भई वाह! रेलवे की नौकरी के लिए परीक्षा हो और उसका प्रश्नपत्र हिन्दी में न हो, क्या ऐसा संभव है? अभी तक तो नहीं था, लेकिन स्वतंत्रता दिवस के दो दिन पहले यह खबर है कि रेल मंत्रालय ऐसा करने की तैयारी में है। खबरें बताती हैं कि रेलमंत्री ममता बनर्जी ने मंत्रालय संभालने के बाद यह नोटिस जारी किया कि रेलवे की परीक्षाएँ अँगरेजी या क्षेत्रीय भाषा में कराई जाएँ।
अभी तक रेलवे में भर्ती के लिए ग्रुप-डी की परीक्षाएँ अँगरेजी, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा में होती हैं। ग्रुप-सी की परीक्षाएँ अँगरेजी और हिन्दी में होती हैं। इसमें क्षेत्रीय भाषाओं को भी शामिल करने की बात लंबे समय से हो रही थी। इससे किसी को असहमति नहीं थी, पर हिन्दी को दरकिनार किए जाने की कोशिशों से हड़कंप मचा हुआ है। परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने और हिन्दी को बाहर का रास्ता दिखाने या किनारे करने के लिए मंत्रालय ने बाकायदा एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। जब रेल मंत्रालय से आधिकारिक राय जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने बस इतना माना कि एक कमेटी का गठन हुआ है।
अधिकारियों ने इतना कहा कि ऐसा होने पर नीतिगत बयान आएगा और फिर उसकी मंजूरी मंत्रिमंडल से लेना पड़ेगी। दिलचस्प यह है कि ऐसी किसी पहल से उन्होंने इनकार भी नहीं किया। हालाँकि एक वरिष्ठ रेल अधिकारी ने माना कि ऐसी कोशिश हो रही है। इसे क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के नाम पर किया जा रहा है।
इस अधिकारी ने बताया कि अभी यह समझदारी बनी है कि जिन राज्यों में हिन्दी बोली जाती है, वहाँ तो हिन्दी में परीक्षा होगी, लेकिन उन राज्यों के बाहर सिर्फ अँगरेजी या क्षेत्रीय भाषा में ही परीक्षाएँ हों। इसकी सुगबुगाहट तभी शुरू हुई थी, जब रेलमंत्री ने क्षेत्रीय जोनों की भर्ती में वहाँ के निवासियों के लिए विशेष प्रावधान की घोषणा की थी।
सवाल है कि जो हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा है, उसकी क्या इस तरह उपेक्षा की जा सकती है?
6 comments:
Chintaa kee baat hai.
( Treasurer-S. T. )
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से खाय? कांग्रेस की भाषा-नीति और भाषा पर उसका इतिहास देखिये। विशेषकर नेहरू का हिन्दी के साथ विश्वासघात पता नहीं है क्या?
हिंदी का गला काटकर क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहन .. वाह !!
वाह ये हुआ स्वंत्रता दिवस का तोहफा....बिलकुल ठीक हम तो कहते हैं ..अजी परिक्षा की जरूरत का है...बस सबसे इत्ता पूछा जाए..बिटवा हिंदी तो नहीं बोलोगे न....और नौकरी पर रख लिया जाए...
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what will happen
when a person
who knows only
his regional language
and national language hindi
happens to travel
to another state
where staff knows
another regional language
and not hindi
.
हमेँ पहले ही पता था कि कांग्रेस सरकार ऐसा ही करेगी
जो राष्ट्रभाषा के स्थान पर किसी और भाषा को प्रोत्साहन दे रही है।
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