भारत की तलाश

 

Friday, September 18, 2009

वोडाफोन अब लड़कियों की दलाली पर उतर आई!!

अदालत के हुक्म पर पचास लाख रुपए का जुर्माना भुगत चुकी वोडाफोन कंपनी अब सीधे सीधे लड़कियों की दलाली पर उतर आई है। हजारों लड़कियां और गृहणियां हैं जिन्हें दिन में तीन घंटे कहीं से भी आने वाले फोन पर हर तरह की बातें करने के बदले पचास रुपए रोज दिए जाते हैं ... एक लड़की को तीन हजार रुपए महीने मिलते हैं और उसके लिए तीन घंटे रोज बात करना अनिवार्य है। वोडाफोन हर कॉल का दो रुपए प्रति मिनट लेता है यानी तीन घंटे में छत्तीस सौ रुपए कमाता है। मतलब साफ है कि इन गरीब लड़कियों से भी वोडाफोन छह सौ रुपए महीना कमा रहा ...


चंडीगढ़ वाली महिला ने ये भी बताया कि लोग रात में बात करने के लिए बार बार फ़ोन करते रहते है पर वे अपना फ़ोन बंद नहीं कर सकती क्योकि दो बार से ज़्यादा फ़ोन बंद मिलने पर वोडाफोन इनके पूरे महीने के पैसे काट लेता है जो इनके लिए जरुरी है, सो ये चुपचाप लोगो की गन्दी गन्दी बाते भी मज़बूरी में सुनती हैं।...

पढ़िये यह सनसनीखेज खुलासा अरविंद सिंह की कलम से डेटलाइन इंडिया पर

Thursday, September 10, 2009

कानपुर में शिक्षक 10 का पहाड़ा नहीं सुना पाये!! बुलंदशहर में अश्लील क्लिपिंग देखते-दिखाते मिले, क्लास में!!

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में गणित के आसान से सवालों का जवाब न दे सकने वाले सरकारी स्कूल के 15 अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार से सिफारिश की है। जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश कुमार ने 9 सितम्बर को आईएएनएस को बताया कि विगत दो दिनों के दौरान जिले के प्राथमिक स्कूलों में अध्यापन मूल्यांकन के लिए हुए औचक निरीक्षण के दौरान कई स्कूलों के अध्यापक आसान से गणित के सवालों का जवाब नहीं दे पाए। कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार से इन अध्यापकों की वेतनवृद्धि पर रोक और वेतन में कटौती की सिफारिश की गई है।

उन्होंने बताया कि अध्यापकों का इस तरह के सवालों का जवाब देने में असमर्थ होना उनके लिए चौंकाने वाला था। जिस स्कूल के अध्यापक इतने आसान सवालों का जवाब नहीं दे सकते हैं तो वहां के छात्रों से बेहतर प्रदशर्न की उम्मीद कैसे की जा सकती है। अधिकारियों के मुताबिक अध्यापकों से पूछे जाने वाले सवाल गणित पर आधारित और बेहद सरल थे, लेकिन कुछ अध्यापक उनका जवाब देने में असमर्थ रहे तो, कुछ ने गलत जवाब दिया। अधिकारियों ने बताया कि कुछ स्कूल के अध्यापक तो 10 और 20 का पहाड़ा तक पूरा नहीं सुना पाये।


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बुलंदशहर में तो एक शिक्षक को अपने मोबाईल पर अश्लील क्लिपिंग देखने व छात्रों को दिखाने की शिकायत पर जाँच का सामना करना पड़ रहा है।

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Thursday, September 3, 2009

रंगरेलियां मनाने से मना किया तो छात्र-छात्रा ने पुलिस वाले को कार से कुचल कर मार डाला

जबलपुर का एक किस्सा सामने आया है जिसमें कार में रंगरेलियां मनाने से मना करने पर गुस्साए छात्र-छात्रा ने एक पुलिसकर्मी की कार से कुचलकर हत्या कर दी। कैंट थाना इंचार्ज अखिल वर्मा ने मीडिया को बताया कि 2 सितम्बर की रात गोलछा कम्पाउंड के पास एक कार काफी देर से खड़ी थी जिसमें एक युवक और युवती रंगरेलियां मना रहे थे। कैंट थाने में तैनात देवीसिंह परोहा ने युवक-युवती से कार में रंगरेलियां करने से मना किया तो युवक नाराज हो गया और उसने पुलिसकर्मी को कार से कुचल दिया जिससे उसकी मौत हो गई।

पुलिस ने कार लेकर भाग रहे युवक-युवती को पीछा कर उन्हें बेलबाग थाना क्षेत्र में पकड़ लिया। छात्र की पहचान हितकारणी इंजीनियरिंग कालेज के थर्ड ईयर में पढ़ने वाले के रुप में हुई है। वह गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला है जबकि युवती की पहचान होम साइंस कालेज में सेकंड ईयर में पढ़ने वाली के रुप में हुई है। वह हॉस्टल में रहकर पढ़ रही है। युवक-युवती को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है।

Wednesday, September 2, 2009

अनाथालय की छह वर्षीय बालिका द्वारा रात में बिस्तर गीला: अधिकारियों ने गरम लोहे की छड़ से दागा

तिरूवनन्तपुरम में छह वर्षीय बालिका द्वारा रात में बिस्तर गीला कर देने पर अनाथालय के अधिकारियों ने बालिका को गरम लोहे की छड से दाग दिया। बालिका के रिश्तेदार की शिकायत पर पुलिस ने अनाथालय के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार घटना का पता उस समय चला जब ओणम पर्व के लिए हुई छुटिटयों में बालिका के रिश्तेदार उसे घर लाए। रिश्तेदारों ने जब उसकी छाती और बांह पर जले के निशान देखे तो उससे पूछताछ की। जवाब में बालिका ने कहा कि बिस्तर गीला कर देने पर अनाथालय के अधिकारियों ने उसे यह सजा दी है। हालांकि अनाथालय अधिकारियों ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि गरम चाय गिरने से वह जली है।

Tuesday, September 1, 2009

नकली नोट पकड़ने की अनूठी मशीन, भारत के वैज्ञानिकों ने बनाई

नकली नोट से भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने की साजिश रचने वालों के दिन शायद खत्म होने पर आ गये हैं। भारत में बनी आटोमेटिक काउटरफीट करेंसी डिटेक्टर मशीन इसी नवंबर में बाज़ार में उतरने जा रही है। चंडीगढ़ के केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (CSIO) के वैज्ञानिकों द्वारा इस मशीन को बनाया गया है। इसमें छह सेंसर लगे हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि छह सेंसर वाली यह पहली मशीन होगी। इससे पहले एक सेंसर वाली मशीनें बाजार में उपलब्ध हैं।


नवंबर में लांच होने वाली मशीन नोट के विभिन्न पक्षों कागज, छपाई, हस्ताक्षर, फोटो, नंबर व वाटर प्रिंट को एक साथ पढ़ने में सक्षम है। इसमें एक मिनट में एक हजार नोटों की परख एवं गिनती एक साथ की जा सकती है। नकली नोट रखते ही इसमें लगा अलार्म बजने लगता है। अलार्म तब तक बंद नहीं होता जब तक नोट मशीन से बाहर नहीं निकाल लिया जाता। रिजर्व बैंक और स्टेट बैंक में नई तकनीक के कई सफल परीक्षण भी किए जा चुके है। नई तकनीक यूनाइटेड स्टेट पेटेट एप्लीकेशन पब्लिकेशन और व‌र्ल्ड इटलैक्चुअल प्रापर्टी आर्गेनाइजेशन-विप्रो से पेटेट भी कराया जा चुका है। सीएसआईओ ट्रेक्नोलाजी ट्रांसफर की प्रक्रिया 26 सितंबर को की जाएगी। सुरक्षा कारणों से अभी कंपनी के नाम की घोषणा नहीं की जा रही है।

सीएसआईओ के वैज्ञानिक एचके सरदाना के मुताबिक नकली नोट पकड़ने वाली इस मशीन में 3+3 की तर्ज पर छह सेंसर लगे है। नकली नोट को गारंटी के साथ पकड़ने में मशीन कामयाब है। उन्होंने बताया कि करीब पांच साल के अनुसंधान के बाद इस तकनीक को ईजाद किया गया है। इस प्रोजेक्ट में अब तक 50 लाख रुपये खर्च हुए है। मशीन का साइज ए4 है और माडल पोर्टेबल, कीमत 45 से 50 हजार रुपये के बीच है।




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बिना जरूरत ही खरीद डालीं 130 करोड़ की दवाएं!!

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में करोड़ों रुपये का घोटाला करने के आरोप में फंसे झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य सचिव प्रदीप कुमार सहित कई आरोपियों के ठिकानों पर 31 अगस्त को सीबीआई ने छापा मारा। सीबीआई के अनुसार कुमार ने दवा आपूर्ति करने वाले नौ लोगों के साथ मिल कर मिशन के लिए ऐसी दवाइयां खरीदीं जिनकी जरूरत ही नहीं थी। इन दवाओं की खरीद के लिए सारे नियम-कायदों की भी धज्जियां उड़ा दी गई। 1991 बैच के आईएएस कुमार गत जून तक तक झारखंड में स्वास्थ्य सचिव थे। वह फिलहाल संस्थागत वित्त सचिव के पद पर हैं।


सीबीआई के अनुसार कुमार के साथ मिल कर इन लोगों ने एक साजिश के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए ऐसी दवाइयां खरीदीं जिनकी जरूरत ही नहीं थी। ये दवाइयां 2008 के दौरान प्रदीप के स्वास्थ्य सचिव रहते हुए खरीदी गई थीं। 130 करोड़ रुपये से ज्यादा की ये दवाइयां भंडार गृह में रखे-रखे खराब हो गई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए खरीदे गए महंगे उपकरणों का भी उपयोग नहीं किया जा सका।