छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बहाने स्कूलों में फीस वृद्धि के प्रयास के खिलाफ भारत के अभिभावक संघ लामबंद हो रहे हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले पर जनहित याचिका दायर होने के बाद अब देश के बाकी राज्यों में भी अभिभावक अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान बीच सत्र में फीस बढ़ाए जाने पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत की ओर से फीस वृद्धि पर एतराज जाहिर करने के बाद देश भर में स्कूलों के खिलाफ धरने-प्रदर्शनों का दौर भी शुरू हो गया है।
दैनिक भास्कर में अमित सिंह की रिपोर्ट है कि दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले पर जनहित याचिका दाखिल करने वाले एडवोकेट अशोक अग्रवाल से, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, पंजाब और गोवा समेत देश के कई शहरों के अभिभावक उनके संपर्क कर रहे हैं। दिल्ली में दायर जनहित याचिका को इन शहरों में फीस वृद्धि का विरोध कर रहे लोगों को भेजा जा रहा है। इस आधार पर जल्द ही वहां भी लोग अदालत की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
भारत की तलाश
Saturday, March 28, 2009
स्कूलों में फीस वृद्धि का मामला तूल पकड़ने लगा
अग्रवाल का कहना है कि राज्यों में स्कूलों के संचालन को लेकर नियम-कायदे बेहद लचर और असमान हैं। लेकिन ज्यादातर जगह फीस वृद्धि के मामले और अभिभावकों के शोषण की स्थितियां तकरीबन एक जैसी ही हैं। गुड़गांव में भी 27 मार्च को हजारों अभिभावकों ने नेशनल हाईवे जाम कर प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन किया। पानीपत में भी काफी दिनों से स्थानीय अभिभावक पब्लिक स्कूलों के खिलाफ लामबंद होकर मामले का विरोध करने में जुटे हैं। कानपुर में भी यह मामला काफी तूल पकड़ता जा रहा है। 26 मार्च को वहां के पब्लिक स्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन करते करीब 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह गोवा में भी सामाजिक कार्यकर्ता ओरलैंडो पचेको के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है।
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2 comments:
फीस सबके बच्चो की बढ़ी पर तनखा केवल सरकारी अफसरों और करम चारियों की बढ़ी इस बार भी कुछ लिखे । प्राइवेट सेक्टर मे सबकी तनखा मे १० % कम हुआ हैं फिर माँ बाप पर इतना बोझ डालने से बच्चो की शिक्षा पर फरक पड़ेगा । और २००६ से स्कूल मे एरियर माँगा जा रहा हैं जिसके कारण तक़रीबन १६०० रुपए महीने की किश्त बन रही हैं । जिनके दो बच्चे पढ़ रहे हैं उनको ३२०० रुपए महिना एरियर का देना हैं ।
आपने इस लेख के माध्यम से सही बात को आवाज़ दी है.
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