भारत की तलाश

 

Friday, May 16, 2008

दो जानों की क़ीमत, दो रुपए!?

यह घटना किसी एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरी इंसानियत पर सवाल उठाती है कि क्या कोई इंसान इतना संवेदनहीन भी हो सकता है। उड़ीसा में एक बस कंडक्टर ने सिर्फ़ दो रुपए के लिए एक बाप-बेटी को चलती बस से धक्का दे दिया और वे दोनों ही चलती बस के पहिये के नीचे आ गए और अपनी जान से हाथ धो बैठे। वह बेचारा चार साल की अपनी मासूम बेटी को लेकर किसी मंज़िल की ओर निकला था लेकिन मौत ने कंडक्टर का रूप धारण करके उन्हें मंज़िल की तरफ़ बढ़ने ही नहीं दिया।

35 वर्षीय एक आदिवासी व्यक्ति सनीचर टोप्पो तलपतिया नामक स्थान पर बस पर चढ़ा था लेकिन उसके पास किराए के पूरे पैसे नहीं थे, सिर्फ़ दो रुपए कम पड़ रहे थे। कंडक्टर ने सनीचर की यह फ़रियाद बिल्कुल अनसुनी कर दी कि सचमुच में ही उसके पास दो रुपए नहीं हैं। उसकी यात्रा का पूरी किराया बनता था दस रुपए, यानी उसके पास आठ रुपए तो थे लेकिन दो रुपए नहीं थे। बस में बैठे अनेक यात्रियों ने कंडक्टर की बेरहमी को देखते हुए पेशकश भी की कि सनीचर के दो रुपए उनमें से कोई भी दे देगा लेकिन कंडक्टर किसी की भी सुनने को तैयार नहीं था।

झगड़ा बढ़ा तो कंडक्टर ने सनीचर और उसकी चार साल की बेटी को एक साथ बस से कथित रूप से धक्का दे दिया। उस समय वह बस राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 पर चल रही थी। बाद में उस कंडक्टर और चालक को गिरफ़्तार कर लिया गया। बस में सवार यात्रियों और स्थानीय लोगों ने बस को आग लगा दी और सड़क को भी कुछ देर के लिए जाम कर दिया।

और हाँ, राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक कुछ ज्यादा उदार दिखे और इन दो जानों की कीमत एक लाख लगायी । मतलब, निकट संबंधियों को एक लाख रुपए का मुआवज़ा देने की घोषणा की है.

1 comment:

Udan Tashtari said...

अफसोसजनक एवं दुखद.