भारत की तलाश

 

Friday, January 23, 2009

अमेरिकी प्रशासन भारतवासियों से हिंदुस्तानी बोली में बात करने को उत्सुक !

बराक हुसैन ओबामा का शासन आते ही अमेरिका की जुबान बदल गई है। अब अमेरिकी प्रशासन भारतवासियों से हिंदुस्तानी बोली में बात करने को उत्सुक है। भारत के लिए अमेरिका की बदली हुई जुबान का पहला संकेत अमेरिकी दूतावास ने दिया जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद दिए गए भाषण का हिंदी अनुवाद जारी कर दिया। और तो और इस भाषण के लिए अमेरिकी जनसंपर्क विभाग ने अपना लैटरपैड भी हिंदी में प्रकाशित किया और आम बोलचाल की भाषा में ओबामा के भाषण को ज्यों का त्यों पेश किया।

ओबामा का हिंदी संबोधन जारी कर अमेरिका ने अपना बदला हुआ रुख और बदल जाहिर कर दिया है। अमेरिकी जनसंपर्क विभाग ने ओबामा के शपथ ग्रहण के दो दिन बाद यह संबोधन हिंदी में जारी किया है लेकिन अनुवाद की भाषा के प्रवाह से स्पष्ट है कि ओबामा प्रशासन हिंदुस्तानियों की भाषा को हड़बड़ी या औपचारिकतावश नहीं अपना रहा है बल्कि वह हिंदीभाषियों के दिलों में अपने युवा राष्ट्रपति की बातों को गहराई तक उतारने के प्रति गंभीर है।

इसकी बानगी देखिए ओबामा के भाषण के अंतिम पैराग्राफ को खूबसूरती से हिंदी में उतारा गया है। वह कहते हैं ‘आओ मिलकर इस बर्फानी संकट का सामना करें और आने वाले तूफानों से निपटें ताकि हमारे बच्चों के बच्चे यह कहें कि जब हम पर बुरा वक्त पड़ा तो हमने अपने सफर को अधूरा छोड़ने से इंकार कर दिया। क्षितिज पर नजरें गाड़े हुए भगवान की कृपा से आगे बढ़ते रहे। और आजादी का महान तोहफा आने वाली नस्लों तक पहुंचाया।

Tuesday, January 20, 2009

पेट्रोल, डीज़ल या बैटरी के बिना चलने वाला वाहन बनाया कोलकाता के युवा दंपत्ति ने

कोलकाता निवासी एक दंपति ने पर्यावरण के अनुकूल एक ऐसा ऑटो इंजन बनाया है जिसमें ईंधन और बैटरी की जरूरत ही नहीं। कोलकाता के कनिष्क सिन्हा (30) और उनकी पत्नी दीपिका (25) ने जीवन में औरों से कुछ अलग करने की ठानी और यकीनन वे कामयाब भी रहे। ‘जास्पर मोटर वेहिकल’ कंपनी के प्रमुख कनिष्क ने इंडो-एशियन न्यूज सर्विस को बताया कि, "यह इंजन जिंक और ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया से चालू होता है इसलिए यह प्रदूषण रहित है। इस तकनीक से इंजन की उम्र भी लंबी होती है।"

अपराजिता गुप्ता की रिपोर्ट है कि इस इंजन का प्रयोग तिपहिया वाहनों और कारों में भी किया जा सकता है। इस युवा दंपति ने अनिवासी भारतीयों की मदद से एक अरब रुपये की राशि एकत्र कर अपनी कंपनी को अमेरिका में रजिस्टर्ड करवाया। उन्होंने फोर्ड फाउंडेशन की मदद से चलने वाले बिगपेटेंटस इंडिया में इसे पेटेंट भी कराया। देश में विनिर्माण की सुविधा न होने के कारण ऐसे सभी इंजन अमेरिका में निर्मित किए जा रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा कि वे बिहार अथवा पश्चिम बंगाल में विनिर्माण संयंत्र लगाने के लिए जमीन तलाश रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के मंत्री क्षिति गोस्वामी से भी मुलाकात की है।

गोस्वामी ने आईएएनएस को बताया कि, "वे मेरे पास आए थे और मैं उनकी योजना से अवगत हूं। अगर उन्हें बर्धमान में जमीन चाहिए तो इसके लिए उन्हें बर्धमान विकास प्राधिकरण से बात करनी होगी।"