भारत की तलाश

 

Thursday, July 31, 2008

रूठे इन्द्र देव को मनाने, तीस फुट गहरे कुएं में रामायण

मध्यप्रदेश में मानसून को दस्तक दिए एक माह से अधिक का वक्त गुजर गया है मगर बैतूल के बहुत बडे हिस्से में अब तक बारिश नहीं हुई है इसके चलते फसलों के बर्बाद होने की आशंका बढ़ गई है। आठनेर विकास खंड और उसके आसपास के गांवों के लोगों को लगता है कि इन्द्र देवता उनसे नाराज हैं, इसीलिए इस इलाके पर उनकी कृपा नहीं हो रही है।

रूठे इन्द्र देव को मनाने के लिए मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के सातनेर गांव के लोगों ने अनोखा तरीका अपनाया है। वे 30 फुट गहरे सूखे कुएं में बैठकर अखंड रामायण का पाठ कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इन्द्र देव उनकी आवाज सुनेंगे और वर्षा होगी। देवराम बताते हैं कि सातनेर गांव के लोगों ने इन्द्र देवता को मनाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान करने का निर्णय लिया। दैनिक देशबन्धु के अनुसार सभी ने तय किया कि गौडीढाना रामनगर स्थित तीस फुट गहरे कुएं में रामायण कराई जाए। लगभग एक सप्ताह से कुएं में रामायण का दौर जारी है। इन ग्रामीण इलाकों के लोगों को उम्मीद है कि इन्द्र देव एक दिन जरूर उनकी आराधना से प्रसन्न होंगे और उन्हें अवर्षा के दौर से मुक्ति मिलेगी।

Monday, July 28, 2008

जुए की लत ने इंजीनियर को बैग चोर बनाया

68 साल के फर्स्ट क्लास इंजीनियर रमेश कृष्णाजी को नवी मुंबई की पनवेल रेलवे पुलिस ने पनवेल रेलवे स्टेशन पर एक यात्री का बैग चुराते वक्त गिरफ्तार किया। 'मटका' की लत के चलते करीब 37 साल पहले वह ग्रैजुएट इंजीनियर, बैग चोर बन बैठा था। इसी बुरी लत के चलते उसके माता-पिता ने उसका साथ छोड़ दिया। करीब 22 बार जेल की हवा खाने के बाद भी वह बैग चुराने की आदत नहीं छोड़ पा रहा है।

नवभारत टाईम्स की ख़बर है कि सतारा जिले के कराड इंजीनियरिंग कॉलिज से 1963 में इंजीनियरिंग करने वाले रमेश कदम ने कुर्ला स्थित प्रसिद्ध प्रीमियर ऑटोमोबाइल कंपनी में नौकरी भी की। नौकरी के दौरान ही उसे 'मटका' खेलने की बुरी लत लग गई। तत्कालीन मटका किंग रतन खत्री से प्रभावित कदम ने 1978 तक कंपनी में नौकरी की और बाद में मटके की दुनिया में नसीब आजमाने लगा। मटके की आदत के चलते वह इंजीनियर से रेलवे स्टेशनों व बस अड्डों पर यात्रियों के बैगों को चुराने वाला चोर बन बैठा।

Sunday, July 27, 2008

एक बेटा बटाला में, दूसरा अमेरिका में, पोता CID इंसपेक्टर: माँ गुरूद्वारे में, अधमरी, बेसहारा

उसने दोनों बेटों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। दोनों बेटों को नौ-नौ महीने कोख में रखा, जन्म दिया, उंगली पकड़कर चलना सिखाया। लेकिन उन्हीं बेटों ने उसे दर-दर की ठोकरें खाने के लिए बेघर कर दिया। आज ये माँ खुद को भी ठीक से नहीं संभाल सकती। वक्त और उम्र की मार ने तो केवल उसके शरीर को कमजोर किया, लेकिन उसका कलेजा छलनी किया उसके दोनों बेटों के व्यवहार ने। आजकल ये माँ, फीनो, तख्त श्री केसगढ़ साहिब में सेवादारों के रहमोकरम पर जी रही है।

फीनो के नाम अमृतसर में कई एकड़ जमीन थी, लेकिन बेटों ने सारी जमीन अपने नाम करवाकर फीनो को घर से निकाल दिया। फीनो का एक बेटा बटाला में और दूसरा अमेरिका में रहता है। फीनो का एक पोता तरसेम सिंह अजनाला में सीआईडी इंस्पेक्टर है। घर से निकाले जाने के बाद फीनो इधर-उधर भटकती रही। कई माह पहले जालंधर रेलवे स्टेशन पर अधमरी हालत में पड़ी फीनो पर एक दिन हेल्प लाइन संस्था की नजर पड़ी। इस संस्था की सदस्य बीबी राजिंदर कौर ने बताया कि हेल्प लाइन संस्था ने फीनो की सेवा की व उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। उसका पूरी तरह इलाज करवाया। जब समाचार पत्रों में फीनो के बारे में खबर छपी तो उसका पोता उसे अपने घर ले गया। लेकिन कुछ समय बाद ही उसे फिर घर से निकाल दिया गया।

जागरण में आयी ख़बर के मुताबिक, हाल ही में तख्त श्री केसगढ़ साहिब माथा टेकने आई बीबी राजिंदर कौर ने जब फीनो को यहां देखा तो वह हैरान रह गई। उन्हें पता चला कि फीनो यहां कई सप्ताह से रह रही है। तख्त श्री केसगढ़ साहिब के मैनेजर ने बताया कि यह औरत अपने आप को भी नहीं संभाल पाती है और जगह-जगह गंदगी फैला देती है। औरत होने के नाते सेवादारों को भी उसकी देखभाल करने में मुश्किलें पेश आती हैं। हालांकि सेवादार अपने तरफ से उसका पूरा खयाल रखते हैं, लेकिन फीनो को अपनों का साथ नहीं मिला और उम्र के इस पड़ाव पर वह अपनी जिंदगी इसी बदहाली में गुजारने पर मजबूर है। तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी त्रिलोचन सिंह ,समेत अनेक गणमान्यों ने कहा कि जन्म देने वाली मां के साथ इस तरह का बर्ताव करने वाले कुपुत्रों का सामाजिक बायकाट कर देना चाहिए।

Friday, July 18, 2008

मौत ने सर झुकाया, जीने की चाह के आगे

सुप्रतिम दत्ता की जिंदगी एम्स के डॉक्टरों ने 6 घंटे चले लंबे ऑपरेशन के बाद बचा ली है जो चिकित्सा जगत में एक बड़ा ऑपरेशन माना जा रहा है। सुप्रतिम दत्ता की गाड़ी का दिल्ली की एम जी रोड के पास एक्सीडेंट हो गया था और लोहे की एक लंबी रॉड उसके सीने के आर पार हो गई थी लेकिन यहां सुप्रतिम ने बिना घबराए अपने आप को संभाला और घटना के बारें में अपने घर पर सूचना दी। उसके बाद उसे एम्स लाया गया जहां एम्स के डॉक्टरों ने अपने हाथों का कौशल दिखाते हुए ऑपरेशन कर सुप्रतिम की जिंदगी बचा ली है। एक्सीडेंट जिस तरह से हुआ है और जो सुप्रतिम की हालात थी उसे देखते हुए वे इसे कुदरत का करिश्मा मान रहें है।

23 साल के सुप्रितम दत्ता ऑफिस जाने के लिए ऑफिस की कैब से निकले थे लेकिन रास्ते में ही उनका एक्सीडेंट हो गया और 5 फुट 2 इंच की लंबी रॉड सीने के आर पार हो गई। एक्सीडेंट होने के बाद सुप्रतिम दत्ता ने हिम्मत दिखाते हुए अपने मोबाइल के द्वारा अपनी मां को सूचना दी कि कि उनका एक्सीडेंट हो गया है और वह गंभीर रुप से घायल है और शायद उनकीं जिंदगी न बचें। इसके साथ ही उसने तत्काल अपने दोस्तो को भी घटना की जानकारी दी। स्थानिय लोंगो ने भी उसकी मदद की और इन सभी की दुआओ और मदद की बदौलत एम्स के डॉक्टरो ने सफल ऑपरेशन कर बचा लिया ।

सुप्रतिम दत्ता ने 5 फुट 2 इंच की रॉड अपने शरीर के अंदर जाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और अपना होश नहीं खोया और अपनी जिंदगी की रक्षा के लिए जो कुछ कर सकते थे किया। 5 फुट 2 इंज की लोहे की रॉड जब काटी जा रहीं थी तो उन्होंने असहनीय दर्द सहा और 6 घंटे चले लंबे ऑपरेशन में मौत को मात देते हुए जिंदगी की लड़ाई जीत ली।

Saturday, July 12, 2008

मौसम पूर्वानुमान

जब मानसून ने दस्तक दे ही दी है तो लोगों के चेहरों में खुशी आना लाजमी है। मौसम का मिजाज भांपने का अपना नुस्खा है। हजारों साल से तमाम जाति, नस्ल और प्रांतों के लोग इस लौकिक ज्ञान को अपनी आने वाली पीढ़ियों में पहुंचाते रहे है। यह ज्ञान कितना पुख्ता है इसका उदाहरण इसी से मिल जाएगा कि जब मौसम विज्ञानी बुंदेलखंड में सन 2002 का मानसून ठीक ठाक बता रहे थे तो वहां दे देशी मौसम विज्ञानियों ने मानसून के धोखा देने की घोषणा कर दी थी। हुआ भी वही। यहां मान्यता है कि जब सूखा पड़ता है तब झड़बेरी और महुआ की फसल बहुत अच्छी होती है और उस साल इन पेड़ों में खूब फल हुए थे। दुनियाभर के लोक साहित्यों में मानसून के पूर्वानुमान पर तमाम नुस्खे हैं।

  • कुत्ता घास खाना शुरू कर देता है
  • चीटियां अपने अण्डें नीचे से ऊपर रखना शुरू कर देती हैं।
  • चिड़िया धूल में नहाती है।
  • बतख तैरते समय पीछे पंख मिलाकर फड़फड़ाने लगे
  • मच्छर जमीन के बहुत नजदीक उड़ने लगें।
  • शाम से मुर्गा दरवाजे पर बांग दें।
  • गिलहरी चीखने लगे तो 24 घंटे के अंदर भयंकर बरसात होगी।

Wednesday, July 9, 2008

भीख में मिले पैसों को गिनते-गिनते बैंक स्टाफ को पूरा दिन लग गया

कोलकाता के एक बैंक के कर्मचारियों का पूरा सोमवार एक भिखारिन के पैसे गिनते-गिनते निकल गया। किस्सा यह है कि लक्ष्मी 16 साल की उम्र से ही उत्तरी कोलकाता के व्यस्त हतीबागान इलाक़े में भीख माँगती है। उसने भीख में मिले अपने सारे सिक्के श्यामबाज़ार चौराहे के पास अपनी खोली में जमा किए थे। इसके लिए उसने लोहे की टोकरियों का इस्तेमाल किया और एक बोरे से अच्छी तरह ढक कर रखा। मिलीजुली रेज़गारी की अब तक उसके पास चार भरी हुई टोकरियां हैं। इनमे से कुछ सिक्के तो 1961 के बने हुए हैं और अब चलन में भी नही हैं।

बैंक खाता खुलने का सिलसिला उस समय शुरू हुआ जब पिछले सप्ताह कुछ बच्चे खेलते हुए उसकी खोली में घुस गए और उनकी एक टोकरी पर ठोकर मार दी जिससे लक्ष्मी सचेत हुई। मामला पुलिस की जानकारी में आया तो लक्ष्मी की मदद करने के लिए वो उसके सिक्कों को अपने साथ ले गए। बाद में इन सिक्कों को सैंट्रल बैंक की मानिकतला शाखा में खाता खुलवाने के लिए ले जाया गया। 50 साल की लक्ष्मी देवी के जीवन भर की बचत तीन बाल्टियों में आई। बाल्टियों में 10, 20 और 25 पैसे के सिक्के भरे थे। बैंक का करीब सारा स्टाफ सुबह 10 बजे जो लगा तो शाम 5 बजे बैंक के बंद होने के कुछ मिनट पहले ही यह काम ख़त्म हो सका।

सैंट्रल बैंक के शांतनु नियोगी का कहना “चूँकि वो ग़रीब है और उन्हे हमारी मदद चाहिए इसलिए हम पुराने सिक्कों को भी स्वीकार करेंगे।” रिज़र्व बैंक के निर्देशानुसार चलन से बाहर हो चुके सिक्कों के बदले जमाकर्ता को उनके बराबर रक़म का भुगतान किया जाना चाहिए।

एक महिला के नाम 901 राशन कार्ड, लेकिन उसे मालूम नहीं

आप मानें या ना मानें, लेकिन दक्षिण दिल्ली के बदरपुर इलाके में रहने वाली एक महिला के नाम 901 राशन कार्ड हैं। इतना ही नहीं, इन सभी राशन कार्डों पर उसका नाम और पता भी एक ही है। जबकि उसे खुद भी नहीं पता कि उसके नाम पर इतने राशन कार्ड बने हुए हैं। जसोला गांव की मंजू अकेली नहीं है जिसके नाम पर कई-कई राशन कार्ड हैं। पते का मिलान करना शुरू दिल्ली सरकार के खाद्यान्न और आपूर्ति विभाग के सामने हाल ही में ऐसे कई मामले आए हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 257 करोड़ का राशन कार्ड घोटाला सामने आया है। इसलिए अब विभाग ने राशन कार्ड धारकों की सूची में मौजूद हर नाम और पते का मिलान करना शुरू कर दिया है।

आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद ने इस संबंध में दस्तावेजों को जारी करते हुए कहा कि 1,70,598 राशन कार्ड फर्जी पाए गए हैं। इनमें से 1,41, 978 राशन कार्ड गरीबी की रेखा से ऊपर (एपीएल) वालों के हैं। दूसरी ओर, केवल 28,620 फर्जी राशन कार्ड ही गरीबी की रेखा (बीपीएल) के नीचे और अंतोदय कार्ड हैं। पिछले चार साल में इन फर्जी राशन कार्डों से मिलने वाली सब्सिडी के रूप में सरकार को 257 करोड़ का चूना लगाया गया है।

नासा प्रतियोगिता में छाए भारतीय

दो भारतीय छात्रों ने भविष्य के विमान परिवहन का डिजाइन तैयार कर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रायोजित प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल किया है। चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी के कालेज आफ इंजीनियरिंग की छात्रा आर. अनुशा और छात्र एस. श्रीनाथ की टीम ने यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने यह डिजाइन संकाय के सलाहकार डाक्टर ई. नटराजन की देखरेख में तैयार किया था। इस प्रतियोगिता में आस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के गैरी रेडमैन ने अपने माडल Conceptual Aircraft for 2058 के लिए पहला स्थान हासिल किया।

इस प्रतियोगिता में विश्व के 14 विभिन्न विश्वविद्यालयों के 61 छात्रों ने अगली पीढ़ी के मानव परिवहन व कार्गो विमानों के डिजाइन पेश किए। इसे नासा के Aeronautical Research Mission Directorate के फंडामेंटल एअरोनाटिक्स प्रोग्राम द्वारा प्रायोजित किया गया था। अटलांटा की जार्जिया टेक यूनिवर्सिटी की टीम ने स्नातक वर्ग में सबसे अधिक अंक हासिल किए।

विजेतायों की सूची नासा की वेबसाईट पर दी गयी है। मूल समाचार देखिये।


The U.S. space agency has given top graduate team honors in its airline design competition to Georgia Tech, with undergraduate honors given Virginia Tech.

Sixty-one students from 14 colleges and universities around the world offered their view of what the next generation of airliners and cargo planes might look like in the National Aeronautics and Space Administration's annual competition।

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Monday, July 7, 2008

पुलिस ले रही है ज्योतिष का सहारा, अपराधों से निपटने के लिए

दिल्ली पुलिस अपराधों से निपटने के लिए अब ज्योतिष का सहारा ले रही है। वरिष्ठ अधिकारी अपने मातहत सहयोगियों को ज्योतिष पढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि वे इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ज्योतिष की मदद से अपराध रोके जा सकते हैं। टूटती शादियों को बचाने में ज्योतिष के ज्ञान को खासतौर से उपयोगी माना जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी तो खुद ज्योतिष पढ़ाने लगे हैं।

नवभारत टाइम्स में वीरेंद्र वर्मा लिखते हैं, ज्योतिषाचार्य भी पुष्टि कर रहे हैं कि अगर ज्योतिष का सही इस्तेमाल किया जाए तो अपराधों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ काल और ग्रहों की सही दशा का पता लगाकर इंसान को अपराध की ओर जाने से बचाया जा सकता है। भारतीय विद्या भवन के Institute of Astrology में 8-10 डिप्टी कमिश्नर, असिस्टेंट कमिश्नर अन्य पदों पर तैनात पुलिस अफसर ज्योतिष अलंकार ज्योतिष आचार्य का कोर्स कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक पूर्व पुलिस कमिश्नर के. के. पॉल ने भी ज्योतिष का कोर्स किया था।

जॉइंट कमिश्नर (स्पेशल सेल) व संस्था के फैकल्टी सदस्य करनैल सिंह ने कहा कि ज्योतिष की पढ़ाई पुलिस के लिए अनिवार्य तो नहीं की जा सकती, लेकिन यह कोर्स कर रहे पुलिसकर्मी समाज सेवा बेहतर तरीके से कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ज्योतिष शास्त्र कर्म और जन्म मरण के सिद्धांत से जुड़ा है। हर कर्म का कोई न कोई नतीजा होता है। यह परिणाम कब मिलेगा इसका कोई पता नहीं होता। ज्योतिष के जरिए इसकी गणना आसान है। जो पुलिस वाले ज्योतिष सीख रहे हैं या सीख चुके हैं वे काउंसलिंग करके टूटती शादियों को बचाने में मदद कर सकते हैं।

करनैल सिंह ने कहा कि अपराध का क्या नतीजा होगा, यह समझाने से अपराध की प्रवृत्ति पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकती है। जन्म कुंडली में काल सर्प योग बताकर लोगों को ठगा जाता है। पुलिस ज्योतिष के ज्ञान से ऐसे ठगों को आसानी से पकड़ सकती है। विवेकानंद योग आश्रम के आचार्य केशव देव व आचार्य विक्रमादित्य के मुताबिक अगर ज्योतिष का सही ज्ञान है तो क्राइम पर अंकुश लगाने में बड़ी सफलता मिल सकती है। किसी का भी हाथ व जन्म कुंडली देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि उसका अतीत कैसा था और भविष्य क्या होगा। ऐसे लोग जिनकी जन्म कुंडली में मंगल और चंद्रमा नीच का होता है वे अधिकतर क्राइम की ओर जाते हैं। डाकू मान सिंह व चंदन तस्कर वीरप्पन की कुंडली इसका जीता-जागता प्रमाण है। काल और दशा का पता लगाकर ज्योतिष के माध्यम से व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ गणना की जा सकती है।

Friday, July 4, 2008

चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों के बीच पेड़ से बंधी युवती

कहने को तो नारी आज सफलता की बुलंदियां छू रही हैं,लेकिन सेतरावा गांव में इस युवती की हालत को जब देखा जाए तो, सब बातें खोखली नजर आती हैं। जोधपुर जिले के सेतरावा गांव में 22 वर्षीया युवती चार साल से जंजीरों में जकड़ी हुई हैं। चिलचिलाती धूप और लू के थपेड़ों के बीच एक पेड़ से बंधी इस युवती की दयनीय हालत के जिम्मेदार उसके ससुराल वाले बताए जाते हैं। दाखु देवी 5-6 साल पहले सुनहरे सपने लेकर अपने ससुराल आई थीं। बाद में उसकी कोख से जन्मे बेटे की अचानक मौत होने से ससुराल वालों ने उसे मनहूस समझकर इतना प्रताड़ित किया कि वह मानसिक संतुलन खो बैठी। विक्षिप्त हालत में उसके ससुराल वालों ने उसे पीहरले जाकर छोड़ दिया। लिहाजा अपनी बेटी के हाथ पीले कर ससुराल भेजने वाले मां बाप भी आर्थिक तंगी के चलते उसका इलाज नहीं करवा सके। बेटी की हरकतों से दुखी होकर उन्होंने अपनी लाडली को एक पेड़ से जंजीरों से बांध दिया।

शहर से 110 किलोमीटर दूर शेरगढ़ तहसील निकट सेतरावा गांव के कमीजी की ढाणी निवासी चम्पाराम मेघवाल ने बड़े अरमानों के साथ 5-6 साल पहले अपनी लाडली बिटिया दाखू को डोली में बिठाकर पिया के घर विदा किया। शादी के एक साल बाद उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ससुराल व पीहर में खुशी का माहौल था। ये खुशियां चंद दिन ही रहीं और दाखू के बेटे की मौत हो गई। बेटे की अचानक मौत होने से ससुराल वालों ने दाखू को मनहूस मान लिया और इतना प्रताड़ित किया कि उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया। फिर पति उसे पीहर छोड़ आया।

दैनिक भास्कर के अनुसार, मानसिक संतुलन खो चुकी दाखू देवी को खुला छोड़ने पर वह हर किसी के साथ अभद्र व्यवहार करने लगती है। गरीबी की मार झेल रहे दाखू के पिता चम्पाराम इलाज के लिए अपनी बेटी को जोधपुर भी लेकर आए,लेकिन यहां भी पैसे नहीं होने की वजह से डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। तब माता-पिता ने दुखी मन से 4 साल पूर्व दाखू को जंजीर से जकड़कर पेड़ से बांध दिया। आज दाखू की हालत ऐसी है कि वह जंजीरों में जकड़ी दीन दुनिया से बेखबर है। उसके मां-बाप भी इस आस में जी रहे हैं कि उनकी लाडली फिर से ठीक होकर सामान्य जिंदगी बसर करेगी। दाखू की दिनचर्या भी विकट है। सुबह-शाम उसकी मां उसे भोजन खिलाती है और प्यास लगने पर पानी पिलाती है। दिन-रात जंजीर से जकड़ी रहने के कारण शौच आदि वह वहीं करती है। इसकी जानकारी एक एनजीओ संभली ट्रस्ट को मिली तो उन्होंने मौके पर जाकर उसकी दयनीय हालत देखी और उसका उपचार कराने की कोशिश में लगी है।

बच्चे को चलती ट्रेन से फेंका

एक टीटीई ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए महज 12 साल के एक छोटे बच्चे को चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। बच्चे को बाहर फेंकने की एक मात्र वजह सिर्फ 50 रुपए थी। बच्चे को काफी गहरी चोट आई है। चलती ट्रेन से बाहर फेंके जाने पर उसका दाहिना हांथ और दाहिना पैर दोनो ही बुरी तरह से खराब हो गया है। अब उसके पास सिर्फ एक हांथ, पैर का ही सहारा रहेगा।

शंकर सिंह जो मात्र 12 साल का बच्चा है, अपना पेट पालने के लिए रेलगाड़ियों के डिब्बों की सफाई करता है। हर रोज की तरह बच्चा बेखौफ होकर ट्रेन के डिब्बे में घुस गया और सीट के नीचे साफ-सफाई करने लगा। सफाई के दरमियान उसे सीट के नीचे ही एक 50 रुपए का नोट मिला। बस इसी नोट को लेकर उसे अपने शरीर को अपंग बनाना पड़ा। इस नोट को टीटीई ने उससे मांगा लेकिन शंकर ने तुरंत ही मना कर दिया, इसके बाद धीरे-धीरे साधारण सी बातचीत झगड़े में बदल गई और टीटीई ने सारी हदें पार करते हुए उसे चलती गाड़ी से नीचे फेंक दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टीटीई ने उसे जोर-जोर के थप्पड़ भी लगाए, लोगों के मना करने पर भी उसने किसी की एक न सुनी और उसे चलती गाड़ी से बाहर फेंक दिया। शंकर के एक साथी ने घटना के बाद जीआरपी में केस दर्ज करा दिया है। बुरी तरह से घायल बच्चे को इस्पात जनरल अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। डॉक्टरों के अनुसार अब उसकी हालात पहले से ठीक बताई गई है।