008-09 में प्रधानमंत्री कार्यालय ने नाश्ते पर 11.77 लाख रूपए खर्च किए जबकि 2009-10 में पीएमओ में इस बाबत खर्च का आंकडा करीब दस लाख रूपए रहा लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इस मामले में ज्यादा दरियादिली और आवभगत देखने में मिली।

सूचना का अधिकार कानून के तहत हिसार के आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा ने स्वास्थ्य मंत्रालय से इस संबंध में जानकारी मांगी। लेकिन जो आंकडे सामने आए उससे स्वास्थ्य मंत्रालय को थोडी शर्मिदगी झेलनी पड सकती है। 2008-09 में उसने खाने पीने और बोतलबंद पानी के लिए 49.45 लाख रूपए खर्च किए जबकि 2009-10 में इस मद में 44.62 लाख रूपए खर्च हुए। दोनों वर्षो में खर्च का जोड करीब 94 लाख रूपए बैठता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने करीब 41 लाख रूपए खर्च किए है जबकि जल संसाधन मंत्रालय की ओर से 20.73 लाख रूपए का खर्चा हुआ, पेट्रोलियम मंत्रालय ने जेब ढीली कर 19.5 लाख रूपए का खर्चा किया। वहीं उपभोक्ता मामालों, खाद्य और वितरण मंत्रालय ने बोतलबंद पानी पर 35 हजार रूपए और खाने पीने पर दो सालों में 14 लाख रूपए खर्च किए है। खाने पीने और बोतलबंद पानी पर यह खर्चा आमतौर पर मंत्रालय में होने वाली बैठकों में होता है।

Saturday, June 12, 2010

पुलिस वालों ने चोरी कबूलवाने के लिए 73 वर्षीय वृद्ध की पेड़ से लटका कर बेदम पिटाई की

एक लोमहर्षक घटनाक्रम में राजस्थान की सैंपऊ पुलिस ने चोरी का राज उगलवाने के लिए एक वृद्ध को दिल दहला देने वाली यातनाएं दीं। वृद्ध के हाथ पीछे से बांधकर रस्से से पेड़ पर लटका दिया। 75 वर्षीय जयदेव की दर्दनाक चीखों के बावजूद पुलिसकर्मियों को रहम नहीं आया। थाना प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मी उसके रस्से को बार-बार खींचते रहे।

वृद्ध पत्नी ने गुहार लगाई तो उसे भी पेड़ से लटकाने की धमकी मिली। पुलिस की थर्ड डिग्री से वृद्ध बार-बार निढाल होता रहा। इस बीच, मौके पर पहुंचे भास्कर के फोटो जर्नलिस्ट को देखकर पुलिस ने आनन-फानन में वृद्ध को पेड़ से उतार लिया। बाद में मामले की सूचना एसपी सुरेंद्र कुमार तक पहुंची तो उन्होंने थानेदार को तत्काल निलंबित कर दिया।

वृद्ध को पेड़ से लटकाकर यातना देने के संबंध में जब थाना प्रभारी राजेंद्र कविया से पूछा गया तो उन्होंने कहा-चोरों से सख्ती तो करनी पड़ती है, लेकिन पेड़ पर लटकाकर यातना देने की जानकारी मेरे पास नहीं है। मैं बाहर हूं। हालांकि, थाना प्रभारी इस पूरे प्रकरण के दौरान वहीं मौजूद थे और वृद्ध की रस्सी बार-बार खींच रहे थे। फोटो में भी वे पेड़ के बिल्कुल बगल में पहले नंबर पर खड़े दिखाई दे रहे हैं।

सैंपऊ की एक मोटर पार्ट्स की दुकान से 27 मार्च की रात को करीब डेढ़ लाख रुपए का सामान चोरी हो गया था। इस मामले में पुलिस करीब दर्जनभर लोगों को पूछताछ के लिए पकड़ कर लाई। पुलिसवालों ने इनमें से 75 वर्षीय जयदेव तथा एक अन्य व्यक्ति को हिरासत में रखा और बाकी को छोड़ दिया।

पुलिस का कहना है कि चोर सामान के साथ एक मोबाइल भी ले गए थे। इस मोबाइल के आईईएमआई नंबर से पुलिस जयदेव तक पहुंची थी। पुलिस ने जयदेव को बावरिया गिरोह का बताया है।
(चित्र समाचार: भास्कर से साभार)

Friday, May 21, 2010

पुलिस अधीक्षक ने छेड़खानी कर रहे युवकों को रोका तो उन पर गोली चला दी गई, अंगरक्षक मारा गया

अमृतसर के लारेंस रोड स्थित एक रेस्त्रां में लड़कियों के साथ छेड़खानी कर रहे दो बदमाशों ने रोकने पर तरनतारन के एसपी (डी) मलविंदर सिंह पर गोली चला दी, जिसमें उनका एक अंगरक्षक मारा गया। दूसरे अंगरक्षक ने सतर्कता बरतते हुए एक बदमाश को घायल कर दबोच लिया। दूसरा बदमाश भागने में कामयाब हो गया। घायल बदमाश की पहचान मनमिंदर उर्फ सोनू निवासी उत्तराखंड के शहीद उधम सिंह नगर के रूप में की गई है।

मनमिंदर ने पूछताछ में बताया कि फरार बदमाश रनदीप सिंह उर्फ विजय टोपी अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह का सरगना है। रनदीप पर पंजाब में दो दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनकी गाड़ी से जम्मू-कश्मीर की दो नंबर प्लेट और सोने के जेवर बरामद हुए हैं।

पुलिस अधीक्षक मलविंदर सिंह ने बताया कि 19 मई को उनकी पत्नी का जन्मदिन था। वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ शाम 4.15 बजे लारेंस रोड स्थित एक रेस्त्रां में गए थे। वहां खाना खा रही युवतियों के साथ दो युवकों को छेड़छाड़ करते देख उन्होंने रोकने की कोशिश की। रोकने पर बदमाशों ने गाली—गलौच शुरू कर दिया। एसपी ने जब उनमें से एक को थप्पड़ मारा तो उसने पिस्तौल से गोली चला दी। गड़बड़ी देख एसपी के गनमैन रेस्त्रां के अंदर आए तो बदमाश वहां से भागने लगे। उन्होंने पीछा कर रहे गनमैन पर गोलियां चलाईं जिससे गनमैन बलविंदर सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। इसी बीच दूसरे गनमैन ने सतर्कता बरतते हुए गोली मार कर युवकों की गाड़ी के टायर पंक्चर कर दिए और एक बदमाश को घायल कर दिया।

इस दौरान गोलियां चलाते हुए दूसरा बदमाश मौके से 50 मीटर दूर एक कोठी में छिप गया। पुलिस कंट्रोल रूम के जवानों के पहुंचने पर कोठी की तलाशी ली गई, लेकिन तब तक वह वहां से भाग चुका था।

Monday, May 10, 2010

चित्तूर की भार्गवी ने एक अनोखे कंप्यूटर के विकास में सफलता हासिल की

अपने पति के डेस्कटॉप कंप्यूटर में लगे अनगिनत तारों के कारण घर को ठीक से साफ न कर पाने से परेशान आंध्रप्रदेश में चित्तूर की भार्गवी ने एक अनोखे कंप्यूटर के विकास में सफलता हासिल की है। भार्गवी ने एक ऐसे सिंगल यूनिट पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया है, जिसमें सामान्य पीसी के सारे गुण मौजूद हैं। लेकिन तारों की संख्या घटकर केवल एक रह गई है।

दिलचस्प यह है कि भार्गवी कोई कंप्यूटर इंजीनियर नहीं हैं। उन्होंने केवल 12वीं तक की पढ़ाई की है, और वह भी तेलुगु माध्यम में। भार्गवी के इस कंप्यूटर को कैबटॉप (कैबिनेट टॉप) कहा जा रहा है। यानी सामान्य पीसी का ही बदला हुआ एक रूप है। इसके सारे कल-पुर्जे सामान्य पीसी के ही हैं, लेकिन इनको एक साथ एक खास तरीके के बनाए हुए अकेले कैबिनेट में फिट किया गया है।

भार्गवी ने बताया कि शुरू में उनके पति और परिवार वालों को उनके विचार पर काफी हैरानी हुई। लेकिन जब उन्हें लगा कि इस विचार में दम है तो उन्होंने भार्गवी की काफी मदद की। एक साधारण कंप्यूटर की तरह ही कैबटॉप में कोर टू डुओ का प्रोसेसर, 2 जीबी रैम और 320 जीबी हार्ड डिस्क लगा है। इसे एक टीवी के तौर पर भी प्रयोग में लाया जा सकता है और सिस्टम को चालू किए बिना ही इस पर फोटोग्राफ भी देखे जा सकते हैं।

कैबटॉप के लिए तकनीकी सपोर्ट देने वाले भार्गवी के पति रंगा रेड्डी बताते हैं कि यह पूरा सिस्टम रिमोट कंट्रोल से भी चलाया जा सकता है और इसमें एक बिल्ट इन मल्टी मीडिया सिस्टम, टीवी तकनीक, स्पीकर और ऑटोमेटिक लॉक सिस्टम भी है। कैबटॉप बिजली की भी कम खपत करता और गर्म भी कम होता है। सबसे बड़ी बात है कि यह लैपटॉप की तरह पोर्टेबल है, लेकिन इसे लैपटॉप की तरह बैग की जरूरत नहीं होती।

यह नया पीसी केंद्रीय विज्ञान और तकनीक विभाग की देखरेख में टेक्नोप्रेनियर प्रोमोशन प्रोग्राम के तहत बनाया गया है। आंध्र प्रदेश के आचार्य नागाजरुन विश्वविद्यालय ने इसके प्रोटोटाइप के निर्माण के लिए शुरुआती पैसे दिए थे। इसे पेटेंट कराने के लिए रजिस्टर्ड करा लिया गया है। सेंट्रल मेकैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, दुर्गापुर में हुए परीक्षणों में इसे कारगर पाया गया है। साधारण पीसी को कैबटॉप में बदलने के लिए दो हजार से सात हजार तक का खर्च आ सकता है।
(समाचारांश दैनिक भास्कर में अनुषा रवि की रिपोर्ट से साभार)